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[१०]
अंत मे श्रीगोवर्द्धनधरण से प्रार्थना करते हैं कि वे इस अनुवाद को साहित्यानुरागियों का प्रेमपात्र और चिरायु करें। इति शम्।
वैशाख कृष्ण ८ शुक्रवार | पुरुषोत्तम शर्म्मा चतुर्वेदी |
सं० १९८४ जयपुर |
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अंत मे श्रीगोवर्द्धनधरण से प्रार्थना करते हैं कि वे इस अनुवाद को साहित्यानुरागियों का प्रेमपात्र और चिरायु करें। इति शम्।
वैशाख कृष्ण ८ शुक्रवार | पुरुषोत्तम शर्म्मा चतुर्वेदी |
सं० १९८४ जयपुर |