पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२९६

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गली। उपकथा-उपकुञ्च २६५ उपकथा (सं० स्त्री०) आख्यायिका, कहानी। लेखाम, कमन्दक, पिझलक, वर्णक, मसूर कण, उपकनिष्ठिका (सं० स्त्री०) उपगता कनिष्ठिकाम्। मदाघ, कवन्तक, कमन्तक, कदामत्त, दामकण्ठ । अनामिका, सबसे छोटीके पासको उंगली। उपकादिभ्योऽन्यतरस्यामहन्द । पा ४६ । उपकन्या (सं० स्त्री० ) उपगता कन्याम् । कन्याको उपकान्त (सं० अव्य.) कान्तके समोप, दास्त के सखी, बेटीकी सहेलो। पास। उपकन्यापुर (सं. अव्य.) स्त्रीभवनके समीप, औरतोंके उपकार (स'. पु०).उप-क भावे घज । १ साहाय्य, घरके पास। मदद। २ अनुग्रह, मेहरवानी। ३ उपकरण, सामान्। उपकरण (स० क्लो०) उप-क-लुपट् । १ सामग्री,सामान् । ४ विकीर्ण कुसुमादि, लटकाये हुये फूल वगैरह। २ राजाका छत्रचामरादि चिह्न। ३ उपकार, भलाई।। उपकारक (सं० त्रि.) उप-क-खल । उप- उपकरणवत् (स० त्रि.) सामग्रीयुक्त, सामानसे भरा | कारकर्ता, भलाई करनेवाला। हुआ। उपकारकत्व (सं० क्लो०) साहाय्य, मदद, भलाई। उपकरना (हिं. क्रि०) उपकार करना, फायदा उपकारपर (सं० त्रि.) उपकारक, भलाई कर- पहुंचना। नेमें मेहनत उठानेवाला। उपकर्ण (स० अव्य० ) कर्णे वा कर्णस्य समीप, उपकारापकार ( स० पु. ) साहाय्य तथा आपद, विभक्त्यर्थे सामीप्य वा अव्ययीभावः । कर्ण में, कानके | भलाई-बुराई। पास। उपकारिका (सं० स्त्री०) उप-क-खल-टाप् अत उपकणिका (सं० स्त्री०) १मूषक इत्वम् । १ उपकारकों, भलाई करनेवाली। २ किंवदन्ती, अफवाह, कानाफसी। २ पिष्टकभेद, किसी किस्म की गेटो या पूड़ी। उपकट ( संत्रि०) उप-क-च । उपकारक, फायदा ३ कुशून, कोठला। ४ राजभवन, शाही महल । पहुंचानेवाला। उपकारिता (स० स्त्री०) साहाय्य, प्रदद। उपकलाप ( स० अव्य०) कलापमें, कन्तापके निकट । उपकारिन् (सं० त्रि.) उपकार करनेवाला, जो उपकल्प (स' त्रि.) उपगतः कल्पम् । कल्पोपगत, फायदा पहुंचाता हो। कल्पसे मिला हुआ। उपकार्य (सं० त्रि०) उप-क-ण्यत् । १ उपकार उपकल्पनै (सं.क्लो०) उप-क्लप-गिाच-लुपट । १ सम्पा किये जाने योग्य, जो भलाई किये जाने के काबिल हो। दन, बनवाई। २ आयोजन, तैयारी। उपकार्या (सं. स्त्रो०) १ राजभवन, शाही महल । उपकल्पित (सं० त्रि.) १ प्रायोजित, तैयार किया २ कुशूल, अन्न रखने का घेरा।। हुआ। २ सम्पादित, बनाया हुआ । उपकाल ( स० पु.) एक नागराज । उपकादि-पाणिनिका कहा हुआ एक गण। इसमें | उपकालिका (सं. स्त्री०) १ जोर कभेद, किसी : निम्नलिखित शब्द पड़ते हैं-उपक, लमक, भ्रष्टक, किस्मका जौरा । २ खेतजोरक, सफेद जोरा। ३ कृष्ण- कपिष्ठल, कृष्णाजिन, कृष्णसुन्दर, चडारक, प्राडारक, जौरक, काला जीरा। ४ कलोजोजोरक, कलोंजन। षड़क, उदशा, सुधायुक, प्रबन्धक, पिङ्गलका, पिष्ट, ५ पिप्पली, पीपल । सुपिष्ट, मयूरकर्ण, खरीजङ्घ, शलाखल, पतञ्जल, उपकीचक (स० पु०) विराट राजाके श्यालक, पदाल, कठेरणि, कुषोतक, काशकृत्स्न, निदाघ, कोचकके अनुज । कलशीकण्ठ, दामकण्ठ, कृष्णपिङ्गल, कर्णक, पर्णक, उपकोण (सं. त्रि०) सिता, छिडका हश्रा, जो जटिलक, वधिरक, जन्तुक, अनुलोम, अनुपद, प्रति- | भरा हो । खोम, अल्पजगध, प्रतान, अनभिहित, कमक, वटारक, | उपकुच्च (सं० पु.) कृष्णजीरक, काला जीरा।