पृष्ठ:हिंदी कोविद रत्नमाला भाग 1.djvu/८१

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(१४) पंडित मोहनलाल विष्णुलाल पंड्या ।

डित माहनलाल विष्णुलाल पंझा के पूर्वज गुज- रात देश के रहने वाले थे। वहां पर मुसल्मानी राज्य में अधिक उपद्रव होने से केशवराम पंडया अपने पाँच लड़कों सहित दिल्ली को चले आए। केशवराम के ज्येष्ठ पुत्र का नाम निर्भयराम था। केशवराम के पश्चात् निभयराम ता मागरे में रहने लगे और उनके और और भाई, कोई पंजाब में, और कोई अन्य स्थानों में जा बसे। निर्भयराम जी के संतान के लोग साहूकारो का व्यापार करने लगे। माहनलाल जी के दादा गिरधारीलाल तक तो यह कार्य अच्छा चलता रहा परंतु उनके मरने पर प्रबंध अच्छा न होने से काम बिगड़ गया । इसलिये मोहनलाल जी के पिता विष्णुलाल जी आगरे से मथुरा को चले पाए और यहां सेट लक्ष्मीचंद के यहां पहिले दरजे के मुनीबों में नौकर हुए। पंडित मोहनलाल जी का जन्म संवत् १९०७ मि० अगहन यदी ३ मंगलवार को हुआ था। सात वर्ष की अवस्था में यक्षोपयोत हो जाने पर इन्हें हिंदी और संस्थत की शिक्षा दी जाने लगी। इसके दो घर्ष वाद माप मागरे के सेंट जोस कालेज के स्कूल में अंगरेजी पढ़ने को बिठाए गए । इसके बाद जहां जहां इनके पिता को बदली होती गई यहां यहां माप उनके साथ रह कर वरावर अभ्ययन करते रहे।