२२ इडरहर-दूण्डरी इडरहर, ईडहर देखो। है। इड़ा पिङ्गला और सुषुम्णा तीनो नाडीके मिलन- इडस्पति (सं० पु०) विष्णु । को त्रिवेणी कहते हैं। योगी इस त्रिवेणीके सङ्गमपर इड़हर, इडहर देखो। स्नानकर सर्वपापसे हट जाते हैं। प्राणायाममें पूरक इड़ा (सं० स्त्री०) इल-क-टाप, डस्य लत्व वा। करते समय इड़ नाड़ीसे हो वायुको ऊपर चढ़ाते हैं। १ पृथिवी, जमीन् । २ धेनु, गाय। ३ त्वरा, शिताबी, जब इड़ा नाड़ीसे स्वर चलता तब प्रत्येक शुभकार्य जल्दी। ४ सरखती। ५ हविः, अन्न। ६ देवो! करने में साफल्य मिलता है। सुषुम्णा ब्रह्मनाड़ी है। ७ दुर्गा। ८ स्तुति, तारीफ। यज्ञपात्रविशेष। उसौमें जगत् प्रतिष्ठित है। इड़ा, इरा और इला तीनो १० सन्तोष, तसल्ली । ११ भोजन, खु.राक । १२ आहुति रूप सिद्ध हो सकते हैं। विशेष । यह पाहुति प्रयाज अनुयाजके बीच होती है। इड़ाचिका (सं० स्त्री०) इड़ेव आचति सूक्ष्म मध्य- इडापर चार प्रकारका दूध तैयारकर जलमय पात्रमें भागम्, इड़ा-अच्-कुल-टाए, अत इत् । १ वरटा, डालते और फिर होता और यजमान मिलकर पी बर। २ गन्धोलो, ककड़ी। जाते हैं। १३ अप्रिय देवता विशेष। यह असोमपा इड़ाजात (स० पु०) भूमिज गुगगुल, जमीन्से हैं। १४ आकाशदेवता । १५ मनुको कन्या, बुधपत्नी। पैदा गूगुर । शतपथब्राह्मण-(७८११-१३)में मनुकन्या इड़ाके इड़ावत् (वै० त्रि.) १ इड़ा-मतुप। इड़ानाड़ीविशिष्ट, उत्पत्ति-सम्बन्धपर इस प्रकार गल्प कहा है, जो इड़ाको रखता हो। २ आनन्दप्रद, फरहत मनुने प्रजासृष्टि करनेके लिये पाकयज्ञका अनुष्ठान बख्श । ३ आप्यायित, तरोताजा बना हुआ। ४ हवि:- किया था। घृत,नवनीत और आमिक्षा जल में छोड़नसे विशिष्ट । संवत्सरके मध्य एक कन्या उत्पन्न हुयो। बालिका इड़िक, डिक्क देखो। सुस्निग्ध जलसे उठी थी। मित्रावरुण निकट आये। इडिका (स. स्त्री० ) इड़ा स्वार्थे क, इत्वच्चाकारस्य । उन्होंने प्रश्न किया,-तुम कौन हो। जवाब मिला- पृथिवी, जमोन्। मनुको कन्या। उन्होंने फिर कहा, तुम हमारी इडिक्क (स' पु०) इडिक् इति कायति शब्दायते, हो। इड़ाने उत्तर दिया-नहों, हम अपने जन्म इडिक्-के-ड।१वन्य छागल, जङ्गली बकरा।२ वानर, देनेवालेकी ही हैं। किन्तु मित्रावरुणने पुनः इनको बन्दर । ओर प्यारसे देखा। यह कुछ उत्तर न दे मनुके इडीय (सत्रि०) इड़ाया अन्नस्य अदूरदेशः, इड़ा- समीप जा पहुंचौं। मनुने भी पूछा,-तुम कौन हो। छ। उत्करादिभ्यश्च । पा ४३।१०। अन्न-सम्बन्धीय, अनाजसे इड़ाने कहा, हम आपको कन्या हुयो, आपके घृत, भरा हुआ। नवनीत तथा अमिक्षा प्रदानसे निकली हैं। हमें यज्ञमें इड्देवता (सं० स्त्री०) उदकदानको देवो। अर्पण कौजिये। आपकी मनस्कामना पूर्ण होगी। इडुर (म. पु०) इच्छति वृषमिति, इष-क्विप-इट मनुने इड़ाके साथ कठोर यज्ञका अनुष्ठान किया। वृषस्यन्तोतया बियते, इट व कर्मणि अच् । वृष, अन्तको मनु प्रजापति बन गये। इला देखो। १६ वाम- छोड़देने लायक सांड। पाखं स्थ रक्तवाही नाड़ी। मेरुदण्डके वहिर्भाग वाम | इण्टेन्स (अं० स्त्री०= Entrance) १ प्रवेश, दखल, तथा दक्षिण पाख पर चन्द्रसूर्यात्मक इड़ा पिङ्गला। पैठ। २ प्रवेशाज्ञा, पैठका हुक्म। ३ हार, दरवाजा, नामक दो नाड़ी होती, जो चन्द्र, सूर्य और पौली। ४ आरम्भ, शुरू। ५ अंगरेजो पाठशालाको अग्नि तीनोंका गुण रखती हैं। साधकके पक्षमें | एक कक्षा, अंगरेजी मदरसेका एक दरजा । इड़ा नाड़ी गङ्गा और पिङ्गला यमुनाका स्वरूपं है। इण्डरी (सं० स्त्री०) पक्वान्नविशेष, किसी किस्मत इन दोनो नाडीके मध्य सुषुम्णा सरस्वती-जैसी रहती पके अनाजको बनी चीज।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२३
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