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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२११

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२१. उत्तरदिकस्थ–उत्तरफल्गुनी उत्तरदिकस्य (सं० वि०) उत्तर दिक्पर अवस्थित, उत्तरपर्वत (सं० पु० ) उत्तरदिक्स्थ पर्वत, शिमालो उत्तरीय, शिमाली, जो उत्तरको ओर हो। पहाड़। उत्तरदिगीश (सं० पु.) १ कुवेर । २ बुद्ध। यह उत्तरपश्चार्ध ( स० पु०) उत्तर और पश्चिमका अर्ध, दोनों देवता उत्तरदिकके अधिपति हैं। शिमालो और मगरबी अदा। उत्तरदिग्वलो (सं० पु.) उत्तरस्यां दिश वली। उत्तरपश्चिम (सं. त्रि.) उत्तर एवं पथिम दिकस्थ, १ गुरु। २ चन्द्र। ये दोनों ग्रह उत्तरकी भोर थिमाली और मगरबी। बलवान् होते हैं। उत्तरपाड़ा-बङ्गाल प्रान्तके हुगली जिलेका एक नगर । उत्तरदिश, उत्तरदिक् देखो। यह बालोसे उत्तर हुगली नदीपर अवस्थित है। उत्तरदेश (स.पु.) उत्तरको भोरका देश, मुल्क मुनिसपलिटी बड़ी है। यहां गवरनमेण्ट स्कूल चलता शिमाली, ऊंचा देश। है। जयकृष्ण मुखोपाध्याय नामक एक बड़े जमीन्दारने उत्तरधेय (सं• त्रि.) पञ्चाव किया जानेवाला, जो यहां सर्व साधारणके पढ़ने का एक विराट पुस्तकालय पीछे बन सके। - स्थापित कराया है। उसमें प्रान्तीय स्थानवर्णनके उत्तरनाभि (सं० पु. स्त्री०) यन्नके उत्तरका कुण्ड, अच्छे अच्छे ग्रन्य रखे हैं। सरकारी चिकित्सालय जो कुण्ड यज्ञमें उत्तरको ओर बना हो। भी विद्यमान है। उत्तरपक्ष (सं० पु.) १ विचारपक्ष, प्रत्याख्यान, उत्तरपाद (स० पु०) चतुष्पाद व्यवहारके अन्तर्गत तरदोद, काट, झुठलाव। यह पूर्वपक्षके सिद्धान्तको द्वितीय पाद, अदालती कार्यवाईका एक हिस्सा यह काट डालता है। २ उत्तर विकल्प, पहली बहसका जवाब या बचावसे सम्बन्ध रखता है। प्रत्येक अभि- जवाब। ३ कृष्णपक्ष, अंधेरा पाख। ४ उत्तरीय वा| योगमें चार विभाग पड़ते हैं। वाम पाख, शिमाली या बाई ओर। ___“पूर्वपक्ष: स्म तः पादो द्वितीययोत्तरः स्म तः।" (वृहस्पति) उत्तरपक्षता (सं० स्त्री. ) फल, आशय, नतीजा, उत्तरपुरस्तात् (सं० अव्य. ) उत्तर-पश्चिमाभिमुख, मतलब। शिमाल और मगरिबको ओर। " उत्तरपक्षत्व (सं० लो०) उत्तरपक्षता देखो। उत्तरपूर्व (सं० वि०) उत्तर एवं पूर्व दिगस्थ, उत्तरपट (स.पु.) उपरिस्थ वस्त्र, ऊपरका कपड़ा। शिमाली और शरको। २ उत्तरको पूर्व समझनेवाला, उपरना, ओढ़नी, चादर वगैरहको उत्तरपट कहते हैं। जो शिमालको मशरिक खयाल करता हो। (पु.) उत्तरपथ (स० पु०) उत्तरीय मार्ग, देवयान, ३ ईशान कोण । शिमाली राह, जो गलो उत्तरको निकल गई हो। उत्तरप्रच्छद (सं० पु.) तूलिकासं स्तर, रजाई, उत्तरपथिक (स.वि.) उत्तरः तद्देशभवः पन्थानम. गुदड़ी। कन्। पथः कन्। पा ५।१ । ७५ । उत्तरदेशवासी, शिमा- उत्तरप्रत्युत्तर (स० क्लो०) १ विवाद, झगड़ा, लका रहनेवाला। बहस । २ अभियोगका हेतु उत्तरवाद, कानूनी बहस, उत्तरपद (स. क्लो०) १ समासका शेष पद, मिले जवाबपर जवाब। हुये लफ्.ज़का आखिरी हिस्मा। २ समासयोग्य | उत्तरप्रोष्ठपदयुग (स० क्लो) युग-वत्सरभेद । पद। इसमें नन्दन, विजय, जय, मन्मथ और दुर्मुख वत्सर उत्तरपदिक (सं. वि.) समासके अन्तिम पदसे | पड़ता है। सम्बन्ध रखनेवाला, जो मिले हुये लफ्.जके आखिरी. उत्तरप्रोष्ठपदा (म० स्त्रो०) उत्तरभाद्रपद देखो । टुकड़ेसे ताल्लुक रखता हो। उत्तरफला नी (सं० स्त्री) उत्तरा फलति, फल. उत्तरपदकीय, उत्तरपदिक देखो। उनन्-गुक्, गौरादित्वात् ङीष् फलान शब्दात् स्वार्थे