पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/६६

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सभाथी। डाकरथीवो, सर सैय्यद अहमदखां और राजा शिवप्रसाद ग्रादि बड़े बड़े योग्य पुरुष उसके सभासद थे। पंडित लक्ष्मीशंभ भी उसमें संमिलित थे। ये उस सभा में बड़े गूढ़ विषयों पर ऐसा (१२) रायबहादुर पंडित लक्ष्मीशंकर मिश्र एम. ए ययहादुर पंडित लक्ष्मीशंकर जी सरयूपारा बाझर रा इनके पिता का नाम रामजसन मिश्र था। वे संत SET कालेज बनारस में प्रोफेसर और काशी के प्रति पुरुपों में थे। पंडित लक्ष्मीशंकर का जन्म सन् १८४९ ई० में हुआ था. लड़कपन से ही सुशील, गंभीर और तीवबुद्धि थे । आठ वर्ष अवस्था होने पर ये वनारस कालेज में अंगरेजो पढ़ने के नि बैठाए गए। इन्होंने प्रति वर्ष योग्यतापूर्वक इम्तिहान पास कि- कभी फेल नहीं हुए । सन् १८६९ ई० में वी० ए० पास किया। यह गणित एक क्लिष्ट विषय है परंतु मापकी गणित पर ही विशेष में रहती थी। इसीसे सन् १८७० ई० में आपने गणित में ही 'मानन के साथ एम. ए. पास किया । पंडित लक्ष्मीशंकर जैसे तीवबुद्धि थे वैसे ही सुयोग्य भी थे उस समय वनारस कालेज के प्रधान अध्यापक ग्रिफ़िथ साई इनको योग्यता पर मुग्ध थे। उन्होंने इन्हें बनारस कालेज में गधि का अध्यापक नियत किया । इनको पढ़ाने को शैली भी पेसी म थी कि गणित ऐसे कठिन विषय को सहज में समझा देते थे। उस समय बनारस में “वनारस इंस्टीट्यूट" नाम की एक