पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/६३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(११) वायू गदाधरसिंह । व गदाधरसिंह के पूर्वज काशी के रहने वाले थे। वा इनके पितामह खोजूसिंह पुलिस में एक साधारण सिपाही थे। इनके दो पुष हुए रामसहायसिंह पार गनेसृसिंह । रामसहायसिंह ने फारसी में प्रच्छी योग्यता प्राप्त कर ली थी इसलिये ये पानेदार के पद को हुंच गए पर कुछ दिनों के बाद कमिदनर के दूसरे मुंशी नियत हए। इस समय राजा शिवप्रसाद भोरमुंशी थे पार धावू राम- सहायसिंह पीर राजा साहिय से सब पटती थी। हमारे चरित. मायक पात् गदाधरसिंहन्ही पाय रामसहायसिंह के पुत्र थे। पावू गदाधरसिंह का जन्म सन् १८४८९० में दुमा पा । जय इनको अवस्था केवल पांच वर्ष की धो तो इनके पिता बाबू राम- सहायसिंद का देहांत हो गया जिससे इनके संबंधियों ने इनके घर की सय धन समति नए कर डाली। परंतु इनके पिता के मित्रों ने इनकी यथासाभ्य सहायता को पार सन् १८५७ १० में पढ़ने का लगा लगा दिया । यात् सन् ६० में इनको माता का भी परलोक- पास हो गया पार निपट अनाथ हो गए। पर इन्होंने हिम्मत न हारी धार श्पयं सांसारिक अपहारों का अनुभव करते हुए सन् १८५८ में एंट्रेस पास कर लिया। पंट्रैस पास कर लेने पर राजा शिवप्रसाद हें १०) मासिक तर से सरकारी नौकरी दिलाने पर इन्होने उमे प्रस्पीचर रदिया पार स्पवंच जीपन ताने से इणा में मापार परनेरेसिपबारिलंदजो की सहायतापाहासादिने