सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२८४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२८३ उनाला-उन्दुरु पति हावलकके साथ विद्रोहियोंका प्रधान युद्ध हुआ। उन्दिरमारी (सं० स्त्री०) मूषिकारी, एक बूटो। था। यहां चौनी बनाने का एक पुतलीघर खुला है। मूषिकारी कटक तथा नेत्रको लाभ पहुंचाने, पाखुका उनावके पेड़े अधिक प्रसिद्ध हैं। विष मारने, और व्रणदोष एवं नेत्रके रोगको मिटाने- उनाला (हिं० पु.) ग्रीष्मऋतु, गर्मी का मौसम।। वाली है। ( राजनिघण्ट) । उनासो, उन्नासौ देखो। उन्दी-वृक्ष विशेष, एक पेड़ । यह बम्बई प्रान्तके उनींदा (हिं.) उब्रिद्र देखो। रत्नागिरि जिले में समुद्र किनारे साधारणतः उपजता उनेवाल-गुजराती ब्राह्मणों की एक श्रेणी। इस है। इसके वीजका कटु-तैल मूल्यवान् है। तनेसे श्रेणोके ब्राह्मण दुर्भिक्षसे पीड़ित हो अपना देश राज- छोटो नौका बनती है। पूताना छोड़ गुजरातमें जा बसे थे। ये प्रायः बड़ोदे उन्दोकवाटिका-बम्बई प्रान्तके कनाड़ा जिलेका एक और काठियावाड़में रहते हैं। उना ग्रामके नामपर ग्राम। मालखेड़ाधिप राष्ट्रकूट-नृपति भविष्य के पुत्र उनेवाल कहे जाते हैं। उक्त ग्राम वेजा और वाधल अभिमन्युने इसे एक ब्राह्मणको पेठपङ्गरकवाले राजपूतोंके नेता वैजोने इनसे छीन लिया था। प्रायः दक्षिण-शिवको सेवाके लिये उत्सर्ग किया था। ताम- कृषिकार्य और भिक्षा पर जीविका निर्वाह करते हैं।। उन्द-काठियावाड़ प्रान्तको एक छोटी नदी। यह उन्दोवनकोष्ठक-तोण्डकराष्ट्रका एक उपविभाग। आज लोधिकासे निकल उत्तरको ओर बहती हुयी जोदियाके कल इसे उररुककाड़ कहते हैं। यह काञ्चीपुरम्के पास कछको खाडौमें जा गिरती है। समीप अवस्थित है। जो प्राचीन ताम्रफलक मिला, 'उन्दक (सं० पु०) धवल यावनाल, सफेद मकई । उसमें लिखा है कि-अपने मुख्यमन्त्री ब्रह्मश्रीराज वा उन्दन (सं० लो०) लेदन, खिंचाई । ब्रह्म-युवराजके कहनेसे नन्दीवरम् टपतिने अपने उन्दर, इन्दुर देखो। राज्यके २२वें वर्षमें किसी ब्राह्मण को कोडूकोल्ली उन्दरन-बम्बई प्रान्तको एक पर्वतश्रेणी। इसके नामक इस प्रान्त का एक ग्राम उत्सर्ग किया था। आधारपर धोलका और झालावाड़ नगर बसा है। उन्दुर, इन्दुर देखो। उन्दसरवैया-काठियावाड़ का एक प्राचीन उपविभाग। उन्दुरकर्णी ( स० स्त्रो०) उन्दुरस्य कर्णइव, गौरा- आज काल यह गोहिलवाड़में मिल गया है। क्षेत्र दित्वात् डोष्। पाखुपर्णो, मूसाकानी । फल १६० वर्गमौल है। पूर्वको ओर खम्बातको | उन्दुरु, इन्दुर देखो। खाड़ी है। शतरुजी नदोके दक्षिण तट तक उन्द उन्टुरुक इन्दुर देखो। सरवैया विस्तृत है। . उन्दुरुकर्णा (सं० स्त्रो०) १ पाखुपर्णी लता, चहा- उन्दिरखेड़ा-बम्बई प्रान्तके खानदेश जिलेका एक कानो। २ दन्तोभेद, किसो किस्मको दांतो। गांव। बोरी नदीके एक होपमें श्रीनागेश्वर महा- उन्दुरुकर्णिका, उन्दुरुका देखो। देवका मन्दिर बना है। कहा जाता है-त्रयम्बक उन्दुरुकर्णी, उन्दुरुकर्या देखो। राव माम पेठेने उक्त मन्दिर निर्माण कराया था। यह उन्दुरुपर्णी, उन्दुरुका देखी। गांव बाम्बक रावको पेशवाने कोई १६३ वर्ष हुये | उन्दूर (सं० पु.) उन्द-उरु । इन्दुर, चूहा। उत्सर्ग किया था। चारो ओर ०५ फीट ऊंचा प्राचौर संस्कृत पर्याय-मुषिक, पाखु, गिरिक, बालमूषिका, है। नदीमें जानेके लिये सोपान लगे हैं और सुन्दर मूष, मूषक, मूषिक, खनक, वधु, वृष, पाखनिक, आलोकस्तम्भ खड़ा है। मन्दिर ४५ फीट लम्बा और वृश, दोना, मूषोका, विलेशय और शुषिर है। क्षुद्र २५ फीट चौड़ा है। हारप्रकोष्ठ में नन्दीको मूर्ति है। इन्दुरको चिक्क, वेश्मनकुल, चिक्का, हालाहला पौर प्रस्तर सुन्दर कारकार्यसे खचित है। । मननिका कहते हैं। इन्दुर देखो।