इण्डिया-इतरेतराश्रय २३ इण्डिया (अं० स्त्री० = India ) भारतवर्ष, हिन्दुस्थान ।। इतमोनानी (अ० वि०) विश्वस्त, एतबारी, जिसमें इण्डोन्य (सं० पु०) छुरी, चाकू । यकीन रहे। इण्ड (वै० लो०) मुञ्जायत्र, मूजको चद्दर । कड़ा ही इतर (सं० त्रि०) इना कामेन तरति तोयते, इतं चल्हे से उतारते समय यह हाथमें लपेट लेनेके कास प्राप्त रातोति; इत-रा-क, इ-त-अप वा अच। पाता है। । १ नोच, कमीना। २ अन्य, दसरा । ३ अवशेष, बाका। इण्यरिका (सं० स्त्री०) वटिका, बाटो, भौरिया। इतरजन (सं० पु०) इतरश्चासौ जनति, कर्मधा । इत् (सत्रि .) एतीति, इ-विप् । देखते-देखते | जन साधारण, आम लोग। चला जानेवाला, जो बातको बातमें उड़ जाता हो। "कन्या वरयते रुप माता वित्त पिता श्रुतम् । व्याकरणका प्रयोग साधने के लिये जो अक्षर आते ही बान्धवा: कुलमिच्छन्ति मिष्टान्नमितरे जनाः ॥” (शुक्रनीति) चल जाता, वह इत् कहाता है। इतर जाना (हिं० क्रि०) दस्य के विरुद्ध प्रथम हो इत (संत्रि०) इ-त। १गत, गुजरा हुआ, गया समाचार पाना, डाकुवोंको खबर पहले ही लगना। बीता। (क्लो०) भाव क्यप् । २ गमन, चाल । ३ ज्ञान, इतरतः (सं० प्रव्य) विभिन्न रोतिसे, दूसरे तौरपर । समझ। ४ प्राप्ति, याफू त । (हिं. क्रि० वि०) ५ इस इतरथा (सं० अव्य०) इतर-थाल। प्रकारवचने थाल । ओर, इधर, यहां! पा ५२२३ । विपरीत, बरक्स, जिदसे ।। इतः, इतस् देखो। इतरविशेष (सं० पु०) इतरस्मात् विशेषः, ५-तत् । इतःपर (स अव्य०) इसके पोछे, इसके बाद, इसपर ।। अन्य प्रभेद, दूसरा फ़क । इत-उत (हिं. क्रि० वि०) १ इधर-उधर, जहां- इतरा (सं० स्त्रो०) ऐतरेयको माता। ऐतरेय देखो। तहां। (पु.)२ छल फरेब। इतराजी (हिं० स्त्री०) विराध, एतराज, अनच न। इत अति (वै० त्रि०) इस ओरसे लम्बायमान, जो इतराना (हिं. क्रि०) अभिमान देखाना, उसक इधरसे फैला या पहुचा हो। २ भविष्यत्, वर्तमान करना, अपनेको बड़ा समझना। समयसे अधिक स्थायी, आयिन्दा, जो जमाना-हालसे इतराहट (हिं. स्त्री०) अभिमान, गु.रूर, ठसक । ज्यादा ठहरता हो। इसरोफल (हिं. पु.) अवलेह विशेष। इसमें इतना (हिं० वि०) एतावत्, इस कदर, इत्ता, इतक। आंवला, धनिया और शहद डालते हैं। । इतनो, इतना देखो। इतरेतर (सं. त्रि०) इतर इतरं निपातनात् इन्दम् । . इतम (सं० त्रि.) अन्य, दूसरा, और।। अन्योन्य, मुतफ़रिक, अलग, दो-चार। इतमाम (अ० पु०) पूर्णता, कमाल, पूरापन । इतरतरकाम्या (सं० स्त्रो०) १ अन्योन्य वासना, इतमीनान् (अ० पु.) १ सन्तोष, आराम, ढारस। मुतफ़रिक खयाल । २ बन्धक, जमानत। इतरतस्योग (स० पु०) ६.तत्। १ परस्पर सम्बन्ध, इतमीनान करना (हिं.कि.) विश्वास मानना, आपसका तान क । २ इन्दनामक समास, इसमें पर- खुश रहना। स्पर पदार्थका योग रहता है। इतमीनान खातिर होना (हिं० क्रि०) सन्तुष्ट रहना, इतरेतराभाव (स० पु०) अन्योन्याभाव, एकका यकीन् रखना। दूसरेसे न मिलना। घटका पट और पटका घट न इतमीनान् न करना (हिं० क्रि०) सन्देह रखना, होना इतरेतराभाव है। अन्योन्धाभाव देखो। यकीन् न लाना। इतरतराशय (सं० पु०) इतरेतर आश्रयति, श्रा- इतमीनान् होना (हिं क्रि०) सन्तुष्ट रहना, खुशी 'श्री-अच्। अन्योन्याश्रयरूप न्यायका दोषविशेष । मनाना। | अन्योन्याश्रय देखो।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२४
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