२६८ उपगम-उपग्रह मथर करनेवाला। २ प्राप्त करनेवाला, जो पा गया | इन्हें 'अलक्षणक बुद्ध' कहते थे। ये जातिके शूद्र हो। ३ ज्ञाता, समझ जानेवाला। रहे। सप्तदश वर्षके वयःक्रम कालपर इन्होंने सनग्रास उपगम (सं० पु०) उप-गम-अप। १ अङ्गीकार, लिया और योगबलसे कामको विजय तथा समाधि- मसरो। २ निकटगमन, पहुँच। ३चान, समझा। कालमें बुद्धदेवका दर्शन किया था। बुद्ध निर्वाणके एक ४ आसक्ति, लगाव । ५ प्राप्ति, याफ त । शतवर्ष बाद कालाशोकके समय ये विद्यमान रहे। उपगमन (सं० क्ली०) उप-गम भावे ल्य ट । उपयम देखो। बौद्धों का प्रथम महासाङ्गिक सम्प्रदाय उपगुप्तके ही उपगम्य ( त्रि.) १ निकट जाने योग्य, मिलने समय चला। इन्होंने मथुरा में एक स्तू प बनवाया काबिल। (अव्य.) निकट जाकर, पहुंचके । था। बोधिसत्त्वावदानकल्पलताके मतसे इन्होंने मथ- उपगहन (सं० पु.) ऋषिभेद। (मारत आदि ४५०) राके प्राय १८ लक्ष लोगोंको बौद्ध धर्म में दीचित उपगा (स.पु.) उप-गे-किर । १ यनमें गानेवाला किया। ( उपनुप्तावदान) एक ऋत्विग। (स्त्री०) भावे पज । २ उपगान। उपगुप्तवित्त (म. वि.) गुप्त विभवयुक्त, छिपी उपगार (म. पु.) उप-गे-सच । यत्रस्थलमै उद्- दौलत रखनेवाला। गाताके समीप गानेवाला एक ऋत्विग। उपगुरु (सं० पु.) १ सहायक गुरु, मददगार "स्पतिस्माता विश्वे देवा उपयासारः।" (चयजुः ।।१) | उस्ताद। २ राजविशेष। उपगामिन् (सं.वि.) मिकट उपस्थित होनेवाला, उपगूढ़ (सं० वि०) उप-गुरु-त। १ आलिङ्गित, जो पास पा रहा हो। लिपटाया हुआ। २ गुप्त, पोशीदा। ३ नियन्त्रिस, उपगिर (सं पन्य) पर्वतपर, पहाड़के ऊपर । दवाया दुधा। (को०) भावे । ४ आलिङ्गन, उपगिरि (सं. भव्य.) गिरी: समीयस्य । १ पर्वत हमागोशौ। “विश्वामार्थ मुपगूढमत्रसम् ।” ( माघ ) समीप, पहाड़के पास। (पु.)२ देश विशेष, एक | उपगूढ़वत् (सं.वि.) आलिङ्गन करनेवाला, जो पहाड़ी मुल्क। छातीसे लगा चुका हो। "तथे वीपगिरिचय विजिग्ये पुरुषर्षभः ।" (भारत सभा २६० १०) | उपगूहन (स० क्लो०) उप-गूह-ल्य ट । पाति- उपगीत (स.वि.) कवियों द्वारा गाया हुआ, जन, हमागोशी। जो गाया-बजाया गया हो। उपगेय (सं० वि०) मान करने योग्य, गाने-बजाने उपगीति (सं०बी०) छन्दोविशेष, एक प्रकारका या मनानेके काबिल। पार्या छन्द। इसमें चार पाद होते हैं। सममें बारह उपगोध (सं०वि०) उप-गुह-यत् । १आलिङ्गन- और विषम पादमें पन्द्रह मावा लमती हैं। योग्य, लिपटानेके काविल। २ ग्राह्य, लेने लायक । - "चार्या दितीयका यद्यमदितं खच्चयं तत् स्यात् । उपग्रन्थि (स. पु) बङ्गके किसी ग्रन्थिपर निक- यद्युभयोरपि दखयोरुपयोति तां मुनिन 'ते।" (वृत्तरबावर) | सनेवाली गांठ। उपगीय (सं.पव्य.) गान करके, गा-बजाकर। उपग्रह (सं० पु.) उप-ग्रह-प्रप। १ बन्दी, क. दी। उपगीयमान (सं० वि०) गान किया जानवाला, २ बन्धन, कैद। .३ उपयोग, इस्तमाल। ४ अनुग्रह, जो गाया-बजाया जाता हो। मेहरबानी। ५ सन्धि विशेष, किसी किस्मकी सुलह। उपगु (सं. पु.) १ राजविशेष। ये सत्वरथिके यह कुछ देकर की जाती है। ६ कुशसमूह । पुत्र थे। (विपु० ४।३।१३) (अव्य.)२ गोके समीप, ७ ज्योतिषोक्त ग्रहके तुल्य भ्रमण करनेवाला ज्योति: गायके पास। (वि.) ३ प्राप्तकिरणादि। पदार्थ, राहु केतु प्रभृति । उपगुप्त (सं. वि.) १ गुप्त, पोशीदा, जो छिप "सूर्यभात् पञ्चमं विष यज्ञेयं विद्यम्मुखाभिधम् । . गया हो। (पु.) २ एक बौर सिर पुरुष। बौर यन्वचाष्टमगं प्रोक्त सन्निपातं चतुर्दशम् ॥
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/२९९
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