उत्तरकोशल-उत्तरदिकपाश २०६ सदृश क्षीर पीते हैं। चक्रवाक और चक्रवाकीकी तरह। उत्तरज्योतिषञ्चैव तथा दिव्यकटं पुरम् ।।" (भारत, सभा, ३१ १०) दम्पती एक कालमें जन्म ले समभावसे बढ़ते हैं। वे उत्तरण (सं० क्लो) उत्-ट ल्यु ट्। १ नद्यादिके एकादश सहस्र वत्सर जीते और एक दूसरेको कभी। पारको जाना, उतराई। २किसी स्थानमें उपस्थित नहीं छोड़ते। मरनेपर भारुण्ड पक्षी उन्हें उठा होना, पहुँच। गिरिदरीमें फेंक देते हैं।* (महाभारत भीष्म ७५०, रामायण | उत्तरणस्थान (स० क्लो०) सराय, अड्डा, पड़ाव, किष्किन्धया ४३ सर्ग) मुकाम, उतरनेको जगह। उत्तरकोशल-प्राचीन जनपदविशेष, एक पुराणा मुल्क। उत्तरतन्त्र (सं. लो०) सुश्रुतके वैद्यक ग्रन्थका वर्तमान अयोध्याप्रदेशके उत्तरांशका पहले यही अन्तिम भाग। नाम था। उत्तरतर (सं० वि०) अधिक उच्च दूर वा व्यव- उत्तरकोशला (सं० स्त्री०) उत्तरकोशलको राजधानी छिन्त्र, ज्यादा ऊंचा, जो बहुत हटा हो। अयोध्या नगरी। उत्तरतस् (स अव्य०) १ उत्तरके प्रति, बाई ओर उत्तरकेन्द्र (सं० पु०) पृथिवीका उत्तर प्रान्त, ऊपर। २ पश्चात्, पौछ। जमीनका शिमाली मुल्क। उत्तरतापनीय (सं० पु०) नृसिहतापनीयोपनि- उत्तरक्रिया (सं. स्त्री.) १ उत्तरकालका कर्तव्य षटुका शेष भाग। कर्म, पिछले वक्तका काम । २ सांवत्सरिक श्राद्धादि । उत्तरत्र (स• अव्य०) पश्चात्, पीछे, अखौरको। उत्तरखण्ड (सं० लो०) १ अन्तिम अध्याय, आखिरी उत्तरदाट (स.पु.) उत्तर देने की क्षमता रखने- बाब । २ पद्म, गरुड़ और शिवपुराणका अन्तिम भाग। वाला, जवाबदिह, जिम्मेवार, जिसे भलेबुरेका जवाब उत्तरखण्डन (सं. क्लो) प्रतिक्षेप, प्रत्याख्यान, देना पड़े। तरहीद, काट, झुठलाव। उत्तरदायक (सं.वि.) उत्तरं ददाति, उत्तर-दा- उत्तरगुण (सं० पु.) जैनशास्त्रके अनुसार मुनिके खल्। १ प्रतुत्तरदाता, सवालका जवाब लगाने- मूल गुणको बचानेवाला गुण । वाला। २. प्रभुके समक्ष उत्तर प्रदानसे निज दोषके उत्तरङ्ग ( स० क्लो०) उत्तरमङ्गम्, कर्म० शकन्धान गोपनकी चेष्टा करनेवाला, जो मालिकके सामने जवाब १ हारोवस्थ दारु, दरवाजेके ठाठपर लगनेवाली | लगा अपना ऐब छिपानेकी कोशिश करता हो। लकड़ीकी मेहराब। (त्रि.)२ उद्गत तरङ्ग, लहर "परपुसि रता नारी भृत्यश्चोत्तरदायकः । लेनेवाला। “अपामिवाधारमनुत्तरङ्गम्।” (कुमार ३४८) । सस च ग्टह वासो मृत्यु रेव न संशयः ॥” (हितोपदेश) उत्तरच्छद (सं० पु०) शय्याके उपरि आस्तरणका उत्तरदायित्व (स० ली.) उत्तर देनेका अधिकार, वस्त्र, विछौनेके ऊपरको चादर । जवाबदिही, जिम्मेवारी। उत्तरज ( सं. त्रि०) पश्चाज्जात, जो पीछे पैदा हो। उत्तरदायी (सं० त्रि.) उत्तर देने का अधिकार उत्तरज्या . (सं० स्त्री०) वृत्तखण्डका सुप्रतिष्ठित रखनेवाला. जवाबटिह, जिम्मेवार. जिसे भलेबरका । ज्यापिण्ड, कौसका माहिर जैब जाविया। सुप्रतिष्ठित जवाब देना पड़े। ज्यापिण्ड द्वारा अधीकत गुण के द्वितीय अर्धा को भी उत्तरदिक् (सं० स्त्री० ) दिक् विशेष, उदीची, यही संज्ञा है। ‘शिमाल । उत्तरज्योतिष (सं० पु०) भारतका पश्चिमोत्तरप्रान्तीय उत्तरदिककाल (सं. पु०) रविवारका उत्तरदिगवर्ती जनपद विशेष। “कृतस्त्र पञ्जनदव तवामरपर्वतम् । .काल। - लिनिने अत्तकीरस नामक एक जनपद लिखा है। उसके साथ उत्तरदिपाश (सं० पु.) वृहस्पतिवारके दिन उत्तर- संस्कृत उत्तर कुरुका कितना ही सादृश्य लक्षित है। दिक्में यात्रा युद्धादिके निषेधका ज्ञापक पाशचक्र । Vol III. .53
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