पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/२४४

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( २३० ) और फ़ाजिलशाह भी हुये । इन लोगों ने भी अवधी भाषा में प्रेम-मार्गी कवियों को प्रणाली ग्रहण कर रचनायें की हैं. किन्तु उनमें कोई विशेषता नहीं है और वे रचनायें मुझे हस्तगत भी नहीं हुई । इस लिये उनके विषय में विशेष कुछ नहीं लिखा जा सकता। उसमान चित्रावली' नामक ग्रन्थ का• रचयिता है । इसकी रचना का कुछ अंश नीचे उद्धृत किया जाता है:-

'सरवर ढ्ढ़ि सबै पचि रहीं।
         चित्रिनि खोज न पावा कहीं
   निकसी तीर भईं वैरागी।
         धरे ध्यान सब बिनवै लागीं।
   गुपुत तोहि पावहिं का जानी ।
         परगट महँ जो रहै छपानी।
   चतुरानन पढ़ि चारौ वेदृ ।
         रहा खोजि पैपाव न भेदृ ।
   हम अंधी जेहि आपु न सूझा ।
         भेद तुम्हार कहाँ लौं बूझा।
   कौन सो ठाँउँ जहां तुम नाहीं ।
         हम चख जोति न देखहिं काही ।
   पावै खोज तुम्हार सो, जेहि दिखरावहु पंथ।
         ___ कहा होइ जोगी भये, औ बहु पढ़े गरंथ।"

नूर महम्मद ने इन्द्रावतो' नामक ग्रंथ की रचना की है। कुछ उनकी रचना का नमूना भी देखियेः ---

मन दृग सों इक राति मँझारा।
          सृझि परा मोहिं सब संसारा ।
     उँ नीक एक फुलवारी।
           देखेउँ तहां पुरुष औ नारी।