३८४ उरुनिति-उरुवुक चौड़ा मकान्। (त्रि.) ३ प्रशस्त स्थानमें रहने- उरुण्ड (वै० पु०) १ वेदोक्त उपद्रवकारी एक असुर। वाला, जो लम्बी चौड़ी जगहमें रहता हो। । (अथर्व ८६/१५) २ गोत्रप्रवर्तक एक ऋषि । (प्रवराध्याय) उरुक्षिति (स'. स्त्री०) प्रशस्त वा सुखद भवन, | उरुतम (सं० त्रि.) अत्यन्त प्रशस्त, निहायत वसीय । कुशादा या आराम देनेवाला मकान् । उरुतर (सं० त्रि.) अपेक्षाकृत अधिक प्रशस्त, ज्यादा. उरुक्षेप (सं० पु.) इक्ष्वाकुवंशीय एक राजा। यह लम्बा-चौड़ा। हत्क्षयके पुत्र थे। उरुता (सं० स्त्री० ) १ बहुता, ज्यादती, बहुतायत । उरुगव्यति (सं० वि०) प्रशस्त राज्य रखनेवाला, २ विस्तार, फैलाव । जिसके खब लम्बी चौडी सलतनत रहे। उरुताप (सं• पु० ) अधिक उष्णता, बड़ी गरमी। उरुगाय (वै० त्रि.) उरु-गै कर्मणि घञ्। १ सर्वत्र उरुधार (वै० वि० ! बहुवेगसे नि:सृत, बड़े जोरसे गैय, सब जगह तारीफ, पानवाला। "बौखक उरुगायो बहनेवाला। (शामायनद्य० ४११) विचक्र ।” (चक् ८२०७ ) 'उभिबहुगातव्यः बहुषु देशेषु, गन्ता बहु-उरुप्रथ (सं० त्रि०) अधिक विस्त तत, खूब फैला हुआ। कौसियो। ( साबण) २ दूरगन्ता, दूर पहुंचनेवाला। उरुबिल (वै त्रि.) उरु वृहत् बिलमस्य। वह- ३ गमनादिके अर्थ विस्त त स्थान प्रदान करनेवाला। च्छिद्रयुक्त, बड़े छेदवाला। (पु०) ४ विष्णु। ( भागवत राश२० (क्लो०) ५ प्रशस्त उरुन (व.वि.) १ बहुजलजनक, खूब पानी स्थान, कुशादा जगह। उपजानेवाला। २ उत्तम, बढ़िया। ( सायण) उरुगायवान् ( स० वि०) विस्त त स्थान प्रदान करने- उरुमार्ग (स० पु०) दूर पथ, लम्बी राह । वाला, जो न ब लम्बी चौड़ी जगह देता हो। उकमाल (स० पु०) फलशाक विशेष, फलको एक उरुगला (वे. स्त्री) सर्प विशेष, एक सांप । (पथर्व ५।१८) तरकारी। यह फल वृहण, गुरु, शीतल, स्वादु, पाक- सरुचक्र (सं. त्रि०) प्रशस्त चक्रविशिष्ट, लम्बा रस, स्निग्ध, विष्टम्भि और कफ तथा शुक्र बढ़ानेवाला चौड़ा पहिया रखनेवाला। है। (वागभट ) उरुचक्रि (2० त्रि०) अप्रतिहत गति प्रदान करने- उरुमुण्ड (स० पु०) मथुरा प्रदेशका एक पर्वत ! वाला, जो लम्बी-चौड़ी चलफिर करने देता हो। (बोधिसत्वावदानकल्पलता) २अधिक साहाय्य होनेवाला,जो बड़ी मदद करता हो। उरुयुग (स त्रि०) लम्बाचौड़ा हल रखनेवाला। (सायण) उस्लोक (वै क्लो.) १ अन्तरिक्ष, श्रासमान । “समा- उरुचक्षु (वै त्रि०) १ महादर्शन, बड़ी सूरतवाला। न्तरिक्षमुरुलोकमस्तु ।" (ऋक् १९१२८५२), २ श्रेष्ठ लोक, (मृक् ११०१.२) (पु.)२ सूर्य । ३ मित्र । ४ वरुण । अच्छी दुनिया। उरुजना, उलझना देखी। उरुवा (हिं. पु.) उसक, उल्ल। उरुजणन् (वै० वि०) • बहु भूमियुक्त, बहुत जमौन् उरुविक्रम (स.वि.) शक्तिशाली, बहादुर। रखनेवाला। (अथर्व हा॥३) उरुविल्वा (सं० स्त्री०) नैरञ्जन नदी तौरका एक उरुवय (वै• त्रि.) उरु-चि करणे असुन् । बहु प्रतिप्राचीन ग्राम। बुद्धदेव संसार छोड़नेबाद इसी वेगयुक्ता, बहुत झपटनेवाला। स्थानपर प्रथम बास्फानक ध्यान लगाकर बैठे थे। ___ "वरुदब समिन्दुभिः।” (ऋक ८६।२७) वर्तमान नाम बोध-गया है। उच्चि (वै• त्रि०) बहु वेगवान्,ज्यादा जोर भरनेवाला। उरुवु ( स० पु.) एरण्ड वृक्ष, रेडीका पेड़। . 'उरचय प्रभूतगमनाः।' (सायय) उरुवुक (सं० पु०) उर वायति, उक । उलकादयव उप । उरुचिरा ( स० स्त्री०) विशाला नदीका प्राचीन १ एरण्ड वृक्ष, रेडका पेड़ । २ खेत एरण्ड, सफेदरेंड। नाम। ( यास्क निरुक्त २३) ३रता एरण्ड, लाल रंड़। ४ उदरडि, पटका बढ़ाव।
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