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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२३१

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२३. उदधिक्रम-उदवसना इनके मानसिक भाव कुमारीकैसे होते हैं इसखिये। शमायोदन्यधनायाउभुवापिपासाग। पा । इति वाच कुमार नाम पड़ा है। प्रत्यये पर पात्वं निपात्यते। १ पिपासा, प्यास । वेदे उदधिक्रम, उदक्षिका देखो। बासकात् क्यच् । २ जखानयन. पानीका साना। उदधिक्रा (वै० पु.) उदधि-क्रम-विट् । समुद्राक्रमण ३ जलसम्बन्धिनी, पानौसे सरोकार रखनेवाली। कर्मा, बहर पर सफर करनेवाला। उदन्यु (वे• वि.) उदन्य-उए। मलेच्छु, पिपासु, उदधिमेखला (सं. स्त्रो०) चारो दिक सागरसे पानी ढं ढनेवाला । “परि नबन्ये ऽबता उदन्छवः ।" (स्मृक् सहा२७) वेष्टित पृथिवी, बहरसे घिरी हुई जमीन्। 'उदन्युव: उदकेच्छावन्तः।' (सावय) उदधिराज (सं. पु०) नदीका राना समुद्र। उदन्वत, दन्वान् देखो। . उदधिलवण (स' को.) सामुद्र लवब, बहरी नमक। उदन्वान् (वे. पु.) उदकानि सन्त्यन, उदक-मतुप, उदधिवस्त्रा, उदधिमेखला देखो। मस्य वः। उदन्वानुदधौ च । पापा।१५। १ समुद्र, बहर। उदधिचि (सं. स्त्रो) मुक्वास्फोट, बहरी सोप। "ते च प्रापुरुदन्वन्तं बुबुधे चादिपूरुषः ।" (रघु) २ ऋषिविशेष। उदधिसम्भव, उदधिलवव देखो। (त्रि.) ३ उदकयुक्त, पानी रखनेवाला । (ऋक् ५८६७) उदधिसुत (सं० पु.) उदधिके पुत्र। चन्द्र, अमृत, | उदप (सं० वि०) पानीको पार करनेवासा । शङ्क और कमल उदधिके पुत्र हैं। उदपर्णी (स.पु.) कुधान्यविशेष, एक खराव पनाम। उदधिमुता (स. स्त्री०) समुद्रको कन्या। नमो | उदपात्र (सं० लो०) जलपूर्ण पात्र, लोटा। और हारकाको उदधिसुता कहते हैं। . "भिषामपुादपान वा सत्कृत्य विधिपूर्वकम्।” ( मनु रास) उदधीय (सं० वि०) सामुद्र, समुद्रजात, बारी। उदपान (सं० पु.ली. ) उदकं पोयतेऽवति, उदक- . उदन् (संक्लो ) पन्नोमास अनिशसन्यबन्दोषन्धकछत्रु दन्ना- पा अधिकरण लुपट्। १ कूप, कूवां। सञ्चस प्रभतिषु । पाहा इति सूत्रे उदकस्य उदनादेशः। “यावान उदपाने सर्वतः समुतोदके । उदक, पानी। तावान् सर्वेषु बेदेषु आमवस्य विजानतः ॥” (गौता ९४५) उदनिमत (वै.नि.) तरङ्गमय, जिसमें लहरें उठे। २ कमण्डलु। उदन्त (सं• पु.) १ वार्ता, बात। २ समाचार, दयानमडूक (स० पु०) कूपका मह क, कर्वेका ख़बर। ३ साधु, पाकसाफ, भादमी। ४ वृत्तियाजन, | यह शब्द उस व्यक्तिके लिये पाता है, जो रोजगारसे काम चलानेवाला। (त्रि.) ५ किसी अनुभवशून्य होता और नकव्य भिन्न अन्य विषय नहीं वस्तुके पन्त सक पहुंचनेवाला। (हिं.वि.)। दन्त समझता। हीन, वेदांत, जिसके दांत न निकले। यह शब्द पश्के उदप (व. छटप (व.वि.) जलसे अपनी राह करनेवाला. लिये पाता है। जो पानोसे पाकसाफ बना हो। उदन्तक (सं•०) उदन्त खार्थे कन्। संवाद, उदपेष (सं० क्लो• ) १ जलपेष, खमीर, लेही, गारा। खबर। । (प.) २. जलमें पीस कर, पानीसे रगडके। उदन्तिका (सं• स्त्री०) उदन्त-पिच्-खुल्-टाप् । उदप्नुत, (वे• त्रि०) जलमें सन्तरण करनेवाला, वृप्ति, मासूदकी, साइट। जो पानी में तैरता हो। उदन्य (स.वि.) सौमाके परे रहनेवासा, जो | उदपत, उदा त देखो। हदके उस तर्फ रहता हो। उदबस (हिं० वि०) १शून्य, सूना। २ स्थानान्तरित, उदन्य (वै० वि०) जलमय, पानीसे भरा हुआ। किसी जगहसे हटाया हुआ, जो मारामारा फिरता हो। सदन्यज (वै.वि.) जलमें उपजने या रहनेवाला। उदवसना (हिं. क्रि०)१ स्थानान्तरित करना, किसी उदन्या (सं० स्त्री. ) उदन्यति उदकमिच्छति, | जगहसे निकाल देना। २ शून्यकरना, सूना बनाना।