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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१५८

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उग्रबाहु-उघटाई १५७ (वि.) ४ उत्कट पुत्रविशिष्ट, जिसके ताकतवर ! पोछे कष्णने कंसको मारकर राज्य उग्रसेनके अधीन लड़का रहे। कर दिया। (भागवत ) उग्रबाहु (सं० त्रि०) उत्कट बाहुविशिष्ट, जोर- उग्रसेनज (सं० पु०) उग्रसेनसे उत्पन्न कंस । कंस देखो। दार बाजू रखनेवाला। उग्रसेना (सं० स्त्री०) अक्र रकी स्त्री। (हरिवंश ) उग्रभा (सं० स्त्री०) गोणसवली. एक बेल । उग्रा (सं० स्त्री.) १ धन्याक. धनिया। २ यमानी. उग्रम्पश्य (सं० त्रि.) उग्र-दृश -खश् मुम्। उग्र-, अजवायन। ३ संविदा मञ्जरी, गांजा। ४ वचा, दृष्टि-युक्त, कड़ी नजरवाला, जो सखू तोसे देखता हो। बच। ५ विकिका, नक चिकनी। ६ तीव्रवीय वन्य जन्तु व्याघ्रादि उग्रम्पश्य होते हैं। वस्तु, कड़ी या सख्त चीज़। “उग्रस्पश्याकुलेऽरण्ये ।” (भट्टि) उग्रादित्य आचार्य (सं• पु०) जैनग्रन्थ कल्याणकारक उग्रम्पश्या (सं० स्त्री०) अप्सरा विशेष, एक परी। मेटुके रचयिता। (अथर्वहिता हा११८५१) उग्रादेव (वै० पु० ) एक वदिक ऋषि । (ऋक् २।३६१८); उग्ररेताः (सं० पु०) रुद्र विशेष। (भागवत ) उग्रायुध (स० वि०) १ उत्कट आयुधविशिष्ट, उग्रवीर (सं० त्रि.) शक्तिशाली वीरविशिष्ट, ताकत- सखू त हथियार रखनेवाला। (पु.) २ एक प्राचीन वर सिपाही रखनेवाला। पौरव राजा। इनके पिताका नाम कृत और पुत्रका उग्रवौर्या ( स० क्लो०) १ हिङ्ग, होंग। (त्रि०) नाम क्षेम्य रहा। इन्होंने निज बाहुबलसे नीपवंश २ उत्कट वीर्यविशिष्ट, सखू त ताकत रखनेवाला। और अन्यान्य नृपतिको मार डाला था। कुरुवार उग्रव्यग्र (स.पु.) एक दानवका नाम । भीष्मके पिटवियोगसे कातर होनेपर उग्रायुधने दूत उग्रशक्ति (सं० पु.) एक राजा। ये राजा अमर- हारा कहला भेजा,-'भीष्म ! तुम्हारी जननी गन्ध- शक्तिके पुत्र थे। काली स्त्रीगणके मध्य रत्नखरूप हैं। उन्हें हमको उग्रशासन (सं० त्रि०) श्राज्ञा देने में उत्कट, दे डालो। हम तुम्हें अतुल ऐश्वर्यशाली बना- कड़ा हुकम निकालता हो। देंगे। किन्तु भीम उस समय कुछ न बोले। उग्रशेखरा (सं० स्त्री०) उग्रशेखरः अच-टाप । अर्श आदिभ्यी- पिताका अशौच काल वौतने पर उन्होंने घोरतर युद्द ऽच। पा ५।२।१२७। महादेवके मस्तक पर रहनेवाली कर उग्रायुधको मार डाला था। (महाभारत ) गङ्गा। वाध्वगागोन्धिनी गङ्गा हेमवत्य गशे खरा। (विकासशे० २।२।३८) उग्रेश (सं० पु. ) उग्राणां ईशः। . १ शिव ।। उग्रशोक (सं• त्रि.) उत्कट शोकयुक्त, बड़े अफ- २ उग्रका बनवाया एक मन्दिर । सोसमें पड़ा हुआ। उघटना (हिं. क्रि०) १ उद्घाटन करना, खोलना। उग्र-श्रवण-दर्शन (सं० वि०) उत्कट श्रवण एवं | २ उत्कथन करना, कह देना। ३ताल लगाना, सम दर्शनविशिष्ट, जो देखने-सुनने में खौफ़नाक हो। देखाना। ४ विगत विषय बताना, गड़े मुर्दे उखा- उग्रशवस (सं० पु.) १ सौरि, कों राजा । २ त डना। ५ उपहास्य करना, हंसी उड़ाना। निन्दा- राष्ट्र के एक पुत्र। वाद करना, भली-बुरौ सुनाना। उग्रसेन (सं० पु.) १ परीक्षितके एक पुत्र और उघटवाना, उघटाना देखी। जनमेजयके भ्राता। (शतपथब्राह्मण १।५।४।३) २ मथरा उघटा (हिं. वि.) उदघाटन करनेवाला, जो देशके एक राजा। ये पाहुकके पुत्र और कंसके खोल देता हो। पिता थे। इनकी पत्नीका नाम कौँ था । उग्रसेनको उघटाई (हिं. स्त्री०) १ उदघाटन, खोलाई । राज्यच्युत कर कंस वयं सिंहासन पर बैठा था। ' २ सत्कथन, कहाई। .. Vol. III. 40