पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१२२

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ईश्वराधीनत्व-ईषद्रत १२१

ईखराधीनत्व (सं० लो०) ईश्वराधीनता देखो। । ईष (सं० पु.) ई-क। १ तृतीय मनु उत्तमके ईश्वरानन्द (सं० पु.) १ ईश्वरका आमोद, खुदाकी पुत्र। २ आश्विनमास। ३ शिवके एक भृत्य। । खुशी। २ महाभाष्यप्रदोप-विवरणके रचयिता। ईषच्छास (सं० वि०) अल्पमुखरित, थोड़ा गूंजनेवाला। ईश्वरी (सं० स्त्री०) अश-वरट, चकारात् उपधाया ईषज्जल (सं० लो०) अल्प नौर, कुछ पानी। ईत्व टित्वात् डोप । अन्नोतरामुकर्मणि वरट् च। उण्. ५॥५७ ।। ईषण (सं० वि०) सत्वर, त्वरा करनेवाला, जल्दबाज । १ दुर्गा । २ लक्ष्मी। ३ सरस्वती। ४ सकल प्रकार शक्ति। ईषणा ( स० स्त्री० ) त्वरा, शिताबी, जल्दी। ५ लिङ्गिनौवक्ष। ६ वन्ध्याकर्कोटको लता,कड़वी ककड़ी। ईषणिन्, ईषण देखो। ७ नागदमनी, नागदेवना। ८ नाकुलोकन्द, बांदा। ईषत् (स अव्य०) ईष् बाहुलकात् अति। अल्प, 2 रुद्रजटा। १० ऐश्वर्यान्वित स्त्री, शान्दार औरत। किञ्चित्, खफीफ, जरासा, थोड़ा, कुछ, कम । ईखरीदत्त-शब्दबोधतरङ्गिणी-व्याकरणके रचयिता। ईषतकर (सं० त्रि०) ईषत्-क्व-रख ल। १ अत्यल्प, ईखरीनारायण सिंह (महाराज)-काशौके एक विद्योत्- बहुत कम । २ अल्पप्रयाससाध्य, आसानौसे होनेवाला। साही नृपति और महाराज उदितनारायण सिंहके ३ अल्पकारी, थोड़ा काम करनेवाला। भ्रातुष्षु न । उदितनारायणके मरने बाद १८३५ ई० में ईषत्कार्य (सं० वि०) अल्प चेष्टाविशिष्ट, खफीफ ये वाराणसीके राजपदपर अभिषिक्त हुए थे। ईश्वरी- कोशिशसे ताल्लक रखनेवाला। नारायण सुकवि और शिल्पी रहे। इनका रचित ईषत्पाण्ड (सं० वि०) ईषत् चासौ पाण्डुश्च । सुन्दर गान और स्वहस्त-निर्मित विविध हस्तिदन्तका १धसर, हलका भूरा। (पु.)२ धूसरवणं, हलका- कारकार्य रामनगरके राजभवन में विद्यमान है। ईखरौ- भूरा रङ्ग। नारायण बहुतसे कवियोंके आश्रयदाता थे। देव, हरि- ईषत्पान (सं० त्रि.) १ अल्प पोया हुआ, जो ज्यादा जन एवं उनके पुत्र सरदार, गणेश, वन्दन पाठक प्रभृति पोया न गया हो। (लो)२ सूक्ष्म पानीय, ज़रासा बहुतसे हिन्दुस्थानी कवि इनके आश्चय और साहाय्यसे कितनी ही कविता बना गये हैं। १८८८ ई०के ज्येष्ठ ईषत्प्रलम्भ (सं० त्रि.) अल्पार्थ प्राप्तव्य, थोड़ेसे मास महाराज ईश्वरीनारायणके परलोक पधारनेपर हासिल किया जानेवाला। उनके पुत्र महाराज प्रभुनारायणको राजपद मिला। | ईषत्स्यष्ट (सं० त्रि०) अल्प संस्पष्ट, कुछ छुवा हुआ। ईश्वरीप्रसाद-शब्दकौस्तुभ-व्याकरणके रचयिता। यह शब्द अर्धस्वरका विशेषण है। ईश्वरीप्रसाद त्रिपाठी-सौतापुर जिलेके पौरनगर ग्राममें | ईषद्, ईषत् देखो। रहनेवाले एक हिन्दुस्थानी कवि। १८८३ ई में ईषदुष्ण ( स० त्रि०) ईषत् च तदुष्णञ्चेति, कर्मधा० । यह जीवित रहे। इन्होंने विभिन्न छन्दोंमें वाल्मीकि- अल्पतप्त, खफोफ गर्म। इसके पर्यायमें कोष्ण, कवीष्य, रामायणका हिन्दी अनुवाद लिखा, जिसका नाम मन्दोष्ण और कदृष्ण शब्द भी आते हैं। 'रामविलास' रखा है। ईषदून (स० वि०) किञ्चित् न्यून, कुछ कम । ईश्वरीय (सं० त्रि०) दिव्य, दैव, रब्बानी। ईषद्गुण (स. त्रि.) अल्प उत्कर्ष-युक्त, कम-कदर, ईखरेच्छा (सं० स्त्री०) भगवान्को भाकाका,खुदाको मर्जी। जो थोड़ा वस्फ रखता हो। ईश्वरोपासना ( स० स्त्री०) भगवान्को पूजा, खुदाको ईषद्दर्शन (स. क्लो०) कटाक्ष, नज़र, चितवन । परस्तिश। ईषद्दीर्घ (स. क्लो०) वातामफल, बादाम । ईष्-तुदा: पर० सक० सेट् धातु। १ उच्छवृत्ति। ईषडास (सं० पु०) स्मित, मुसकराहट, हलको हंसी। भ्वा० आत्म सक० सेट् धातु। २ इससे दान, दर्शन, ईषट्रक्त (सं० पु०) अत्यल्प रक्तवर्ण, निहायत हलका गमन और हिंसाका अर्थ निकलता है।

सुखरङ्ग।

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घट। दूष