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सूबा हिन्दुस्तान
 

आदमी के लिये तुलसीदास जी के रामचरितमानस की अपेक्षा ग्रन्थसाहब अधिक निकट हो सकता है, अथवा अयोध्या के लोगों को सूरदास और केशवदास के ललित ग्रन्थों की अपेक्षा विद्यापति ठाकुर की पदावली अधिक समझ में आवेगी? हिन्दीभाषा की इन पूर्वी और पश्चिमी बोलियों में इतनी अधिक समता है कि राष्ट्रीय दृष्टि से ये पृथक् नहीं मानी जा सकतीं। बंगाल की तरह हिन्दी-भाषा-भाषी लोगों के पूर्वी और पश्चिमी दो विभाग करना एक शरीर के दो टुकड़े करना होगा। अतः उचित यही है कि हिन्दी भाषा के अन्तर्गत गिनी जाने वाली खड़ीबोली बाँगडू , ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुन्देली, अवधी, बाघेली, छत्तीसगढ़ी तथा भोजपुरी इन नौ बोलियों के प्रदेशों का एक सूबा बने। इस सूबे की भाषा हिन्दी या हिन्दुस्तानी है, अतः इसका नाम सूबा हिन्द या हिन्दुस्तान होना चाहिये। यहाँ के लोग हिन्दी या हिन्दुस्तानी कहलावेंगे। आगे हम इसके लिये सूबा हिन्दुस्तान नाम का प्रयोग करेंगे।

इस सूबा हिन्दुस्तान में वर्तमान निम्नलिखित प्रान्त होंगे :—संयुक्त प्रान्त, मध्यप्रान्त के चौदह हिन्दुस्तानी ज़िले, देहली का छोटा प्रान्त, पंजाब में यमुना और सतजल के बीच के अम्बाला, कर्नाल हांसी, हिसार और रोहतक के पाँच जिले जिनकी बोली हिन्दी है पंजाबी नहीं, इन्दौर केर छोड़कर मध्यभारत के शेष रीवा, पन्ना तथा ग्वालियर आदि देशी राज्य, राजपूताना के भरतपुर, धौलपुर, करौली और अलवर के राज्य