। उदरस्फुटा-उदवास उदरस्फ टा (स. स्त्री०) नागवल्ली, पान। वृक्ष, धतूरेका पेड़। ५ उत्कर्ष, सबकत, आगे निकल उदराग्नि (स.पु.) जठराग्नि, सफरा, पेटमें खाना | जानेका काम। ६ अन्त, सिरा। ७ भवनको उच्चता. हजम करने वाली हरारत। इमारतको बुलन्दी। ८ उपहार, इनाम। उदराध्यान (स० क्ली० ) उदरस्य प्राध्मानम् । उदरको उदर्चिस् (सं० पु०) उगतमचिः शिरा यस्य । वायुफुल्लता, पेटका फूलना। १ अग्नि, आग। २शिव। ३ कामदेव । (त्रि.) उदरानलपत्रक (स'. पु.) लघुतालीशपत्र। | उहतं प्रभा यस्मात्। ४ प्रज्वलित, भभकता हुआ। उदरामय ( स० पु०) उदरस्य प्रामयः। अतीसार उदर्द ( स० पु०) उत्-अर्द अच् । दगु, हुमरा, रोग, आंवके दस्त लगने की बीमारी। अतिसार देखो। । ददोरा। वरटोके दष्टसंस्थान पर शोथ चढ़ने, कण्ड उदरामयकुम्भकेशरी (सं० पु०) प्लीहाधिकारका एक उठने, व्यथा बढ़ने, सड़न पड़ने और छदि, ज्वर रस, तिल्लीकी एक दवा। पारा, गन्धक, ताम, एवं विदाह लगनेसे यह रोग उपजता है। (माधवनिदान) त्रिकटु, यवक्षार, टङ्गण, पिप्पलीमूल, चव्य, चित्रक, उदर्दप्रशमनवर्ग ( स० पु०) उदर्दक शमनका एक पञ्चलवण, यमानी एवं हिङ्ग प्रत्येक समभाग ले नौबूके | योग, ददोरा मिटानेवाली चीजोंका जखीरा । तिन्दुक, रसमें घोंटे। एक माषा परिमित वटिका खिलानेसे पियाल, वदर, खदिर, कदर, सप्तपर्ण, अश्वकर्ण, उदरामय रोग अच्छा हो जाता है। (रसेन्द्रसारस'ग्रह) अर्जुन, पीतशाल और विट्खदिर मिलनेसे यह वर्ग उदरामयिन् (स. त्रि०) उदरामययुक्त, जिसके बनता है। (चरक) आवको बीमारी रहे। उदर्ध (सं० पु०) शोणज्वर, सुखं बुखार। उदरारिरस (स• पु०) उदराधिकारका रस, पेटको उदयं ( स० वि०) १ उदरी, पेटवाला। (वै० क्लो०) एक दवा। पारद, शुक्तितस्य, जैपाल और पिप्पली | २ उदरपूरक, पेटका माद्दा। बराबर बराबर डाल वचीक्षौरमें घोंटे। माषामात्र उदलगुरी-आसाम प्रान्तके दरङ्ग जिलेका एक ग्राम । वटी खानेसे स्त्रीका जलोदर आरोग्य होता है। दधि यह भूटानको सोमाके समीप है। निकटवर्ती पहाड़ी और प्रोदनका पथ्य देना योग्य है। (रसेन्द्र सारस'ग्रह) लोगोंके साथ व्यापार करनेको प्रति वर्ष यहां मेला उदरावर्त (सं० पु०) उदरस्य आवर्त इव। नाभि, | लगता, जो प्रायः एक मास चलता है। भूटानके राजा नाफ़, सूड़ी। भेटकी चीजें खरीदने आया करते हैं। भूटिये हजारों उदरावेष्ट (सं० पु. ) शारीर क्वमिभेद, पेटका | रुपये का टट्ट, कम्बल, नमक तथा मोम बेचते और केंचुवा। चावल, रुई, कपड़ा एवं पीतलका बरतन खरीदते हैं। उदरिक, उदरिन् देखो। उदलावणिक (सं० त्रि० ) उदलवण-ठक। लव- उदरिणी (सं० स्त्री०) उदर-इनि-डीप् । गर्भवती, | णोदकसिद्ध, नमक और पानीसे पकाया हुआ। हामिला, जिसके पेटमें लड़का रहे। उदवग्रह (सं० पु०) खरित आघात विशेष । यह उदरिन् (सं० त्रि०) १ उदरिक, बड़े पेटवाला। उदात्तपर निर्भर रहता, जो अवग्रहमें उठता है। २ कुक्षिसम्बन्धीय, शिकमो, जो पेटसे सरोकार उदवना (हिं• क्रि०) उदय होना, निकलना, देख रखता हो। ३ उदरसर्वस्व । पड़ना। उदरिल (सं० त्रि०) उदर-इलच् । तुन्दादिभ्य इल। | उदवसानीय (वै० त्रि.) अन्तिम, अखीर । पा ५।२।११७। उदरी, तोंदल, मुरमुरोंका थैला। उदवसित (सं० लो०) उदूर्ध्वमवसीयते स्म, उद- उदक (सं० पु०) उत्-ऋच-घज । १ उत्तरकाल, प्रव-षिञ् बहुवचने वा तभवन, मकान्, रहने को आयिन्दा जमाना। २ भाविफल, कामका भागे आने जगह। वाला नतीजा। ३ मदनकण्टक, मैनफल। ४ धुस्तर ' उदवास (सपु०) उदके व्रतार्थवासः, उदादेशः।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२४९
दिखावट