पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२५२

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. उदावर्ता-उदासी २५१ 'क्लान्त, क्षीण, शूलात और शोध शीघ्र पुरोष एवं वमि | उदावसु (स'• पु०) निमिके पौत्र और जनकके करनेवाले रोगीको छोड़ देना चाहिये। पिता। यह राजर्षि जनकसे भिन्न रहे। जनक देखो। वायुके विपथ गमनपर उत्पन्न होनेसे सकल हो उदास (सं.पु.) १विराग, मसला-जन । २ उपेचा, अवस्था में वायुको स्वाभाविक पथपर पहुंचाना ही इस बेपरवाई। ३ उच्चता, उंचाई। ४ उत्क्षेपण, उछाल । रोग-प्रतीकारका प्रधान उपाय है। (त्रि.) ५ उदासीन, जब्रिया मजहबका मोतकिद । ____ वायुसे उत्पन्न होनेवाले उदावत रोगमें स्नेह और विरक्त, वेपरवा। ७ दुःखी, रजीदा। खेद डाल आस्थापन लगाना चाहिये। मलरोधसे उदासना (हिं० क्रि०) १ उहासन करना, मट्टीमें होनेवालेको चिकित्सा पानाह रोगकी तरह चलती मिलाना। २ उठाना, समेटना, लपेट डालना। है। मूवारोधके उदावतेपर एला वा दुग्ध मिला कर उटासिड (सं० त्रि.) विरक्त, बेपरवा, किसीसे सरोकार मदिरा तीन दिन अथवा जल डालकर तीन दिन न रखनेवाला। प्रामलकोका रस पिलाते हैं। अश्रुधारणसे होनेपर | उदासिन (सं०वि०) विरक्त, बेपरवा। उदासी देखो। इस रोगमें नेह और खेद लगा अश्रुमोक्षण कराये। उदासिल, उदासिन देखी। उगारसे जो उदावत उभरता, उसमें रोगी बिजौरा उदासी (सं. पु०) १ दर्शनन, मुहक्किक । २ विरक्त नीबू का रस मिला सुरापान करता है। वमनसे पुरुष, बेपरवा आदमी। ३ सन्यासी, एक मजहबी उदावत उठनेपर क्षार वा लवणके साथ अभ्यङ्ग प्रयोग फिरक का पाबन्द। यह नानकके धर्मपर चलते और किया जाता है। शुक्ररोधवालेमें स्त्रीका सहवास मठमें बसते हैं। उदासी अपने हाथ से भोजन नहीं आवश्यक है। अनिद्रासे उपजनेपर उदावत रोगमें बनाते, दूसरेका ही बनाया खाते हैं। नानककर सुरापान करना और निद्रा लानेका ध्यान रखना 'अन्य' नामक धर्मग्रन्थ ही उपास्य है। सकल जातिके चाहिये। कोष्ठगत वायु बिगडने उदावत उपजनेपर लोग उदासी सम्प्रदायभुक्त हो जाते हैं। इनके शिखा हृदय एवं वस्तिदेशमें शूल उठता,देह पर गौरव चढ़ता, नहीं रहती। मस्तक मुंडवा डालते हैं। लंगोट अरुचि, तृष्णा तथा हिकाका वेग बढ़ता, कष्टसे वायु, सभी चढ़ाते हैं। (हिं० स्त्री०) ३ दुःख, अफ़सोस । मूत्र एवं मल ढलता, खास लगता, काश कढ़ता, ४ बम्बई प्रान्तस्थ सूरत जिलेवाले बारडोलोके प्रतिश्याय पड़ता, दाह दहता, मोह मदता, वमन उदा कुनबियोंका एक सम्पदाय। कोई सवा तीन सौ चलता, शिरोरोग चलता और मन एवं श्रवणेन्द्रियका वर्ष हुये,गोपालदास नामक एक व्यक्तिने यह सम्प्रदाय विभ्रम रहता है। इसी प्रकार वायुके प्रकोपसे अनेक चलाया था। उन्होंने वैदिक मत अस्वीकार कर विकार उठ खड़े होते हैं। सुश्रुतके मतमें ऐसे स्थल केवल एक परमेश्‍वरपर विश्वास करने के लिये अपने पर तेल एवं लवण मलाये और खेद तथा निरूहका अनुयायियाको उपदेश दिया। यह सम्प्रदाय ईश्वरके वस्ति लगाये। मदनफल, अलाबुवीज, पिप्पली और ध्यानसे मुक्तिको प्राप्ति और पुनर्जन्मको मानता है। कण्टकारीका चूर्ण पिचकारीसे मलद्वारमें पहुंचाना पांच लोग मिलकर महन्तको निर्वाचन करते हैं। चाहिये। इससे शीघ्र ही उदावत रोग अच्छा हो | महन्तको शिष्यके गलेमें सेलो पहनाने, विवाह एवं जाता है। अन्त्येष्टिक्रियाका समय ठहराने और पानाभङ्ग उदावर्ता (सं० स्त्री०) दायुजन्य-स्त्रीयोनिरोगविशेष, करनेवालेको सम्प्रदायसे निकलानका अधिकार है औरतोंको एक बीमारी। इसमें कष्टके साथ सफेनिल उदा-कुनबी उदासी प्रात:काल नहाते, काली तुलसौंपर रज निकलता है। (भावप्रकाश) जल चढ़ाते और अपने पवित्र धर्मग्रन्थसे ध्यान लगाते उदावर्तिन् (सं० वि०) उदावर्तरोगविशिष्ट, जिसके हैं। सन्ध्या समय वह धर्मग्रन्थके पीठोपाधामको नम- कांच निकल आनेकी बीमारी रहे। . . स्कार करते हैं ! फिर उसकी आरती उतारी और स्तुति