२१४ उत्तरायणी-उत्तजन सोमानिर्णायक रेखा, जो सतर आफताबके शिमाल , उत्तरिका (सं० स्त्री०) नदी विशेष, एक दरया। जानेको चाल ठहरातो हो। (Tropic of Cancer) | भरतने राजग्टहसे अयोध्या पाते समय समतीर्थ उत्तरायणी (स' स्त्री०) सङ्गीतको मूछनाका एक भेद । नामक ग्राममें इस नदीको पार किया था। उत्तरगा उत्तरारणी (स. स्त्री०) जव घरणि। इसोको | पाठान्तर भी लक्षित है। (रामायण अयोध्या ७॥१४) काटनेसे यज्ञीय प्रमन्य बनता है। | उत्तरिणी (सं. स्त्री०) उत्तम अरणी, बढ़िया उत्तरार्थ ( स० वि०) निम्नलिखित विषयक अथे, पाकर। यह कटुक, शीत, चक्षुहितकर, लघु, उष्ण, तफसील जलके लिये। स्निग्ध, सारक, तुवर,व्रणरोपण एवं सुखप्रसव कर होती उत्तरार्ध (सं० लो०) उत्कृष्टमर्धम्। १ देहका | और कास, व्रण, कृमि, खास, ज्वर, पित्त, प्रमेह, कफ, उपरिभाग, जिसमका ऊपरी हिस्सा। २ शेषाध, कुष्ठ, प्रलाप, वात, तन्द्रा, दद्रु, क्षय, मूत्रक्वच्छ, योनि- अाखिरी श्रद्धा । “मध्ये नेवोत्तराधे नान्यमवेक्षते ।" (शतपथ रोग तथा शोथको खोती है। इसका शाक ब्रामण १।२१।१३) ३ दूरतर अन्त, ज्यादा दूरका सिरा।। उष्यावीर्य एवं तित रहता और कृमि, अर्श, कुष्ठ, कफ ४ उत्तरका अध, बायां पड़ा। तथा वातको हरता है। फल रोगमुक्त, तिक्त, उष्ण, उत्तरार्ध (वै• त्रि०) उत्तरदिकस्थ, शिमालको भोर कटुक, लघु, अग्निप्रदीपक, पित्तकोपकर, कल्याणप्रद पड़नेवाला। और विषनाशक है। (वैद्यकनिघण्ट) उत्तरावत् (दै० त्रि०) विजयी, फतहमन्द, जीतने | उत्तरिन् (सं० वि०) श्रेष्ठ, बड़ा। वाला। उत्तरीय (सं० लो०) उत्तरस्मिन् देहभागे, छ। उत्तराशा (सं० स्त्री०) उत्तर दिक, शिमाल । गहादिभ्यश्च । पा ४।।१३८ । उत्तरीयकवस्त्र, उपरना, प्रोढ़नी, उत्तराशाधिपति (स० पु०) उत्तर दिक्के स्वामी, चद्दर। (वि०) २ ऊर्ध्व स्थित, ऊपरी। ३ उत्तर- कुवेर । दिक स्थ, शिमाली। उत्तराशापति, उत्तराशाधिपति देखो। उत्तरीयक, उत्तरौथ देखो। सराश्मन् (स पु०) १पार्वतीय देश विशेष, एक उत्तरेतरा (सं० स्त्री०) दक्षिण विभाग, जनबी तरफ । पहाड़ी मुल्क । २ पार्वतीय नद विशेष, एक पहाड़ी उत्तरेद्युस् (सं० अव्य० ) पर दिन, पागामी दिवस, दरया। (राजतरङ्गियी ४।१५७) कल। उत्तराषाढ़ा (सं० स्त्री०) उत्तरा-पाषाढ़ा। एक उत्तरोत्तर (सं० वि०) उत्तरस्मादुत्तरः। १ अधिकाधिक, विंश नक्षत्र। इसका रूप सूर्य के समान होता है। ज्यादा ज्यादा। (अव्य० ) २ क्रम-क्रम, धीरे-धीरे, ' यह दो तारा युक्त है। अधिदेवता विश्व हैं। किसीके बराबर। (लो०) ३ उत्तर पर उत्तर, जवाबका मतमें यह आठ तारका रखता और गजके दन्तवत् | जबाब । ४ वार्तालाप, गुफ तग। ५ प्रतिवचन, रद्द लगता है। इस नक्षत्र में जन्म लेनेसे मनुष्य दाता, जवाब। ६ आधिक्य, ज्यादती। ७ अनुक्रम, सिल- दयावान्, विजयी, विनीत, सत्कर्मी, धनशाली, स्त्री- सिला। ८ अवतरण, उतार। पुत्रयुक्त और अत्यन्त मुखी निकलता है। उत्तरोत्तरिन् (सं० त्रि.) १ सर्वदा वृद्धिशाली, हमेशा उत्तरासङ्ग (सं० पु०) अर्धे आसज्यते, उत्तर-आ बढ़नेवाला। २ अन्यके पीछे पानेवाला, जो दूसरेके सज-धञ्। उत्तरीयक, ओढ़नी, चादर, पिछोरी, बाद पड़ता हो। ऊपरी या बाहरी कपड़ा। उत्तरोष्ठ (सं० पु. ) जपरिस्थ पोष्ठ, ऊपरका अोठ। उत्तराह (सं० पु०) उत्तर-अहः-टच् । परदिन, | उत्तरौष्ठ, उत्तरोष्ठ देखो। आगे आनेवाला रोज़, कल। उत्तजन (सं० क्ली०) उच्चस्तर्जनम्, प्रादि. समा०। उत्तराहि. (सं० अव्य० ) उत्तरसे, शिमालसे। . | उच्चैः खरकी भर्त सना, जोरकी झाड़-फटकार।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२१५
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