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काव्य का कारण

अच्छा, अब यह भी सोचिए कि काव्य का कारण—जिसके होने पर ही काव्य बन सकता है, अन्यथा नहीं—क्या वस्तु है? इस विषय में भी पंडितराज का प्राचीनों से मतभेद है; आप उनके इस विषय के विचार भी सुनिए। वे कहते हैं—

काव्य का कारण केवल प्रतिभा है, और प्रतिभा शब्द का अर्थ है—काव्य बनाने के लिये जो शब्द एवं अर्थ अनुकूल हों, जिनसे काव्य बन जाय, उनकी उपस्थिति; अर्थात् काव्य बनाने के लिये जहाँ जिस शब्द की और जिस अर्थ की आवश्यकता हो, वहाँ उसका तत्काल उपस्थित हो जाना, ऐसा नहीं कि कविजी काव्य बनाने के लिये अकुला रहे हैं; परंतु न तो उसमें जोड़ने के लिये कोई सुंदर पद ही मिलते हैं और न कोई ऐसी बात ही याद आती है कि जिससे उनका कार्य सिद्ध हो