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पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/५७९

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में विशेष है ओर प्रायः पारशालाओं में उनको पुस्तके कोर्स के रूप में गृहीत हैं । डाक्टर जी० ए० ग्रियर्सन ने भी उनकी कविता-पुस्तकों की प्रशता की है। मध्य प्रदेश में खड़ी बोलो की कविता-सम्बन्धी जागर्ति उत्पन्न करने में आप का विशेष हाथ है। इस विषय में आपने अपनी कविता द्वारा भी विशेष प्रभाव डाला है। जैसा भावमय उनका हृदय है वैसी ही भावमयी उन को भाषा। उनका पद विन्यास भी तुला हुआ और सरस होता है। भरती के शब्दों से वे बहुत बचते हैं । उनको कविता में ओज के साथ माधुर्य भी है और सहृदयता के साथ सामयिकता भी। उनके कुछ पद्य भो देखियेः--

भोले भाले कृषक देश के अद्भुत बल हैं।
राज भुकुट के रत्न कृषक के श्रम के फल हैं।
कृषक देश के प्राण कृषक खेती की कल हैं।
राजदण्ड से अधिक मान के भाजन हल हैं।
हल की पूजा दिव्य देश गौरव-सम्बल है।
हल की पूजा सभ्य जाति का ब्रत निर्मल है।
हल की पूजा देश शान्ति का नियम अचल है।
हल की पूजा मुक्ति मुक्ति का मार्ग विमल है !
कमल कुल छटा है लोचन प्राणहारी।
जिन पर करते हे भृग गुजार प्यारो।
मधुमय बहती है माधव प्रीति धारा ।
कब बन सकते हैं ये तुझे शान्तिद्वारा।
विधिवत् चलता है दख संमार सारा।
थकित कब हुई है लोक में कर्म-धारा।
दुख रज भय बाधा विश्व में है सदामे ।
कब जग रुकता है एक की आपदा से ।