पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४११

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जंई-जतला जंइं (हिं. अव्य.) नैव, नहीं, कभी नहीं, हो । ऊटना (हिं. क्रि०) १ अभिमान करना, मन नहीं सकता। | बढ़ना। २ विचारना, सोचना, ख्यालमें लाना। ऊक (हि पु०) १उल्का, शहाब-साकिब, टूटता जटपटांग (हि.वि.) अंडबंड, वाहियात, खराब। तारा। २ अग्नि, पाग। (स्त्री.) ३ चक, किसो जड़ा (हिं• पु०) १ न्यूनता, घटौ। २ विनाश,बरबादी। बात या कामका भूल जाना। जड़ो (हि स्त्री०) यन्त्र विशेष, दुतकला। यह जकना (हि.क्रि.) १ चकना, भलना, भ्रममें जुलाहोंके सेठे में सटी रहती है। इसपर वह लिपटे पड़ना। २ ताप देना, जलाना। सूतको पट्टीमें फिर-फिर लगाते जाते हैं। २ यन्त्र जख (हि.स्त्री०) इक्षु, ईख । इच देखो। विशेष, एक चरखो। इसपर रेशमके लच्छे डाले और जखम (हिं.) उम देखो। एक तरही परेतौमें निकाले जाते हैं। ३ डबकी, जखल (हिं. पु.) उद्खल, कांड़ी, हावन । यह काष्ठ | गोता। ४ पना ब्बी। वा प्रस्तरनिर्मित एक गभीर पात्र है। इसमें डाल- | अढ़ ( स० त्रि.) वह-त। १ विवाहित, व्याहा। कर धान आदिको भूसी मूसलके सहारे निकालते हैं। २ वहन किया हुआ, जो उठाया गया हो। ३ धृत, जगना (हिं.क्रि.) जमना, जड़ पकड़ना, अंकुरा पकड़ा हुआ.। ४ अङ्गीकृत, माना हुआ। फटना। ___ "भार्योट तमवज्ञाय तस्थे सौमिवयेऽसको।” (भट्टि) जगरा (हिं० पु०) उख्य खाद्य, उबला हुआ खाना। अदकट (सं० त्रि.) जढ़ो कृतः कङ्कटो येन। जगू-युक्त प्रदेशके उनाव जिलेका एक नगर। यह वम युक्त, सूजा या फूला हुआ। समान भूमिपर उनावसे ग्यारह और फ़तेहपुर-चौरासी- जढ़ना (हि क्रि०) चिन्तन करना, सोचना, अनु- से ढाई कोस दूर अवस्थित है। कनौजके पंवार राजपूत | मान लगाना। उग्रसेनने इसे बसाया था। ई० १५ वों शताब्दी तक अढ़भाये (सं. पु०) जढ़ा भार्या येन, बहवी.। उनके वंशज जगूमें राज्य करते रहे। पौछे जौनपुरके विवाहित, व्याहा। इब्राहीम शरकोने उन्हें एक युद्दमें पछाड़ा था। अढ़वयस् (सं० पु.) युवापुरुष, नौजवान् मर्द। राजपूतों का प्रभाव घटने पर कुनबियोंने इसे अपने जढा (सं० स्त्रो०) जढ़-टाप । १ भार्या, जोडू। हाथ किया। जगूमें कई मन्दिर बने हैं। राजप्रासाद | २ विवाहिता कन्या, व्याही लड़की । ३ नायिका- और न्यायालयका ध्वंसावशेष भी देख पड़ता है। | भेद । जो व्याही स्त्री निज पतिको छोड़ अन्य पुरुष वर्ष में एक बार मेला और सप्ताहमें दो बार बाजार आसक्त रहती, उसे जनता जढ़ा नायिका कहती है। लगता है। जढ़ि (सस्त्री .) वह-तिन्। १ वहन, ढोवाई। कहते है-राजपूतोंके समय एक कवि जगू गये थे।। २ विवाह, शादी। किन्तु उनका उचित सत्कार न हुआ। उन्होंने उससे | जणोतेजस् (सं० पु.) एक बुद्ध । अप्रसन्न हो शाप दिया था- जत (सं० वि०) वेक्त अथवा जयो तन्तुसन्ताने, “जगूक आसपास दारिदको डौंडो फिरें टोरव चकोड़ी फिर ज-त। १ कृतवयन, बुना हुआ। २ ग्रथित, गूथा बौदी सरकारको।" हुआ। ३ स्यूत, सोया हुआ। ४ रक्षित, हिफाजत जज (हिं० पु.) उत्पात, बखेड़ा। . किया हुआ। ५ विख्यात, मशहर। (हिं० वि०) अजड़ (हि.वि.) जनशून्य, खाली, जी बसा न हो। पुत्रहीन, जिसके लड़का न रहे। मुर्ख. गंवार। उजर (हि. वि.) १ उजला, साफ, जो मैला (पु.) ८ भूत प्रेतात्मा। ... न हो। २ जजड़, वौरान। ... अतर (हिं') उत्तर देखो। . . जजरा, कमर देखो। . .. तला (हिं०वि०) उतावला, जल्दबाज