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हिन्दी राष्ट्र
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राष्ट्रीय भावना को जगाना होगा

एक अन्तिम बात और है जो इन सब बातों की आत्मा है । यह है लोगों में इस भाव का होना कि हम एक हैं। इस भाव को नीव उपर्युक्त बातों पर ही निर्भर है। इन बातों के दृढ़ होने से इसकी भी पुष्टि होती है। किन्तु इस भाव के जाग्रत होने का मुख्य कारण राष्ट्र के लोगों का एक साथ सुख दुःख उठाना है। बंगाल में राष्ट्रीयता के लक्षण होने पर भी इस भाव की जनता में जाग्रति बंगभंग के आन्दोलन से हुई थी। अपने को एक समझने का यह भाव इस समय हिन्दी-भाषा-भाषियों में नहीं है। इस भाव को जाग्रत करने के लिये सब से प्रथम यह नितान्त आवश्यक है कि भाषा, राज्य, हानिलाभ तथा देश आदि की एकताओं को पुष्ट कर के इस भाव की नींव सुदृढ़ कर ली जाय। तभी अवसर मिलने पर इस भाव का प्रत्यक्ष दर्शन भी हो सकेगा।

तात्पर्य यह है कि प्राकृतिक विभिन्नता तथा अन्य सब बातों को ध्यान में रखते हुये भारत के इस हिन्दी-भाषा-भाषो वृहत् मध्य भाग को अधिक से अधिक तीन भागों में विभक्त किया जा सकता है। राजस्थान एक प्रकार से पृथक् है ही। बिहार भी बहुत समय से पृथक् रहा है। शेष गंगा की घाटी और दक्षिण के विन्ध्य का भाग, जिसमें हिन्दी-भाषा-भाषी लोग रहते हैं, हमारा हिन्दी राष्ट्र है। यह मानना पड़ेगा कि बंगाल, आन्ध्र, गुजरात तथा महाराष्ट्र आदि की तरह भाषा, राज्य, हानिलाभ तथा देश की एकता अभी