पृष्ठ:हिंदी निबंधमाला भाग 1.djvu/८८

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नहीं मिला। कुत्ता, बिल्लो आदि जानवरों के बीच में रह १६ वर्ष के उपरांत उसने फ्राइडे के मुख से एक बात सुनी। यद्यपि इसने अपनी जंगली बोली में कहा था पर उस समय राबिन्सन को ऐसा आनंद हुआ मानों इसने नए सिरे से फिरके आदमी का चोला पाया। इससे सिद्ध होता है कि मनुष्य की वाक्-शक्ति में कहाँ तक लुभा लेने की ताकत है। जिनसे केवल पत्र-व्यवहार है, कभी एक बार भी साक्षात्कार नहीं हुआ उन्हें अपने प्रेमी से कितनी लालसा बात करने की रहती है। अपना आभ्यंतरिक भाव दूसरे को प्रकट करना और उसका आशय आप ग्रहण कर लेना केवल शब्दों ही के द्वारा हो सकता है। सच है-

"तामर्द सखुन गुफ़ा बाशद-एबो हुनरश निहुफ्ता बाशद"

"तावच शोभते मूखों यावत्किञ्चिन्न भाषते"

बेन जानसन का यह कहना, कि बोलने ही से मनुष्य के रूप का साक्षात्कार होता है, बहुत ही उचित बोध होता है।

इस बातचीत की सीमा दो से लेकर वहाँ तक रखी जा सकती है जितनों की जमात मीटिंग या सभा न समझ ली एडिसन का मत है कि असल बातचीत सिर्फ दो में हो सकती है, जिसका तात्पर्य यह हुआ कि जब दो आदमी होते हैं तभी अपना दिल दूसरे के सामने खोलते हैं। तीन हुए तब वह दो की बात कोसों दूर गई। कहा है-

"घट कर्यो भिद्यते मंत्र,