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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/३८२

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उरणाक्षक-उरश ३८१ उरणाक्षक, उरणाच देखो। । कार ! स्वीकार ! मञ्जर ! अच्छा! हां। २ विस्तार ! उरणाख्य, उरणाच देखो। बढ़ावा ! चलने दो ! बढ़ो! उरणाख्यक, उरणाच देखो। उररीकार (सं० पु०) उररी व-धन्। १ अङ्गीकार, उरद (हिं० पु०) धान्यविशेष, एक अनाज। माष देखो!' मञ्जरी, वादा। २ प्रवेश, दखल, पंहुच । उरदी (हिं० स्त्री० ) १ क्षुद्र माषविशेष, छोटा उड़द। उपरोक्त (सं० त्रि०) अङ्गीकृत, मञ्जूरशुदा । २ विस्ता- इसे आषाढ़ मासमें बोते हैं। प्राचिन वा कार्तिक- रित, बढ़ाया हुआ। में यह तैयार हो जाता है। वीज कृष्णवर्ण रहता उरल (स० त्रि०) उर बाहुलकात् कलच् । १ गति- है। एक तरहको उरदी तीन पक्षमें ही करती है। युक्त, चलनेवाला। (हिं. पु०)२ मेषविशेष, एक २ पात्रचिङ्गविशेष, थालोके बीचका निशान् । ३ यन्त्र- ' भेड़ । इसके दाढ़ी लटकती है। विशेष, एक ठप्पा। ४ पुलिस, पलटन या दूसरे मह- उरला (हिं. वि.) १ पिछला, जो आगे न हो। कमेके सिपाहियों की पोषाक । ५ कमिविशेष, एक २ अद्भुत, निराशा। कौड़ा। यह पशुवांक प्रायः चिपट जाता है। उरल्य (स• त्रि०) उरल-यः । वलादिभ्यो यः। १ उरल- उरध (हिं.) ऊर्ध्व देखो।

सब्रिहित, उरन्नोंसे भरा हुआ (देशादि)। (पु.) २ एक

असभ्य जाति। मन्ट्राज प्रदेशके मध्यवर्ती खोधवल्य उरधारना (हिं. वि०) छिटकाना,लटकाना,छोड़ देना। गिरिमें इस जातिके लोग रहते हैं। यह एक स्थानमें उरना (हिं.) उरण देखो। ठहर नहीं सकते। पहाडोंमें घूम-घूम कर इन्हें शिकार उर-तरप (हिं.) उड़प देखो। । मारना बहुत अच्छा लगता है। साथ में कुक्कर और उरप्यजी-गुजरातके सैयद मुसलमानोंको एक शाखा। हाथमें धनुर्वाण रहता है। यह महिषसे बड़ी घृणा यह लोग सैयदबुध याकूबके वंशधर हैं। सैयद बुध दबुध, रखते और देखते ही दूर भागते हैं। यदि कोई उसे उन सुप्रसिद्ध अश्वारोही बोरके भतीजे थे, जिनके छ लेता है, तो अपनी जातिसे उसे हाथ धोना पडता है कारण अजमेरके तारागढ़ दुर्गपर सबसे पहले (११६५ । और नियमित दण्डके अनुसार अपने किये को रोता ई.) इसलामका झण्डा उड़ा। सैयद बुध गुजरातके क; है। महिष छनेवाली दूसरी जातिको यह अत्यन्त हेय सुलतान अहमदके समय (१४११-१४४३ ई.) जीवित थे। समझते हैं। पिता और माताके हाथमें सब काम उरफ, उर्फ देखो। करनेका भार रहता है। उनका पादेश सन्तानको उरवसी, उर्वसौ देखो। प्राण खोते भी पालन करना पड़ता है। यह सम्भवतः उरबी, उर्वो देखो। लाजुक और नम्रप्रकृति होते हैं। दूसरी जातिमें उरच (सं० पु.) उरु उत्कटं भ्रमति, भ्रम-ड। यह किसी प्रकार मिलना नहीं चाहते। १ मेष, भेड़ा। २ विषधर कोटविशेष, एक जहरीला राला उरविज (हिं. पु.) मङ्गल, मिरोख। कौड़ा। ( सुचत) उरश (स' पु०) एक अति प्राचीन जनपद। पाणिनि- उरभसारिका (सं० स्त्री०) वातप्रकृति कोटविशेष, ने तिकाटि, भर्गादि और वरुणादि गणमें इस एक जहरीला कौडा। इसके काटनेसे वातज रोग उठ स्थानका उल्लेख किया है। मतस्य (१२०४६) और खड़े होते हैं। (मुत्रुत) ब्रह्माण्ड ( १३४१) पुराणमें इस जनपद और इसके हरमना (हिं. क्रि०) झमना, लटकना। निवासिगणका नाम 'औरस' कहा है। वामनपुराणमें उरमाना (हिं० क्रि०) डालना, लटकाना। उर्वश (१३४१ ) और मार्कण्डेय तथा वायुपुराणमें उरमाल (हिं. पु.) रूमाल, अंगोछा। , पौषध, औपग, वा भौतंश आदि नाम मिलता है। उररी (सं० अव्य.) उर बाहुलकात् अरोक् । १ पङ्गी- यह स्थान अनुमानसे महाभारतोत 'उरग' देश Vol III. 96