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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/१९५

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उत्कर्ष-उत्कल (उड़ीसा) । मूढगर्भको चिकित्साका एक उपाय, हमलकी बीमारी | समान एवं उर्वर तथा गड़जात वा करद राज्य का नुसखा। मूलमर्म देखो। पार्वत्य भूभाग हैं। समस्थ सो महानदी, ब्राह्मणी तथा उत्कर्ष ( स० पु. ) उत्-कष-घ । १ अतिसार, वैतरणीको महीसे बनी है। महानदी तथा ब्राह्मणी दस्तको दीमागे । २ श्रेष्ठता, अजमत, बड़ाई। मध्यभारत और वैतरणी मयूरमञ्ज एवं के उझर "उत्कर्ष योषितः प्राप्ता: स्खे: स्व भर्तु गुण: सभैः।" (मनु २४) । वरद राज्यके पर्व तसे निकलती है। ये तीनों ३ वृद्धि, बढ़ती। ४ आकर्षण, कशिश, बँचतान। नदी समुद्रतटकी ओर धीरे धीरे मिलनेको बढती ५ सौभाग्य, इकबालमन्दी, लहर-बहर। ६ प्राधिका, और उड़ीसा समस्थली पर अपना संग्टहीत जल . ज्यादतो। ७ अहङ्कार, फख र, घमण्ड। ८ अभिमान, ३० मोलके अन्तरसे छोड़ती हैं। किन्तु ग्रोममें कहीं शेखो। ८ आनन्द, खुशी। (वि.) १० उन्नत, कहीं पानी सूख जाता है। सालनदी और सुवर्ण रेखा बुलन्द, ऊंचा। ११ अधिक, ज्यादा, बहुत । १२ अभि- छोटो नदी हैं। वर्षा में बड़ी बाद, पातो और नदी मानी, शेखीबाज। १३ आकर्षक, खींच लेनेवाला। फली नहीं ममातीं। इसीलिये श्राधा जल नदीको उत्कर्षक (सं.वि.) उत्-कृष-णिच-ख ल।१ उन्नति राह समुद्र पहुंचता और प्राधा किनारे तोड़ फोड़ कारक, बलन्द बनानेवाला, जो ऊपरको खोंच देशको ही सोंचता है। महानदीमें ४५००० हजार देता हो। २ उत्पाटनकारी, उखाड़ डालनेवाला। वर्ग मील भूमिका जल पाता है। पहले यह पर्वतके ३ कर्षणकारी, खींच लेनेवाला। नीचे नीचे बहती और दोनों किनारसे पानेवाली उत्कर्षण (सं० लो०) उत्-शष-ल्युट । अर्ध्व आक अनेक शाखा प्रशाखाओं में रहती है। किन्तु समस्थ जोसे र्षण, ऊपरको पोरको खिंचाव। यह सुश्रुतोक्त मूढ़- | मिलते ही रूप बदल जाता है। यह अपने ही रखे गर्भको चिकित्साका एक उपाय है। रेतपर चढ़ने लगती है। दोनो किनारे ऊंचे पड़ उत्कर्षता (स. स्त्री०) १ उन्नति, तरक्की, बढ़तौ।। जाते हैं। इससे शाखा प्रशाखा निकलती हैं। फिर २ आधिक्य, ज्यादती। ३ अभिमान, शेखो। ४ आक अधिक वेग नहीं रहता ओर जल समुद्रतक जा पहु- घण, खिंचाव। ५ सौभाग्य, इकबालमन्दी। चता है। इसी प्रकार चारो ओर रेतका ढेर लगनेसे उत्कर्षित (स.नि.) आकर्षित, खिंचा हुआ। उडीसा समस्थली तैयार होती है। 'उत्कर्षिन् ( स० त्रि.) उत-कृष-णिनि । १ अर्ध्वाकर, ___ उड़ीसा प्रान्त धीरे धीरे नदी किनारसे नीचेको उठा देनेवाला। २ उत्कर्षान्वित, ऊपरको उठा हुआ। ढलता है। इससे बाढ़ आनेपर पानो लौटकर नदी उत्कल (उड़ीसा)-भारतका एक प्रान्त । यह अक्षा | पहुंच नहीं सकता। पके खेत डूब जाते हैं। जब- २९. २८ ए२२° ३४ १५“ और ट्राधि० ८३°३६ ३०, तक नदी अच्छी तरह नहीं उतरतो, तबतक अधिकांश तथा ८७°३१३० पूर्यके बीच अवस्थित है। विहार और भूमि जलमें मग्न हो रहती है। गन्दे दलदलोंकी उड़ीसाके गवरनर इसका शासन करते हैं। उडीसामें वायु बिगड़ने से मलेरिया फूट पड़ता है। कितने ही मित्र राज्य भी संमिलित हैं। इससे उत्तर ___ उड़ीसामें हिन्दू, मुसलमान, ईसाई, बौद्ध, यहूदी तथा उत्तरपूर्व छोटा नागपुर एवं बङ्गालदेश, पूर्व तथा | तथा दूसरे मतावलम्बी भी रहते हैं। वकली या दक्षिण पूर्व बङ्गालको खाडी, दक्षिण मन्द्राज प्रदेशका महिमा-धम्मो वहांका एक प्रच्छन्न बौद्ध-सम्प्रदाय है। गज्जाम जिला और पश्चिम मध्यप्रदेश पड़ता है। मुख्य महिमाधम्यो देखो। किन्तु हिन्दू धर्मका चमत्कार अधिक उडीसा ८०५३ और मित्र राज्यका क्षेत्रफल १५१८ है। वैतरणी पार होते ही पुण्यभूमि मिलती है। वर्ग मौल है। लोकसंख्या प्रायः पचास लाख होगी। । वैतरणीके दक्षिण तटपर अनेक शिवालय बने हैं। उड़ीसेको भूमि दो प्रकारको है। मोगलबन्दी | याजपुरमें पार्वतीका स्थान है। वह कौनसा राज- वा अंगेरेज़ी-कटक, बालेखर और पुरी ज़िला कीय विभाग है, जहां स्मारक पर स्मारक नहीं