पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४५७

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४५६ एकचारिणी–एकजटा कामदेव घूमता हो। (पु०) २ बुद्धदेवके एक सहचर।। ३ एकाको बढ़नेवाला, जो अकेला ही ऊगता हो। ३ प्रत्येकबुद्ध। ४ अपने प्रकारका अकेला, जो अपनी किस्म में निराला एकचारिणी (स. स्त्री०) सती, साध्वी, पतिव्रता, हो। ५ एकप्रकार, जो दूसरी किस्मका न हो। नेकबखू त बीवी। (पु.)६ शूद्र। ७ राजा। एकचित (हिं.) एकचित्त देखो। एकजटा (सं० स्त्री०) एका एकसंख्यका मुख्या वा एकचित्त (सं० वि०) एकमेकविषयासक्तं चित्त जटा यस्याः, बहुव्री०। १ उग्रतारा। ध्यानमें इनकी यस्य, बहुव्री०। १ अनन्यचित्त, अलाहिदा ख्याल मूर्ति चतुर्भुज और कृष्णवण वर्णित है। मुण्डमाला न रखनेवाला। २ अभिन्नचेता, एक ही बात सोचने ही आभूषण है। दक्षिण हस्तहयके मध्य ऊर्ध्व हस्तमें वाला। (क्लो०) ३ किसी विषयके ध्यानको दृढ़ता, खड़ग और अधोहस्तमें इन्दीवर विद्यमान है। वाम- खयालको पाबन्दी। हस्तहयों की एवं खबर है। मस्तक पर गगनस्पर्शी एकचित्तता ( स० स्त्री०) ध्यानको दृढ़ता, ख़या एक जटा खड़ी है। मस्तक एवं गलदेशमें मुण्डकी लकी जमावट। माला पड़ी है। वक्षःदेशपर सर्पका हार है। नयन एकचिन्तन (सं त्रि०) एक ही विषयको चिन्ता आरक्त हैं। कटिदेशपर व्याघ्रचर्म और कृष्णवस्त्र' रखनेवाला, जिसे दूसरी बातका ख्याल न रहे। पहने हैं। वामपद शवके हृदय और दक्षिण पद एकचर्णि (स० पु०) एक मुनि। यह तैत्तिरीय सिंहके पृष्ठपर विन्यस्त है। यह अट्टहास किया करती यजुर्वेद के भाष्यकर्ता थे। सायणाचार्य ने अपने बनाये हैं। गऊन भीषण और मूर्ति भयङ्कर है। इनकी वेदके भाथमें एकचर्णिका नाम लिखा है। अष्ट योगिनियोंके नाम यह हैं-महाकाली, रुद्राणी, एक चेतः (सं.वि.) अभिन्नहृदय, एकदिल। उग्रा, भीमा, घोरा, चामरी, महारात्रि और भैरवी। एकचोदन (स' क्लो०) एक वचनका वर्णन, अके- . (कालिकापु० ६१ अ० ) लेको बात। (त्रि.) २ एक नियमपर आश्रित, जो नेपालके बौद्ध इन्हीं देवीको एकजटा-आर्यतारा- एक ही कायदे पर टिका हो। देवीके नामसे पूजते हैं। बौद्ध ग्रन्थमें यह बात लिखी, एकचोबा (हिं. पु०) एक ही चोबका खोमा, जो कि अवलोकितेश्वरने वज्रपाणि बोधिसत्वसे एकजटा डेरा एक हो खंभेके सहारे खड़ा हो। देवीको पूजा कही थी। (ताराष्टोत्तरशतनामस्तोत्र ) एकच्छाय (सं. त्रि०) एका अविच्छिन्ना छाया | २ रावण द्वारा नियुक्त एक विकटाकार राक्षसी । आच्छादनं यत्र, बहुव्री०। एक आच्छादनविशिष्ट, ( रामायण ४।२३५) सिर्फ साया रखनेवाला, जो बिलकुल धुंधला हो। एकजटा कामदेव (सं० पु.) उत्कल देशके गङ्ग- एव च्छाया ( स० स्त्री०) अधमर्णका सादृश्य, कर्ज- वंशीय एक राजा। यह गङ्ग श्वरके पुत्र और गङ्ग- दारको बराबरौ। वंशीय प्रथम राजा चोड़गङ्गके पौत्र रहे। गङ्गेश्वर “एकच्छाया प्रविष्टानां दापो यत्तव दृश्यते।" ( कात्यायन) किसी कार्यसे महापापमें लिप्त हुये थे। इसीसे उनकी एकछत्र (सं त्रि.) १ एक ही छत्र रखनेवाला, पत्नीने उन्हें मार एकजटा कामदेवको सिंहासन पर जिसके दूसरा मालिक न रहे। (अव्य० ) २ अभिन्न बैठाया। इन्होंने राज्य मिलने पर अनेक सत्कार्य शासनसे, अली हुकूमत पर। (पु.) ३ अनन्य किये थे। एकजटा कामदेव पुरीका प्राचीन मन्दिर शासन, पूरी हुकूमत । तोड़ा उसी स्थानपर नतम मन्दिर बनवाने लगे, किन्तु एकज (सं. वि.) एकस्मात जायते, एक-जन-डी निर्माणकार्य अधरा रहते ही अकाल कालके कवलमें १एक होसे उत्पन,जो एक होसे पैदा हो। २ अकेला जा पड़े। उकल और गाने य शब्द देखी।। इनके पुत्रका उत्पन्न होनेवाला, जो दूसरेके साथ पैदा नहो।। नाम मदनमहादेव था। . उडीसेके किसी प्राचीन