पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३२९

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३२८ उपपातकिन्-उपपुराण पिता, माता, गुरु, स्वाध्याय, अग्नि एवं पुत्रका आलस्य | ३ युक्ति द्वारा समर्थन । ४ मीमांसाकरण, तज- द्वारा त्याग अर्थात् पुत्रका जातकर्म संस्कार न करना, वौजसानी। ज्येष्ठ अविवाहित रहते कनिष्ठका विवाह, जाष्ठ वा उपपादनीय, उपपाद्य देखो। कनिष्ठको कन्यादान, अथवा ऐसे ही विवाहमें पौरो-: उपपादित (सं० त्रि.) उप-पद-णिच्-त। १यक्ति हित्य पालना, अङ्गलसे कुमारी कन्याको योनिका विदा- कानाकोपोनिका विदा- हारा समर्थित, तरकीबके साथ ठहराया हश्रा। रण, वृद्धिको जीविका, स्त्रीसम्भोगादि हारा ब्रह्मचर्य २ सम्पादित, बनाया हुआ। व्रतको च्युति, तडाग उद्यान और स्त्रीपुत्रादिका विक्रय, उपपादुक (स० त्रि०) १ निज द्वारा उत्पन्न किया १६ वर्ष बीतनेघर भी उपनयन न होना, पिटव्य प्रभृति हुआ, जो अपने करनेसे निकला हो। २ जते पहने वान्धवोंका त्याग, वेतनसे वेदका अध्यापन, वेतनग्राही हुश्रा, नाल बंधा। (पु.) ३ देवता, फरिश्ता। अध्यापकसे वेदका अध्ययन, अविधेय वस्तुका विक्रय, ४ नरक, दोज़ख। राजाज्ञासे सुवर्णादिको खनि तथा सेतु प्रभृतिका कार्य, उपपाद्य (स• त्रि०) उप-पद-णिच् यत् । १ युक्ति द्वारा. ओषधिका विनाश, भार्यादिका उपपति द्वारा जीविका- समर्थनके योग्य, तरकीबके साथ ठहराया जा सकने निर्वाह, श्येनादि भाभिचारिक योग वा मन्त्र हारा वाला। २ उद्देश्य, जो पैदा किया जा निरपराधीका अनिश्करण, जलाने के लिये अशुष्क वृक्ष-उपपाप, उपपातक देखो। च्छेदन, देवयित्रादिके उद्देश्यसे व्यतिरेक अपने लिये उपपाव (सं० पु. लो०) १ स्कन्ध, कन्धा । २ कक्ष, पाकयज्ञादिका अनुष्ठान, लशुनादि निन्दित खाद्यका कोख । ३ क्षुद्रतर अन्त्र, छोटी पसलियां। ४ सम्मखस्थ भोजन, अग्न्याधान न करना, असत् शास्त्रको आलो- पाच, सामनेको तर्फ।। चना, गान एवं वाद्यको आसक्ति, धान्य ताम उपपालित (सं० त्रि०) रक्षित, पाला हुआ। लौहादि धातु तथा पशुको चोरी, मद्यपायिनी स्त्रीके उपपौड़न (सं० स्त्रो०) १भार, दबाव। २ पौडन- पास जाना, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र तथा स्त्रीहत्या और काय, तकलौफ़दिही। ३ पौड़ा, दर्द, सतानका काम। नास्तिकता, इन सकलमें प्रत्येकको उपपातक कहते हैं। उपपीड़ित (सं० त्रि०) १ विनष्ट, बरबाद किया प्रायश्चित्त देखी। हुआ। २ पौड़ित, सताया हुआ। उपपातकिन (सं०वि०) १ उपपातक करनेवाला, उपपुर (सं० ली.) उपसमोपे पुरम्, प्रादि समा० । जो छोटा गुनाह करता हो। २ सिवा प्रथम श्रेणोके | नगरका निकटवर्ती शाखा नगर, शहरके पासका अन्य किसी श्रेणीका पाप करनेवाला। छोटा कसबा। उपपातिन् (सं० नि०) उप-पत-णिनि स्त्रियां डोप। उपपुराण (सं० क्लो०) व्यासके सिवा अन्य ऋषियों- १ हठात् प्रागत, एकाएक अनिवाला। २ अतर्कित द्वारा कृत क्षुद्रपुराण। यथा- भावसे उपस्थित, पहुंचा हुआ। १ सनत्कुमारोक्त आदि, २ नारसिंह, ३ कुमार- "रन्धोपपातिनीऽनाः।" (शकुन्तला) भाषित वायवीय, ४ नन्दीशोक्त शिवधर्म, ५ दुर्वा- उपपाद (सं० पु०) उप-पद-घञ्। १ उपपत्ति, ससोक्त टुर्वासाः, ६ नारदीय, ७ नन्दिकेश्वर, ८ उशनाः, ठहराव। (त्रि.) २ पादोपगत, पैरमें पड़ा हुआ। ८ कापिल, १० वारुण, ११ शाम्ब, १२ कालिका, उपपादक (सं० त्रि.) उपपादयति, उप-पद-णिच- १३ माहेश्वर, १४ पाद्म, १५ देवी, १६ पराशर, ख ल । १ उपपत्तिकारक, ठहरानेवाला। २ सम्पादक, १७ मारीच और १८ भास्कर। करनेवाला। ३ उपपत्ति-युक्त, ठहरा हुआ। कूर्मपुराणके मतसे इन्हें उपपुराण कहते हैं- उपपादन ( स० क्लो०) उप-पद-णिच-ल्यट। १ सम्मा- "आद्यं सनत्कुमारोतं नारसिंहमतः परम् । दन, बनाव। २. सम्यक् प्रतिपादन, खासा मुबूत।। वृतौयं स्कान्दमुद्दिष्ट कुमारेच तु माषितम् ।।