पृष्ठ:हिंदी भाषा और उसके साहित्य का विकास.djvu/७२५

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शर्मा का बनाया (सनसई समालोचना) अधिक प्रसिद्ध है, इस पंथ के लिये उनको साहित्य सम्मेलन द्वारा १२०० रुपये का पुरस्कार भी मिला था। पं० कृष्ण विहारी मिश्र का बनाया (देव और बिहारी, नामक ग्रंथ भी उल्लेखनीय है । पं० राम कृष्ण शुक्ल और बाबू कृष्णानन्द गुप्त के समालोचना ग्रंथ भी अच्छे और उपयोगी हैं। पं० महावीर प्रसाद द्विवेदी के (काली दास की निकुशता) आदि ग्रंथ भी अवलोकनीय हैं ।।

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उन्नति सम्बन्धी उद्योग।

हिन्दी भाषा विकसित हो कर वर्तमान काल में जितना अग्रसर हुई है वह हिन्दो संसार के लिये गर्व की वस्तु है । परन्तु साहित्य के अनेक विभाग ऐसे हैं. जिनमें अब तक एक ग्रंथ भी हिन्दी में नहीं लिखागया ।विद्या-सम्बन्धी अनेक क्षेत्र ऐसे हैं, जिनकी ओर हिन्दी साहित्य-सेवियों की दृष्टि अभीतक नहीं गयी। उर्दू भाषा की न्यूनताओं की पूर्ति के लिये भारतीय मुस्लिम सम्प्रदाय बहुत बड़ा उद्योग कर रहा है। जब से हैदराबाद में उर्दू यूनिवर्सिटी स्थापित हुई है उस समय से निजाम सरकार ने उसको अधिकतर समुन्नत बनाया है। उन्होंने विद्या-सम्बन्धी समस्त विभागों पर दृष्टिग्ख कर उर्दू भाषा में उनसे सम्बन्ध रग्वने वाले ग्रंथों की पर्याप्त रचना कराई है। परन्तु ऐसा सुयोग अब तक हिन्दी भाषा को नहीं प्राप्त हुआ इसलिये उसकी न्यूनताओं को पूर्तिभी यथार्थ रीतिसे नहीं हो रही है । उसको गष्ट्रीयता का पद प्राप्त हो गया है । इसलिये आशा है, उसकी न्यूनता की पूर्ति के लिये हिन्दीसंसार कटिबद्ध होगा और वह उन्नति करने में किसी भाषा से पीछे न रहेगी। मैं कुछ उन उद्योगों की चर्चा भी इस स्थान पर कर देना चाहता हूं जो उसकी समुन्नति के लिये आज कल भारतवर्ष में हो रहे हैं।।

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अनुवादित प्रकरण

अनुवाद भी साहित्य का विशेष अंग है। आज कल यह कार्य भी हिन्दी संसार में बड़ी तत्परता से हो रहा है। प्रत्येक भाषा के उत्तमोत्तम