पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२८८

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उन्नमन-उन्नय २८७ उन्नमन (सं० लो०) उत्-नम-ल्य ट् । १ उन्नति, , उन्नाभ (सं० पु.) रघुवंशीय राजविशेष । (घु १८१८) तरक्की। २ उत्तोलन, उठाव । ३ सुश्रुतोक्त यन्त्र द्वारा उन्नाय (सं० पु०) उत्-नो उपपदे घञ । पद नियः । व्रणरुधिर साबसाधक चिकित्सा कर्मविशेष, नश्तरसे पा ।२६। १ उत्तोलन, उठाव, खिंचाव। २ परामर्श, जखमके लह निकालनेका इलाज। मशविरा। उन्नमित (स. त्रि.) उत्-नम-णिच-त । १ उत्ता- उन्नायक (सं.वि.) १ उत्तोलन करने वाला, जो लित, उठाया या चढ़ाया हुआ। २ जोक्कत, ऊचा उठाता हो। २ प्रमाण दनेवाला, जो हवाला देता हो। किया हुपा। “अथ प्रयबोन्नमितानमत्फणैः।" (माघ १।१३।) उन्नायकत्व (सलो . ) १नावकत्व, समझान या उन्नम् (सं. त्रि.) उत्-नम्ब-रन्। उनत, ऊंचा, बतलानेका काम। २ जनकन्नानविषयत्व (धायकौमुदी) खड़ा हुआ। उन्नासी (हिं.वि.) ऊनाशीति, सात दाइ और उन्नय (२० पु. ) उत्-नो क्वचिदपवादविषये अच् । नो एकाई रखनेवाला। १ उत्तालन, खिंचाव । २ उत्थान, उठान। उन्नाह (सं० पु.) उत्-नह-घज । काञ्चि, शांजी। ३ सादृश्य, बराबरी। यह तण्ड लके मण्डसे बनता है। उन्नयन ( स० लो०) उत्-नी-ल्यु ट्। क्लत्यल्युटो बहुलम् । उन्निद्र ( स० त्रि०) उगता निद्रा स्वप्ना दः वादिक पा ३।११३। १ उत्तोलन, खिंचाव। २ परामर्श, मश- वा यस्मात्। १ प्रफल, फला हुपा। २ विकसित, विरा। ३ अनुमान, अन्दाज । ४ उन्नति, तरक्को, खिला हुआ। ३ निद्रारहित, जागता हु पा. जिसे उठान। ५ उद्भावन, गफलत। ६ न्यायशास्त्र, इल्म- नोंद न लगे। ४ सतर्क, खबरदार। ५ उद्दोप्त, चम- मन्तिक । ७ पूतभृत्पात्र, अर्क. रखनेका वरतन। कोला। ६ निद्रा न लेनेवाला, जो सोता न हो। "उन्नयने च" (कात्यायनश्रोतसू० १५।१२।१४) 'उन्नत्यस्मादित्य ब्रयन उबिद्रता (सं० स्त्रो. ) निद्राराहित्य, बेदाग, नोंद न पूतभृटुच्यते । (कर्क) (त्रि.) उवमितं नयनं येन। ८ उन्न- लगनेकी हालत। मितचक्षुः, आंख उठाये हुआ। उन्नी (सं० त्रि०) उत्तोलन करनेवाला, जाजरको उन्नविष्क-काठियावाड़ गिरनार पर्वतके निकटस्थ खींचता हो। एक प्राचीन ग्राम। भीमने इसो स्थानपर उनक उन्नीत (स.वि.) उतनो-त । १ अव नीत, अपर नामक असुरको मारा था। आजकल इसे 'पोसम' ! उठाया हुआ। २ विकसित, खिला हुआ। कहते हैं। उन्नीस (हिं० वि०) १ एकोनविंशति, एक दहाई और "ततो गच्छेन्महादेवि उन्नविश्क ति विश्रुतम् । नौ एकाई रखनेवाला। २ किञ्चित् न्य न, कुछ कम। योजनस्यान्तर देवि पश्चिमे मङ्गला स्थितः ॥ उन्नीसवां (हिं० वि०) उन्नीस संख्या रखनेवाला। उन्नको यव भौमेन हत्वा त्यक्तस्तथा प्रिये।” (प्रभासखख २८८/२,४-५) उन्नेल (सं. त्रि०) उत्-नो-टच्। १ अर्व नेता, उन्नस (स.वि.) उन्नता नासिका यस्य, बहुव्रोहः। ऊपर ले जानेवाला । २ उदभावक, तरको देनेवाला। समासान्तोऽच् स्यात् । उपसर्गाच। या ५।४।११९ । १ उच्च (पु.) ३ सोलाह ऋत्विक्के अन्तर्गत एक ऋत्विक । नासायुक्ता, ऊंचौ नाकवाला। इसके द्वारा सोमरसको भाण्डसे पात्रमें छोड़ाते हैं। उबाद (सं० पु० ) उत्-नद-धज । उच्च शब्द, उन्नेत्र (सं० लो०) १ उता ऋत्विकका कार्य । ऊंची आवाज़। (भारत वन १५८ अ०) (कात्यायनश्चीतम्. २४।४।४६) (त्रि.)२ अर्वनेत्र, आंख . उबाब (१० पु.) वदरोफल, बेर। यह अफगान- जपरको उठाये हुआ। स्थानसे शुष्क पाता और औषधमें डाला जाता है। उन्ने य (स• त्रि०) उत्-नो-यत्। १ अर्ध्व ले जाने उन्नाबी (अ. वि. ) बदरी फलवत् रलावणे, बेर- योग्य, जो ऊपर चढ़ाने काबिल हो। २ उद्भावनौय, जैसा लाल। ख्यालमें न लाये जाने काबिल।