पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३६२

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उपेक्षित-उपोदिका तक, छोड़ बैठनेकी बात। २ औदासीन्य, लापरवाई। : उपेय (स० त्रि०) उप इन्-यत्। १ उपायसाध्य, ३ अङ्गीकार, मञ्ज रो। ४ सामान्य उपाय, मामूली तदबीरसे हो सकनेवाला। २ प्राप्तव्य, मिल सकने- तदबीर। ५ अनादर, वेइज्जती। वाला। (ननु । २१५) ३ गम्य, जाने लायक। “कुर्यामुपेक्षा हतजीवितेऽस्मिन् ।” (रघु १४५४) उपयन (सं० त्रि.) उपगत, पास पहुंचा हुआ। उपेक्षित (स० त्रि.) उप-ईच-त। अनाहत, उपना (हिं.वि.) नग्न, उघाड़ा, जो ढका न हो। ख्याल न किया हुआ। २ त्यता, छोड़ा हुआ ! उपोढ़ (स. त्रि.) उप-घाड-ला। १निकटस्थ, ३ अवज्ञात, न सुना हुआ। ४ अस्वोकत, जो मञ्च पासवाला। २विवाहित, व्याहा हुघा, ३ उपगत, किया न गया हो। . नज़दीक लाया हुआ। ४ मुसज्जित, ठीक किया उपेक्षितव्य, उपेक्षयोय देखी। हुआ। (लो०) भावे त। ५ व्यक. बंटाव । उपेक्ष्य, उप्रेक्षणीय देखो। उगेती (सं० स्त्री०) उप--हा डोग.। पूतिका, उपत (सं. त्रि.) उप-इन-त। १ उपागत, नज- पोय ( Basella rubra or lucidc.) यह गुरु, दीक आया हुआ। २ समीप गत, पास पहुंचा हुया। सार घोर सदघ्न होती है (बाभट)। उपोतो कषाय, ३ प्राप्त, पहुंचा या मिला हुआ। ४ उपनीत, जनेऊ उशा, कटक, मधुर, रुच और निद्रा, बालस्य, विष्टम्भ किया हुअा। ५ गर्भाधानके लिये स्त्रीके पास गयाहा। एवं भकर है। उपोती तीन प्रकारको होती है,-. गर्भाधानमती ब्रह्मगर्भ सन्दधाति । (हारीत) सामान्य, क्षुद्रयत्र और वनज रस और वीर्य के उपेति (सं० स्त्री०) प्राप्ति, पहुंच। विपाकमें दूसरी पहली ही जैसी रहती है। तीसरी उप (सं० वि०) १समीपगन्ता, पास पहुंचने लिज, कट और रोचन है। राशनिघण्ट) यर स्वादु, वाला। २ आक्रामक, हमला मारनेकी गरज से! पाकरत, वृष्य, सर, स्निग्ध, वख्या, नेमकर, हिम चढ़ा हुआ। और वात, पित्त तथा मदको दूर करनेवाली है। (सुझुत) उपेनित (सं० त्रि०) अन्तर्गत किया हुआ, जो भीतर उपोत्तम (सं० पु.) १ अन्तिम मिला हुआ, लाया गया हो। जो आखिरीके पास हो। (लो) ३ अन्तिम स्वरसे उपेन्द्र (सं० पु०) इन्द्रसुपगतः। १ विष्णु, छोटे संलग्न स्वर, जो हफ-इल्लत पाखिरी हफ-इल्लतसे इन्द्र। वामनावतारने कश्यपके औरस और अदितिक मिला हो। गर्भसे इन्द्र के पीछे जन्म लेनेके कारण विष्णुका एक उपोस्थित (सं० त्रि०) ऊपरको उठा हुमा, जो नाम उपेन्द्र भी है। उठ बैठा हो। “ममोपरि यधेन्द्र स्व स्थापितो गोभिरीश्वरः । उपोदक (सं० वि० ) उपगतमुदकम् । १ उदक- उपेन्द्र इति तथा त्वां गास्वन्ति दिवि देवताः ॥” (हरिवश ७५४६ ) समीपस्थ, पानीके पास पड़नेवाला। (शक्लयजुः २५६) बानन देखी। (अव्य०) २ उदकके समीप, पानीके पास । २ नागराज विशेष। उपोदका, उपोतो देखो। उपेन्द्रभक्षु-उतकल देशस्थ गुमसरके एक राजा। उपोटको (सं. स्त्री. ) उपगतमटकम होष। उत्कल देशीय कवियों में यही सर्वप्रधान रहे। प्रायः षिटुगोरादिभ्यश्च । पा ४१६४१ । पूतिका, पोय । सवा तीन सौ वर्ष पहले उपेन्द्रभञ्ज विद्यमान थे। उपोदय (स. अव्य.) सूर्योदयके समय, बाफ- उपेन्टवज्जा (सं० स्त्री० ) ग्यारह ग्यारह अक्षरों के चार ना निकलने से। एक पादका एक छन्द । उपोदिका ( सं. स्त्री० ) उपाधिकमुदकमस्याम्, "उपेन्द्रवल्या जभजास्ततो गो।” (हत्तरबाकर) उत्तरपदस्य चेत्युत्तरपदस्योदादेशः, कप ततः टाप् । उपेसा ( स० स्त्री०) प्राप्तिको इच्छा, पानेको ख़ाहिश ।। उपोदको, पुदीना। पूतिका देखो। ___Vol III. 1