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पृष्ठ:हिंदी रस गंगाधर.djvu/२३

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का कोई धर्म था। अतः जब धर्म था तो भाषा अवश्यमेव थी और हिंदुओं की धार्मिक भाषा संस्कृत के अतिरिक्त अन्य कोई हो नहीं सकती; इस कारण आपको मानना पड़ेगा कि संस्कृत अरबी से प्राचीन है।' कहा जाता है कि इन तर्कों से बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ और तब से शाही दरबार में इनका भारी दबदबा हो गया।[]"

यह तो हुई किंवदंतियों की बात। अब समय का विचार कीजिए। इस विषय में अब तक लोगों ने मोटे तौर पर यह सोच लिया है कि शाहजहाँ का राज्याभिषेक सन् १६२८ ई॰ में हुआ और सन् १६५८ ई॰ में औरंगजेब के द्वारा वह कैद कर लिया गया तथा सन् १६६६ ई॰ मे मर गया। बस, यही पंडितराज का समय है। अतएव यह कहा जाता है कि 'अप्पय दीक्षित पंडितराज के समकालिक नहीं थे एवं उनके इनके कुछ विरोध नही था' इत्यादि।

पर, इस विषय में अब कुछ नवीन प्रमाण भी प्राप्त हुए हैं, जिन पर विचार करना आवश्यक है। अप्पय दीक्षित का एक ग्रंथ 'सिद्धान्तलेशसंग्रह' नाम का है। उसके कुंभकोणवाले संस्करण की भूमिका में विद्वान् भूमिका-लेखक ने २-३ श्लोक ऐसे लिखे हैं कि जिनसे पंडितराज के समय के विषय


  1. यह किंवदंती महामहोपाध्याय श्रीगिरिधर शर्माजी चतुर्वेदी के मुख से सुनी गई है, और अन्य किंवदंतियों की अपेक्षा कुछ प्रामाणिक प्रतीत होती है।