पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२२७

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२२६ उत्सुकता-उदक जान्से लगे। ३ पश्चात्तापकारी, पछतानेवाला।। पाठ यवके बराबर होता है और इससे जीवोंके शरीर ४ व्याकुल, बेचैन । (पु.) ५ उत्कण्ठा, खाहिश, चाह। को ऊंचाई तथा छोटी वस्तुओंका परिमाण होता है। (जैन इरिव'श०४१) उत्सुकता (सं० स्त्री. ) १ व्याकुलता, बैचैनी। २ प्रेम, प्यार। ३ पश्चात्ताप, पछतावा, तकलीफ। उत समय (स० पु०) मन्दहास्य, मुसकुराहट। उस मन (म. वि.) उत्त क्रान्तः सत्रम. अत्याउत स्पयत (सं०वि०) मन्दहास्ययुक्त, मुसकरानेवाला। समा०।१ सूत्रसे वहि त, धागसे पलग, जो लड़ीमें उत स्थ (वै० वि०) कूप वा निझरसे पानेवाला, न हो। २अनियमित, बेकायदा, ढोला। | जो कुवेंया भरनेसे निकलता हो। उत सूर (स० पु०) प्रतिक्रान्तं सूरं सूर्यम् । दिना- उथपना (हिं० कि.) उत्थान करना, निकालना, वसान, विकाल, शाम, सूरज डूबनेका समय। - हटाना। उत्सृजन (सं० क्लो) उत-सृज-ल्यु ट्। १ त्याग, उथल (हिं० वि०) १ अगभीर, जो गहरा न हो। सर्क। २ समर्पण, सौंप देने का काम । २ तुच्छ, छिछोरा। ३ भेदको गुप्त रख न सकनेवाला, उत सुन्य (सं.अव्य.) त्याग करके, छोडके। पेटका इलका। उत सृष्ट ( सं. वि. ) उत-मुज-क्त। १ त्यक्त, उथलना (हिं. क्रि०) चञ्चल बनना, पाबन्द न छोड़ा हुघा। २ दत्त, दिया हुपा। इस्रावित, रहना। इंडेला हुया, जो फेंक दिया गया हो। उथलपुथल (हिं० वि०) १ परिवर्तित, औंधा, उत सृष्टपशु (सं० पु.) त्यक्त वृषभ, छोड़ा हुआ उलटा-पुलटा। (क्रि.वि.) २ परिवर्तित रूपसे, सांड। यह किसीके मरनेपर छोड़ा जाता है। उलट-पुलटकर। उत्सृष्टवत् (सं० त्रि.) त्याग करनेवाला, जो छोड़ उथला, उथल देखो । देता हो। उथलाना (हि.क्रि.) १ परिवर्तित करना, इधरका उत्सृष्टत्ति (सं० स्त्री० ) त्यक्तवस्तु द्वारा निर्वाह । उधर लगाना।२ अव्यवस्थित बनाना,गड़बड़ डालना। उत्सृष्टि (सं० स्त्री०) त्याग, तक। ३ स्थानच्यु त करना, असली जगहसे हटा देना। उत् सृष्टु काम ( स० वि०) त्याग करनेका अभि- उद् (स• अव्य० ) उक्विप-तुक । १ प्रकाशमें, लाषी, जो छोड़ना चाहता हो। . देखते-देखते, खुला-खुली। २ विभागसे, बांटकर। उत्सेक (सं० पु० ) उत्-सिच्-धञ् । १ गल्प, अह ३ लाभपर, फायदेसे । ४ उत्कर्ष में, बढ़कर। ५ ऊर्ध्व वार, घमण्ड। २ उट्रेक, उंडेल। ३ उपरिसेक, पर, ऊपर-ऊपर। ६ प्राबल्यमें, जबरन्। ७ प्राश्चर्य से, उफान । ४ वृद्धि, बाढ़। ताज्जुबके साथ। ८शक्तिमें, जोर देकर। ८ प्राधान्य उत्से किन् (सं० वि०) १ वृदिशौल, उमडनेवाला। पर, दवावसे । १० वन्धनमें, पकड़कर। ११ भावपर, २ अहङ्कारी, घमण्डी। हालतके मुवाफिक। १२ मोक्षसे, छोड़ते हुये। उत्सेचन (स• क्लो०) उत्-सिच-त्यु ट । जर्व १३ ब्रह्मपर, परमेश्वरके नामसे। १४ अवास्थापर, सेचन, उबाल, उफान, बहाव, बढाव । नातनदुरुस्तीसे। यह शब्द संज्ञा और क्रियाके पहले उतसेध ( स० वि०) उत-सिध-वञ् । १ उच्च, पाता है। । ऊंचा। (पु.) २ पर्वत वृक्षादिका देयं, पहाड़ उद (सं० लो०) उन्द-अच निपातनात्। १ नल, पेड वगैरहको उचाई। ३ उपरिभाग, ऊपरी हिस्सा। पानी। “सहस्वराबीरुदवासतत्परा।" (कुमार ५१६) (पु.) ४ स्थ लता, मोटापन। ५ शोथ, सूजन। ६ प्राधिक्य, २ करिशृङ्खला, हाथोको जोर। . . बढ़ती। ७ देह, जिस्म । (क्लो०) ८ वध, कतल। उदक् (स अव्य० ) १ उत्तरदिक्. शिमालको तर्फ। उतसेधांगल-एक परिमाण । जेनशास्त्रानुसार यह २ उपरि, ऊपर। ३ अन्ततः, पाखिरश। (वि.)