पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२६०

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उदयोतित-उवर्षण २५४ कण्ठने इनका वचन उद्दत किया है। २ काव्य- उद्धमाय (सं.अय) कष्टखास ग्रहणकर, हाफके। प्रकाशके एक नवीन टीकाकार। उदय (स० वि०) पान करनेवाला, जो पीता हो। "उयोतित ( सं० स्त्री० ) प्रकाशित, रौशन, जो उद्दर (स. त्रि.) उत-धेट-थ। १ उठाकर पान जलाया या चमकाया गया हो। करनेवाला, जो उठाकर पीता हो। (पु.)२ राक्षस उद्राव (सं० पु०) उत्-टु-वञ्। १ प्रस्थान, द्रुत विशेष । पदसे पलायन, भागाभागी । (त्रि.) २ उत्कृष्ट उद्धरण (सं० लो०) उत्-ह-त्य ट। १ उद्दार, छुट- गतियुक्त, भाग खड़ा होनेवाला, जो दौड़ते जा कारा। २ ऋणशोध, कर्ज की चकती। उन्म लन, रहा हो। उखाड़। ४ उत्तोलन, उठाव। ५ वमन, के, उलटी। ६ निराकरण, अलगाव । ७ व्यसनादिसे विमोचन, दौड़ पड़ा हो। २ उगत, चढ़ा हुआ। बुरी आदत वर्ग रहसे बरतफौ। ८ परिवेषण, धिराव। उद्द (हिं. क्रि० वि०) अर्ध्व, ऊपर । ८ उत्पाटन, नोचखसोट। १० पठित पाठ का पुनः उडत ( सं० पु. ) उत्-हन्-त । १ राजमल्ल, पठन, आमोख्ता। १२ गाहपत्य अग्निका ग्रहण । शाही पहलवान। (त्रि.) २ अविनीत, अक्खड़। (पु.) १३ शान्तनु नरेशके पिता। इन्होंने माकण्डेय ३ उस्थित, उठा हुआ। ३ उत्क्षिप्त, उछला हुआ। पुराणके कुछ अंशको टोका बनायी थी। ४ आहुत। ५ चालित, भड़काया हुआ। ६ घोर, उद्दरणी (हिं. स्त्रो०) पठित पाठका पुन: पठन, बड़ा। ७ उत्कट, कड़ा। आमोखू ता। उद्दतमन (सं० लो०) १ अभिमान, घमण्ड । उद्दरणीय (सं० त्रि०) जपर चढ़ाने के योग्य, जो (त्रि.) २ अभिमानी, घमण्डी। निकाल लेनेके काबिल हो। उद्धतमनस्क (सं० त्रि.) अभिमानी, घमण्डी।। | उरना (हिं क्रि०) १ उद्धार करना, चाना । उद्दताण वनिश्वन (स• त्रि०) समुद्रकी भांति कोला- २ उद्धार पाना, उबरना । इल करनेवाला, जो समुन्दरकी तरह गरजता हो। उद्वर्तव्य, उद्दरणीय देखो। उद्दति (स. स्त्री०) उत्-हन गतौ तिन् । १ उद्गति, उद्दलं (सं० वि०) उत्-हट । १ उहारकारक, उंचाई, चढ़ाव। २ उन्नति, तरक्को। ३ उत्पतन, उबारनेवाला।२ उन्मलक, उखाड़नेवाला। ३तारण- ठोकर, चभेंट। ४ औद्धत्य, अक्खड़पन। ५ धृष्टता, कारक, पार लगानेवाला । “दिरातमस्तु पथि दौरोद्धत - शरारत। ६ गर्व, घमण्ड । रवीत ।" ( याज्ञवल्क्य ) ४ अंश लेनेवाला, हिस्सेदार । उचनपुर (उद्धरणपुर)-बङ्गाल प्रान्तके वर्धमान जिलेका सम्पत्तिको पुन: प्राप्त करनेवाला, जो जायदाद एक ग्राम। यह भागीरथी किनारे अक्षा०२३. ४१ फिरसे लेता हो। १०” उ० और द्राधि० ८८° ११ पू० पर अवस्थित है। उद्घर्ष (सं० पु०) उद् गतो हर्षो यस्मिन् । १ उत्सव, नदीपारकरनेको नाव चला करती है। यहां रोज जलसा। प्रधानत: धार्मिक उत्सवको उद्घर्ष कहते बाज़ार और पौषसंक्रान्तिको प्रति वर्ष मेला लगता है। हैं। २ पतिशय हर्ष, बड़ी खुशो। ३ कार्य करनेका उद्दना (हिं० क्रि०) उद गमन करना, उड़ना, फैल उत्साह, काम बनानेका हौसला। (त्रि.) ४ उत्- पड़ना। कृष्ट, बढ़िया। ५ जातहर्ष उद्दम (सं० त्रि०) उत्-मा-श, धमादेशः। १ कृत- | उद्धर्षण (सं० क्लो०) उत्-हष-ल्य ट। १ रोमाञ्च, शब्द, जो बोला हो। (पु०) २ कष्टखास, हंफो। रोंगटोका खड़ा होना। २ प्रोत्साहन, हौसलेका ३ शब्दकरण, आवाज निकालनेका काम । बढ़ाव। ३ हर्षयुक्त करना, खुश बनानेका काम ! उद्दमान (सं० लो०) चुली, चूल्हा । (त्रि.) ४ उत्तेजक, हौसला बढ़ानेवाला।