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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२२८

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२२० उदक-उदकशान्ति ४ ऊर्ध्वगमनशील, ऊपरको घूमा हुपा। ५ उपरिस्थ, : उदकप्रमेह, उदकनेह देखो। ऊपरवाला। 4 उत्तरस्थ, थिमाली । ७ अन्ता, उदकभार (स• पु०) जलका युग, पानी ले अाखिरी। जानकी कड़ी उदक ( सं० क्ली. ) उन्दो क्लेदने उन्द कुन् । उदकभूम (सं• पु०) श्राद्र स्थली, तर जमीन् । उदकश्च। ठण् २०३९। १ जल, पानी। नल देखो । २ करि- उदकमच्चिका (सं० स्त्रो० ) जलके प्रसाधनार्थ एक शृङ्खल, हाथी बांधनेको जमीर । आधार, पानी रखने का अड्डा। उदककार्य (सलो .) १ जल हारा किया जाने- उदकमञ्जरीरस (स'. पु०) निरामज्वरका एक वाला एक धार्मिक कार्य। ३ देहशुचि, जिस्म की रस, पके हुये बुखारको एक दवा। एक एक भाग सफ़ाई। ३ मृतके अर्थ हवन। पारा, गन्धक, सोहागको फूली और मरिच तथा चार उदककुम्भ (सं० पु.) जलघट, पानीका घड़ा। भाग शर्कराको २४ प्रहर बार बार भावना देनेसे यह उदकक्रिया (सं० स्त्रो०) शास्त्रविहित जलादि रस बनता है। फिर शर्कराके स्थानमें मनःशिला हारा तर्पण। तर्पण देखी। डालनेसे चन्द्रशेखररस निकलता है। (रसेन्द्रसारसंग्रह) उदकक्रीड़न (स. क्लो०) जलविहार, पानीका खेल। उदकमण्डल, उदककुम्भ देखो। उदककच्छ (स.पु) व्रत विशेष। इसमें एक उदकमन्य (सं० पु.) निस्त्वचीभूत शस्य विशेष, मास पर्यन्त केवल यवका सत खाते और जल पीते हैं। एक पनाज। इसका छिलका उतरा रहता है। उदकगाह (सं० पु०) जल प्रवेश, पानीमें दखल। | उदकमेह (स० लो०) कफोत्य मेह विशेष, बल- उदकगिरि (सं. पु०) जलप्रवाहयुक्त पर्वत, नदी गमसे पैदा हुआ जिरियान्। इसमें अच्छ, बलुसित, नालेसे भरा हुआ पहाड़। शीत, निर्गन्ध, उदकोपम और किञ्चित् प्राविल पिच्छल उदकट (सं.वि.) १ जल प्रदान करनेवाला, जो मेह बहता है। (माधव निदान ) पानी देता हो। (पु०) २ उत्तराधिकारी, वारिश, उदकमेहिन् (सं० त्रि०) उदकमेहका रोगी, जिसके जो पितरको पानी दे सकता हो। । बलगमका जिरियान् रहे। उदकदाट, उदकद देखी। उदकवज (स० पु.) गर्जित वृष्टि, कड़कड़ाहटको उदकदान ( स० क्लो०) उदकक्रिया देखो। बारिश। उदकदानिक (स.वि.) तर्पण सम्बन्धीय । उदकल, उदकवत् देखो। उदकधर (सं० पु.) जलधर, बादल । उदकवत् (सं० त्रि.) जलसंयुता, पानोसे भरा हुआ। उदकना ( हिं• क्रि०) ऊपर उठ आना, निकल उदकविन्दु (स० पु.) जलका लव, पानीका बूंद । जाना। उदकवह स्रोत (सं० लो०) जलबह नाड़ो, पानी उदकपरीक्षा (सं० स्त्री०) विवाहादिके समयपर चलनेको नस। ये दो होते हैं। मूल तालु और अपर लौकिक प्रमाण न मिलते जलमञ्जनादि द्वारा शपथका लोममें हैं। (सुश्रुत शारीरस्थान) कराना। उदकवहाः (सं. स्त्री.), उदकवहस्रोत देखो। उदकपर्वत, उदकगिरि देखो। उदकवीवध, उदकभार देखो। उदकपूर्वक (सं० अव्य० ) सङ्कल्पपूर्वक, दान वा उदकशाक (सं• क्लो०) जलशाक, पानीमें पैदा वचन लेनेके लिये हाथपर पानीको डालकर। होनेवाली सब्जी। उदकप्रक्षेपण (सं० लो०) जलके शोतीकरणका उदकशान्ति (सं० स्त्री०) जलहारा ज्वरका निवारण, उपाय, पानी ठण्डा करनेको तदबीर । पानीसे बुखार छुड़ानेका काम। इसमें विनियोजित उदकमतीकाश (सं० वि.) जलप्रभ, पानी-जैसा। | जल रोगीपर छिड़कते हैं। ........