ईसाई प्राय: कितना हो पूर्वभाव बनाया है। किन्तु अब । विरुद्ध रहनेसे अग्राख है। ईसा मसीहको दैव और ईसाईधर्मका प्रबल स्रोत वह निकला है इसलिये किसी मानव प्रकृति एकत्र निबद्द है। वस्तु मतिसे कोई बातका ठिकाना नहीं लगता। इसी भारतवर्ष में देशी | प्रभेद नहीं।' यटिकेस के मतको मानकर उस समय ..और विदेशी मिलाकर चौदह लाखसे जपर काथोलिक कई समाज बन गये थे। उनके मरनेपर भी उक्त मत ईसाई रहते हैं। अंगरेजों के राजत्वसे प्रायः सकल सैकड़ोंवर्षे चला। इस समाजके लोगों में परवर्तीकाल यरोपीय देशों के धर्मप्रचारक भारतमें आ टिके हैं। कोई कोई फिर मोनोफिसाइट (Monophysites) अधिकांश काथोलिक गिर्जा और ईसाई-याजक गोया अर्थात् ईसाके एक-प्रकृतिवादी नामसे विख्यात हुये। वाले धर्माचार्यके अधीन हैं। वही एकप्रकृतिवाद आज भी याक बी (Jacobites) । सिरीयक-समाज। समाजमें चलता है। सिरीयक ईसाई समाज अतिप्राचीन और अन्ति ___यूफाइटोंके मत-वैषम्यसे सिरीयक समाजका पूर्व 'योक तथा जेरूसलमवाले प्रधान धर्मगुरुके (Patriarch)| गौरव घटने लगा। शेषमें इसलाम धर्मके अभ्युदयसे अधीन है। पूर्वकाल में यह समाज अतिशय समृद्धिशाली अत्यन्त अवनति हुई। ई०के ७म शताब्दमें इस समाज- हो गया था। ई०के ४थे शताब्दमें इस समाजके अधीन पर अधिक विपद पड़ी थो। ई०के पम शताब्दमें मेरो- ११८ बिशप (Bishop) और प्रायः दश लाखसे अधिक नाइटोंने मुसलमानोंके अत्याचारसे लेवेनन पर्वतपर ईसाई रहे। आजकल यह समाज मेरोनाइट, | रह स्व-धर्म बचाया। ये मेरोनाइट ही आदि याक बौ, असली सिरोयक और मेलकाइट (ग्रीक) सिरोयक ईसाईव शसे उत्पब हैं। किसीके मतानु- चार संप्रदश्यों में विभक्त हो गया है। ई०के पञ्चम सार ६३०ई०को सम्राट हेराक्लियस के समय सिरोयक शताब्दमें ईसा मसीह के अवतार सम्बन्धपर इस समाज में समाजमें मोनोथेलाइट ( Monothelite) अर्थात् एक झगड़ा पड़ा। ४४४ ई० को यूटिकेस (Eutyches) ईसाके एकच्छावादी नाम से निकलने और ६८०ई०को नामक एक पादरोने कनस्तान्तिनोपलमें प्रचार षष्ठ महासमितिमें ईसाई धर्म का विरुद्धवादो माना किया-'अवतार होनेसे पूर्व ईसा मसीहका आत्मा | जानेसे उठनेवाले सम्प्रदायके हो ये मेरोनाइट सन्तान ईखरसे मिला था; अवतार होनेसे पीछे भी वह हैं। ई के श्म शताब्दको मेरोण-आश्रममें मेरो नामक पूर्वभाव नहीं गया। ईसाके देव और मानव दोनो | एक धर्मगुरु रहते थे। उन्हीं को इस सम्प्रदाय के प्रकृति रहते भी मानवप्रकृति देवप्रकृतिसे जा मिली | अपना प्रधान-जैसा माननेसे 'मेरोनाइट' (Meronite) थी। इसी मतभेदपर सिरीयक-समाजमें विषम तक | नाम निकला। मुसलमानोंके आधिपत्यकाल सिरी- बडा हा। कनस्तान्तिनोपलके प्रधान धर्मगर| यक समाजमें केवल मेरोनाइट ही धर्म और स्वाधीनता (Patriarch) ल रियान्ने एक महासमिति अाह्वान | बचा सके थे। ई के १२श शताब्दको जेरूसलममें रोमक की। इस महासमितिने उक्त मत न माना। किन्तु | समाज जमनेसे इन्होंने एकेच्छाबाद छोड़ रोमक ४४८ ई०को जोफेसास को महासभामें मिशर-वाले समाजको अधोनता मान ली। १५८४ ई०को मेरो- ईसाई उदासोनके प्रबल आन्दोलनसे यूटिकेस्का मत नाइट याजकको अध्यापनाके लिये रोममें एक विश्व-' फिर सादर मान लिया गया। फरियान् और उनके विद्यालय खुला था। रोमक समाजको अधीनता सहचरका पद घटा था। उस समय सिरौयकसमाजमें मानते भी इस सम्प्रदायके ईसाई जातीय क्रियाकलाप उपरोक्त मतं ईसाई धर्मके मूलतत्त्वकी तरह चल और आचार-व्यवहारमें सम्पूर्ण अधिकार रखते हैं। पड़ा; किन्तु अधिक दिन न ठहरा। कालसिडनको । सिरीयक-भाषामें उपासनादि कम होता है। याज- महासभामें ६५० विशप लोगोंके विचारसे माना गया । कता करने से पूर्व विवाहित होनेपर याजक पनौके ज्या,-'पूर्वमत अत्यन्त प्रसङ्गत और ईसाई धर्मके | साथ रह सकता है, किन्तु याज कता पाने पर विवाह
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१३६
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