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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२४८

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उदरक-उदरसर्वस्व २४७ अक्रियायां ध्रु बो मृत्यु : क्रियायां सशयो भवेत् । | उदरपरता (स. स्त्री०) रोगविशेष, एक बीमारो। तस्मादवश्य कर्तव्य मौश्वरः साचिकारिण" इसमें बहुत खानेको मन चला करता है। इसी हेतु नाभिके वलिको दिक् दो अङ्ग लि छोड़ उदरपरायण (स. त्रि०) उदरं उदरपूरणमेव परं जल नाडीको सुधार कुशपत्रसे लपेट दे और एरण्डके अयन प्रधानाश्रयो यस्य, यहा उदरे विषये परायण पत्रका नल उसमें चला अन्तर्गत जल निकाल ले। आसक्तः। पेटक, पेट, सिर्फ पेट भरने की फिक्र तदनन्तर सत्वर उसे बन्द करना चाहिये। यदि |· रखनेवाला। जलका निर्गमन हो सके,तो दाह लगानेको हो प्रशस्त उदरपरीक्षा (स. स्त्री०) जठर-परीक्षा, मेदेको जांचा समझे। जलको निकाल जीरकका कल्क चतगण उदरपिशाच (सं० त्रि.) उदराय तत्पूरणाय पिशाच घौमें मिला समभाग शुण्ठी एवं विषाके साथ पका | इव। १ यधेच्छाहारी, मनमानी चीज़ खानेवाला। पौने और चुपडनेसे उपकार पहंचता है। दसरी (पु.)२ सर्वान्नभक्षक, बडपेटा। बात यह है, कि अतिशय निपुण और अभिन्न व्यक्तिसे उदरपोड़ा (सं० स्त्री० ) उदरामय, पेटका दर्द । अस्त्रका कार्य ले। अस्त्रकर्म अत्यन्त दुष्कर है। उदरपुर (सं० अव्य०) उदरपूर्तिपर्यन्त, पेट भर यत्र तत्र उसे न करे। इस रोगमें अस्त्र न लगानेसे | जाने तलक। निश्चय मृत्य पाती है। किन्तु अस्त्रकर्म कर देनेसे उदरपोषण (सं० लो०) कुक्षिपालन, पेटका भराव। उसमें संशय पड़ जाता है। अतएव ईश्वरको साक्षी उदरभङ्ग (स पु०) उदरस्य भङ्गः। अतीसाररोग, ठहरा अवश्य जलोदरमें अस्त्रकर्म करना चाहिये। दस्तकी बीमारी। जल 'निकाल डालनेसे अनेक स्थलों में रोगी आरोग्य | उदरभरणमात्रकेवलेच्छ (सं. त्रि.) केवल उदर नहीं पाता, केवल यन्त्रणाका वेग घट जाता है। पोषणका अभिलाषी, जो सिर्फ पेट भरने की ख़ाहिश क्योंकि निकाल डालते भी अल्प दिन बाद पुनर्वार जल रखता हो। पेटमें भरता और शीघ्र रोगी मरता है। किन्तु भीतर उदरम्भरि (स० त्रि०) उदरं विभर्ति, उदर-इन्- कोई विशेष यान्त्रिक पौड़ा न रहने पर इस प्रक्रियासे | मुम् च। “पात्मनोममागम इन्प्रत्ययय । अनुक्त समुच्चयार्थयकार।" आरोग्य लाभ होता है। (सिद्धान्तकौमुदी) आत्मम्भरि, पेटू, बड़ा खानेवाला। ____ धड़ शब्दमैं उदरसंस्थानका चित्र देखो। | उदररस (सं० पु०) उदरका पाचक रस, जो अक उदरक ( स० त्रि०) उदरसम्बन्धीय, पेटके मुताल्लिक । पेटका खाना हजम करता हो। उटरग्रन्थि (सं० पु.) उदरस्य ग्रन्थिरिव। १ अश्मरी- उदररेखा (सं० स्त्री०) उदरको रेखा, पेटका बल। रोग, हबस-उल-बौल, चिनङ्ग। २ गुल्मरोग, तिल्लो, उदररोग (स'० पु०) कुक्षिकी पौड़ा, पेटको बीमारी। पिलही। उदर देखो। उदरज्वाला (सं० स्त्री०) १ जठराग्नि, खाना हजम | उदरवत् (स० वि०) दीर्घ उदरयुक्त, बड़े पेटवाला । करनेवाली हरारत। २ बुभुक्षा, भूक। | उदरवृद्धि (स० स्त्री०) उदरस्फीति, पेटको बढ़ाई । उदरत्राण (स'• क्लो०) उदरस्य त्राणो यस्मात् । उदरव्याधि (सं० पु.) उदरामय, पेटको एक १ कवच, बखूप्तर। २ वरना, कमरबन्द।। बीमारी। "उदरथि (सं. पु०) उत्-ऋ-अथिन्-चित्। उदचित्। उदरशय (स० त्रि.) उदरको भूमिसे लगा शयन उण् ८८। १ समुद्र। २ सूयें । करने वाला, जो पेटके बल लेटता हो। "उदरना (हि क्रि०) खण्ड खण्ड होना, टुकड़े उदरशाण्डिस्य (सं० पु०) ऋषिविशेष । (भारत, सभा ३५०) उड़ना। उदरसर्वस्व (सं० पु.) भोजनचञ्चु, शिकमपरस्त, "उदरनाड़ी (स स्त्री० ) अन्त्रनाड़ी, प्रांत। ... | चटोरा। ..