उपदिग्ध-उपदेष्ट टाप । उपजिहा, एक चौंटी। इससे दुर्गन्ध निक- उपदेश ( स० पु०) उप-दिश-घञ् । १ परामर्श, लता है। नसीहत । २ शिक्षादान, तालीमका देना। ३ हित- उपदिग्ध (स• त्रि०) १ लिप्त, पालूदा, भरा हुआ। कथन, भली बात। ४ प्रादेश, हुकम । ५ मन्त्रकथन । २ विन्दुलाञ्छित, धब्बेदार। ६ दीक्षा। उपदिश, उपदिक् देखो। "चन्द्र सूर्यग्रह तो सिद्धचव शिवालये। उपदिश (सं० पु०) वसुदेवके एक पुत्र । मन्त्रमावप्रकथनमुपदेश: स उच्यते।” (रामार्चनचन्द्रिका) उपदिशा, उपदिक् देखो। चन्द्र एवं सूर्य ग्रहण, तीर्थस्थान, सिद्धपीठ और उपदिश्य (स अव्य.) उपदेश करके, नसीहत देकर। शिवमन्दिरमें मन्त्र कथनका नाम उपदेश है। उपदिश्यमान (सं० त्रि०) उप-दिश कर्मणि शानच। मनु प्रभृति प्राचीन संहिताकारोंने ब्राह्मणादि १ उपदेश-सम्बन्धीय, नसीहतसे सरोकार रखनेवाला। विन लोगोंको ही उपदेश देने की आज्ञा दी है। २ उपदेश पानवाला, जिसको नसीहत दी जाती हो। मनुने एक स्थानपर कहा है- उपदिष्ट ( सं० त्रि०) उप-दिश कर्मणि क्त। "धर्मोपदेश दर्पण विप्राणामस्य कुतः । १ उपदे प्राप्राप्त. नसीहत किया हुआ। २ कथित, तप्तमासेचयेत् तैलं वक्त बोवे च पार्थिवः ॥” (८।२७) . कहा हुआ। ३ ज्ञापित, बताया हुअा। ४ श्रादिष्ट, दसे यदि शूद्र ब्राह्मणको धर्मोपदेश सुनाये, तो हुकम दिया हुआ। ५ प्रदर्शित, देखाया हुआ। राजा उसके मुख पार कण में तप्त तेल डालनेकी (लो०) भावे क्त। ६ उपदेश, नसीहत। आज्ञा दे। मन्त्र और दीक्षा देखो उपदी (सं० स्त्री०) उपत्य दीयते स्वराज्यते, उप ७ न्यायमतसे-शब्द, आवाज़। ८ मुस्तक, मोथा। दो-क-डोष्। बन्दाक, बांदा। उपदेशक (सं० त्रि.) उप-दिश-ख ल । १ उपदेश- उपदोका, उपदिका देखो।। कर्ता, नसीहत देनेवाला । २ सत्परामर्शदाता, उपदीक्षिन् (सं० त्रि.) उपगतो दीक्षिणं सामो- | भलो सलाह देनेवाला। ३ शिक्षक, सिखानेवाला। प्येन । १ यज्ञस्थल में दीक्षितके निकटस्थ । २ दीक्षाप्राप्त। उपदेशता (सं० स्त्री०) १ उपदेश होने की स्थिति, उपट्टक् (दै० नि०) उप-दृश-क्विन्। १ अर्ध्वस्थित | नसीहत रहनेको हालत। २ शासन, हुक्म । ३ शिक्षा हो दर्शन करनेवाला, जो ऊंचे बैठकर देखता हो। कौ रोति, तरीक़-तालीम। ४ मत, अकीदा। (स्त्री०) २ दर्शन, नजारा। | उपदेशन (सं० क्लो०) परामर्श का देना, नसीहतका “भद्रा सूर्य प्रवीपदृशः।” (ऋक् ८६१।१५) 'सर्वस्व लोकस्योप- करना। द्रष्टा तत्तत्कर्मणामुपदृगुपट्रष्टा।' (सायण) उपदेशना (सं० स्त्री०) मत, अकीदा। उपदृश, उपदृक् देखो। उपदेशनीय, उपदेष्टव्य देखो। उपदृषद् ( स० अव्य० ) सीमा-प्रस्तरके समीप, | उपदेशार्थसक्य (सं० क्लो०) दृष्टान्त, मिसाल । हदके पत्थरके पास। उपदेशिन् (सं० त्रि०) उपदिशति, उप-दिश - उपदृष्टि (सं० स्त्री०) दर्शन, नजारा। णिनि। उपदेष्टा, नसीहत देनेवाला। उपदेव (स० पु०) उपगतो देवं सादृश्येन, पत्यादि | उपदेश्य (सं० त्रि०) शिक्षा दिये जानेके योग्य, समा। १ अक्र रपुत्र। (विष्णपु० ४।१४।२) २ देवक | जो सिखानेके काबिल हो। राजके पुत्र। (हरिवंश ३८ अ० ) ३ भूत प्रेतादि। उपदेष्टव्य (सं०नि०) शिक्षा दिये जानेके योगा, उपदेवता (सं० स्त्री०) यक्षभूतादि। सीखनकाबिल। उपदेवी (सं० स्त्री० ) १ वसुदेवको षष्ठ स्त्री। उपदेष्ट (सं० त्रि०) उप-दृश -ढच् । उपदेशकर्ता, २देवकराजको कन्या। ३ विद्याधरी प्रभृति। नसीहत देनेवाला।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३०९
दिखावट