पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

उदभर-उदयगिरि २३१ उदभर (हिं.) सदर देखो। यहां निज़ामको फौजपर माक्रमब मारा था। उदभव (हिं.) उद्भव देखो। निजामके हारनेपर सन्धिहरे। दौलताबाद, सिबर, उदभार (सं० पु.) मेघ, बादल। असीरगड़, तथा विजापुरका किसा, पहमदनगर पौर उदभौत (हिं. पु.) पाश्चर्य, तान्नुब, पनाखी बात। विजापुर विदर एवं औरणावाद प्रान्तका पधिक भाग उदमन्य (सं० पु.) १ उदकप्रधान मन्य, पानीको मराठोंके हाथ लगा। वर्तमान महमदनगरके समग्र मथानौ। २ जलालोड़ित सत शक्नु, धो और पानीका प्रान्त और नासिकके कुछ भागपर भी उनका अधिकार . सत्त। इसे ग्रोममें सेवन करना चाहिये। (भावप्रकाश) हो गया था। पेशवाके सेनापति सदाशिव रावने उदमदना (हिं.क्रि.) उन्मत्त होना, पागस बनना। बड़ी वीरता दिखाई थी। उदमन्य (स• पु०) यवका जल, जौका पानी। उदयगिरि-उड़ीसा प्रान्तके पुरी जिलेका एक पर्वत । उदमाद (हिं.) उन्माद देखो। | यह सामान्य वनपथमें खण्डगिरिसे स्वतन्त्र है। पति उदमादी (हिं.वि.) उन्मत्त, मतवाला। पूर्वकालसे (प्रायः ३०० ई०के पहले) उदयगिरि पपनी उदमान (सं• पु०) १वारिके मानका आढ़क। पवित्र गुहाओंके लिये प्रसिद्ध है। यह ४००६ माशेका होता है। (हिं० वि०) २ उन्मत्त, । रानीहंसपुर, गणेश, स्वर्गपुरी, भजन, जया, विजया, मतवासा। अनन्त, इस्ति, पवन और व्याघ-गुफा ही प्रधान हैं। उदमानना (हिं० कि.) उन्मत्त होना, पागल बनना। सकल गुहामि पर्वत तोड़ ग्रहादि बने हैं। भाज- उदमेघ (सं० पु.) १ जलयुक्त मेघ, पानीसे भरा कल यद्यपि इनकी अवस्था नितान्त मन्द हो गई, हुआ बादल। २ जलवृष्टि, पानीको झड़। अनेकांशमें ग्रहादि बिगड़ गये और सकल स्थानोंमें उदम्बर (सं० पु.) १शरीरज कमिका एक भेद, व्याघ-भल्लूक रहते, तो भी बोध होता है-पूर्व- जिनमें पैदा होनेवाला एक कोड़ा । कृमि देखो । २ ताम्स, कालपर इन सकल गुहापोंमें बौद्धधर्मावलम्बी यति तांबा। तथा सन्यासो रहा करते थे। अनेक गुहा सहाराम उदय (स• पु०) उदयन्ति चन्द्रसूर्यादयो ग्रहा यस्मात्, नामसे विख्यात थीं। इन्हें देखनेके लिये पहले उत्-इ-पच्। १ पूर्वपर्वत, उदयाचल। कितने ही बौद्ययात्री यहां आते थे। ई०के ७म शताब्द- "सदित उदयगिरि मनपर रघुवर बालपता। में चीनपरिव्राजक युप्रन्चुयङ्ग यहां पहुंचे थे। उन्होंने विकसै सन्त सरोन वन रिसे लोचन भा" (तुलसी) पुष्यगिरि नामक सङ्घारामकी बात लिखी है। अनु- २ समुन्नति, उरूज, उठान। मान है-यह सखाराम उदयगिरिके अपर या पास "उदय तासु विभुवनमय भागा।” (तुलसौ) हो रहा होगा। ३ मङ्गल, भलाई। ४ दीप्ति, चमक। ५ प्रावि २पन्य एक पर्वत। यह वेशनगरसे एक कोस र्भाव, निकास। ६ वृद्धि, बढ़ती। ७ लाभ, फायदा। दक्षिण-पश्चिम और सांचौसे ढ़ाई कोस दूर अव- ८ फलसिडि, कामयाबी।ट लग्न, ग्रहगणका प्रकाश । स्थित है। उदयगिरि एक मील विस्तृत है। इसमें सूर्यादि शब्दमें यह उदयका विवरण देखो। १० भावी उत् अनेक मूर्ति खुदी हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शिवको सर्पिणीके सप्तम अईत्, उदयाश्व । यह याजिकके मूर्ति वृहत् हैं। एक स्थानमें खर्गसे गङ्गा और यमुनाके पुत्र और शाक्यमुनिके शिष्य थे। (त्रि.) ११ व्याक. अवतरणका दृश्य है। दृश्यका कारकार्य पति चमत- रणमें-यवादगामी. पीछे पड़नेवाला। कारी है। जहां गङ्गायमुनाको धार पृथिवीपर खर्गसे उदयगढ़ (हिं.पु.) उदयाचल । पड़ी, वहां उभय देवीको मकरवाहना और कूर्मवाहना उदयगिर-दाक्षिणात्यका एक ग्राम। यह अहमद- मूर्ति बनी है। स्वधर्मनिष्ठ हिन्दू तीर्थदर्शनको पाते हैं। नगरसे १५० मील दूर है। १७६० ई०को मराठोंने इस पर्वतमें चन्द्रगुप्त (२य) राजाके १०६ गुप्तकालका