पृष्ठ:हिंदी निबंधमाला भाग 1.djvu/१६७

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उसे खुद गरम और सर्द होने से क्या मतलब ? कारखाय को जो आजकल की सभ्यता पर गुस्सा आया तो दुनिया में एक नई शक्ति और एक नई जबान पैदा हुई। कारलायल अँग- रेज जरूर है; पर उसकी बोली सबसे निराली है। उसके शब्द मानों आग की चिनगारियाँ हैं जो आदमी के दिलों में आग सी लगा देती हैं। सब कुछ बदल जाय मगर कारलायल की गरमी कभी कम न होगी। यदि हजार वर्ष संसार में दुखड़े और दर्द रोए जायँ तो भी बुद्धि की शांति और दिल की ठंढक एक दर्जा भी इधर उधर न होगी। यहाँ प्राकर भौतिक विज्ञान के नियम रो देते हैं। हजारों वर्ष आग जलती रहे तो भी थर्मामीटर जैसा का तैसा ही रहेगा। बाबर के सिपा- हियों ने और लोगों के साथ गुरु नानक को भी बेगार में पकड़ लिया। उनके सिर पर बोझ रखा और कहा-"चलो"। आप चल पड़े। दौड़, धूप, बोझ, मुसीबत, बेगार में पकड़ी हुई स्त्रियों का रोना, शरीफ लोगों का दुःख, गाँव के गाँव का जलना सब किस्म की दुखदायी बातें हो रही हैं मगर किसी का कुछ असर नहीं हुआ । गुरु नानक ने अपने साथी मर्दाना से कहा-"सारंगी बजाओ, हम गाते हैं"। उस भीड़ में सारंगी बज रही है और आप गा रहे हैं। वाह री शांति !

अगर कोई छोटा सा बच्चा नेपोलियन के कंधे पर चढ़कर उसके सिर के बाल खींचे तो क्या नेपोलियन इसको, अपनी बेइज्जती समझकर उस बालक को जमीन पर पटक देगा,