विद्यालयों के फ़ेलो थे । शिक्षा-संबंधी कानून बनाने में सदा इनको शिक्षाविभाग में आपका बड़ा आदर था। काशो नागरीप्रचारिणी सभा के आप कई वर्षो तक सभापति रहे और उसकी प्रारंभिक (३३) जिस समय पंडित लक्ष्मीशंकर मिय इसोकर नियत हुए उन समय इस जिले के स्कूलों की पढ़ाई को अयम्या बड़ी अनिश्चित यो । पंडित जी ने उसका यथोचित सुधार किया। गवर्नमेंट ने इन्हें सन् १८८८ में इलाहाबाद की कमिश्नरी का इस्संकर नियत किया। इन्होंने दोनों जिले में बड़ी योग्यतासे कार्य किया । इन कार्यप्रणाली से प्रसन्न होकर गवर्नमेंट ने इन्हें सन् १८८९ रायबहादुर को पदयी प्रदान की। पंडित लक्ष्मीशंकर जो कलकत्ता और इलाहाबाद दोनों विध सम्मति ली जाती थी । सन् १८८२ ई० में जब लार्ड रिपनने शिक्षा कमिशन बैठाया था तो इस प्रांत से प्राप हो प्रतिनिधि होकर गए थे। इन्होंने कमिशन के प्रश्नों का बड़ी योग्यतासे उत्तर दिया था। अवस्था में उसकी उन्नति के मूल कारण हुए। पापका देहांत तारीख़ २ दिसंबर सन् १९०६ ई० को हुआ।
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