पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२५३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२५२ उदासौन-उदीच्यत्ति । सुनाई जाती है। विवाहके समय महन्त अगुवा रहते | उदाहृत (सं० त्रि०) उत् पाहत। १ उल्लिखित, हैं। औल दैहिक कर्म कोई नहीं करता। किन्तु यह लिखा हुआ। २ कथित, कहा हुआ। ३ उच्चारित, अखाड़े में रहनेवाले नानकपन्थी उदासियोंसे अलग हैं। निकाला हुआ। ४ वर्णित, बताया हुआ। ५ उपन्यस्त, उदासीन (सं०वि०) उत्-आस-शान्च-ईदास इति रखा हुआ। इत्वम्। १ वैरागी, वेपरवा। २ मध्यस्थ, बीचवाला।। उदाहति (सं० स्त्री०) उदाहरण देखो। ३ स्वतन्त्र, आजाद, झगड़ेमें न पड़नेवाला। ४ सम्पर्क- उदित (सं० त्रि०) उत्-इन्-क्त । १ उहत, चढ़ा रहित, निराला। ५ तटस्थ, नज़दीकी। अपरिचित, हुआ। २ उचित, वाजिब। ३ उन्नत, उठा हुआ। जिससे जान-पहचान न रहे। (पु०) ७ अपरिचित | ४ उत्पन्न, निकला हुआ। ५ प्रादुभूत, चमका हुआ। व्यक्ति, अजनवी, जो दोस्त या दुश्मन् न हो। ६ कथित, कहा हुआ। (लो०) उत्-इन भाव क्त। उदासीनता (स. स्त्री०) विराग, बेपरवाई। ७ राशिका उदय, लग्न । “उदित उदयगिरि मञ्जपर ।” (तुलसी) उदासी बाजा (हिं. पु०) वाद्यविशेष, एक बाजा। (पु.) ८ नोवार, किसी किस्मका चावल। यह भोंपे-जैसा रहता और फूकनेसे बजता है। उदितयौवना ( स० स्त्री०) मुग्धा नायिकाका एक भेद । उदास्थित (सं० पु०) उत्-श्रा-स्था-क्त । १ अध्यक्ष, | इसमें तीन भाग यौवन और एक भाग वाल्यकाल रहता है। मालिक। २ हारपाल, दरबान्। ३ चर, एलची। उदितहोमिन् (वै० वि०) सूर्योदयके पश्चात् यन्न ४ नष्टसन्यास। ५ प्रव्रज्यावसित। करनेवाला। उदाहट (हिं० स्त्री०) जदे रङ्गको झलक, नौले | उदिति ( स० स्त्री०) उत्-इ-क्तिन् । १ उदय, उठान । रङ्गमें सुखीको चमक। २ वाक्य, बात। ३ अस्त, गुरूब। उदाहरण (सं० क्लो०) उत्-श्रा-हृ भावे ल्युट । दृष्टान्त, उदितोदित (सं० त्रि.) उदिते कथिते शास्त्रे अभ्य- मिसाल। कोई विषय सप्रमाण करनेको अन्य विषयका दितः। शास्त्रोक्त, जो शास्त्र में कहा गया हो। उल्लेख उदाहरण कहाता है- उदोक्षण (सं० लो०) सन्दर्शन, देखभाल । “साध्यसाधत्तमभावी दृष्टान्त उदाहरणम्।" | उदीच्य (स अव्य०) सन्दर्शन करके, देखभालकर। साध्यसाधर्म्य से उसके धर्मादि प्रकाशक दृष्टान्तको | उदीची (सं० स्त्री०) उत्क्रान्तं दृष्टिपथं अञ्चति, उत्- उदाहरण कहते हैं। न्यायमतसे अन्वयी और अञ्च ऋत्विगादिना क्विन् उगितचे ति डो। उत्तर व्यतिरेको दो प्रकारका उदाहरण होता है। साधन | दिक, शिमाल। की तरह अप्रयुक्त एवं साध्यवत्ताका अनुभावक अवयव | उदीचीन (स. त्रि०) उदीची-ख । उत्तरदिक्-सम्ब- अन्वयी और साध्यसाधनसे व्यतिरेक तथा व्याप्तिके | धीय, शिमाली। प्रदर्शन हारा प्रकाशित दृष्टान्त व्यतिरेकी है। उदीच्य (सं० वि०) उदीची भावार्थे यत्। १ उत्तर २ निदर्शन, झलक । ३ उल्लेख, लिखाई। ४ वर्णन, | देशीय, शिमालमें होने या रहनेवाला। (पु.) २ सर- बयान । ५ सन्दर्भ, जाड़तोड़। कथाप्रसङ, बात- स्वती नदीके उत्तरपश्चिमस्थ देश। ३ उदीय देशका चीत। ७ नाव्यशास्त्रोक्त गर्भाव-विशेष । अधिवासो। (क्लो.) ४ हौवेर, एक खुशबूदार चौम। उदाहार (सं० पु. ) उत्-मा-ह-धञ्। १ उदा- | उदीच्यकाष्ठ (स'• लो०) चोपचीनी। हरण, मिसाल । युक्ति और व्याप्ति हारा दिया जाने- | उदीच्यवृत्त (सं• क्ली०) उदौचाहत्ति देखो। वाला दृष्टान्त उदाहार कहाता है। २ वक्त ताका | उदीच्यवृत्ति (सं. स्त्री.) वैतालीय छन्दका एक भेद। आरम्भ, बातका शुरू। "पविषमेऽष्टौ समे कलास्ताय समे स्युर्मो निरन्तराः । उदाहार्य (सं०वि०) उदाहरण दिये जाने योग्य, जो। न समाव पराश्रिता कला वैताखीयेऽन्ते रवी गुरुः ॥ १२ मिशालमें पाने काबिल हो। उदीच्यवत्तिनि तीवल: सक्तोऽयव भवेयुग्मयोः।"१६ (उत्तरवाकर)