पृष्ठ:हिंदी निबंधमाला भाग 1.djvu/२७

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के समान हैं। वे विपद्ग्रस्त हो तो भी संपत्तिमान हैं। शक्ति- हीन हो तो भी सामर्थ्यवान् हैं और मृत हो तो भी जीवित हैं।" यह कहना बहुतों को पहेली की तरह कठिन मालुम होगा परंतु जिन महात्मा ने यह बात कही है उन्हीं ने इसका स्पष्टीकरण भी कर दिया है। "सीपियो यद्यपि मृत हो गया है तथापि वह मेरे लिये जीवित है और सर्वदा वह जीवित ही रहेगा, क्योंकि उसके सद्गुण मुझे अत्यंत प्रिय हैं और उसकी श्रेष्ठता अभी तक नष्ट नहीं हुई। मेरे भाग्य से संयोगवश जो बड़प्पन मुझे प्राप्त हुआ है वह सीपियों की मैत्री की तौलbमें पसंगे के बराबर भी नहीं है।"

यदि हम अपने मित्रों का चुनाव उनकी संपत्ति की तरफ न देखकर उनकी योग्यता की तरफ देखकर करें और यदि हम मित्रलाभ के, जो संसार का एक बड़ा प्रसाद है, उपयुक्त पात्र हो तो हमें उनके समागम का सुख सर्वदा मिलेगा। वे दूर हो तो भो निकट के तुल्य होंगे और उनके इस लोक से चले जाने पर भी उनका सुखकर स्मरण हमें रहेगा।


——गणपत जानकीराम दूबे