पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/४७६

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एकादशौ-एकादि ४७५ अपर ब्राह्मणसे उपवास कराना चाहिये। यथाशक्ति मति, देवता तथा गुरुजनका प्रिय और दृष्टचेता निक- ब्राह्मणोंको दान देनेसे भी एकादशी छुटनेका दोष लता है। (कोष्ठौप्रदीप (त्रि.) २ एकादश संख्या- मिट जाता है। (वायुपुराण) विशिष्ट, गबारह अददवाला। मार्कण्डेयके मतानुसार बालक, वृद्ध और आतुर "एकादशी धातराष्ट्रो कोरावाणां महाचमूः।” ( भारत, भोम १८ २१) एकवार आहार अथवा फलमूल खा कर एकादशी एकादगीतत्त्व (सं० क्लो.) स्मृतिशास्त्र का एक अंश । रह सकते हैं। किन्तु गरुडपुराण शयन, उत्थान, इस अंशमें एकादशीका विषय वर्णित है। पार्श्वपरिवर्तन और फन्तमूलाहारको एकादशीके व्रतमें एकादशीन (सं० त्रि०) एकादश सम्बन्धीय, गवारह- कर्तव्य नहीं ठहराता। तत्त्वसागर एकादशीको से सरोकार रखनेवाला। तरह अपर कोई पुण्यकार्य अलभ्य मानता है। एकादशीव्रत (सको०) एकादशीमधिकृत्य वृतम, -यह स्वर्ग, मोक्ष, राज्य और पुत्र देनेवाली है। मध्यपदलो। एकादशो तिथिका उपवासादि धर्म- गरुडपुराणके लेखानुसार भक्तिसहकारसे एका- काय। एकादशे देखो। दशी व्रत करनेपर मनुष्यको विष्णुलोक और विष्णु- एकादथेन्द्रिय (स त्रि.) गारह इन्द्रिय । शोत्र, स्वरूप प्राप्त होता है। त्वक, चक्षु, रसना, प्राण, वाक, पाणि, पायु, उपस्थ, ____नाना युराणमें एकादशोके षड्वंश नाम कहे हैं, पाद और मन गयारहको एकादशेन्द्रिय कहते हैं। यथा-अग्रहायणको कृष्णा १ उत्पना, शुक्ला.२ मोक्षा, इनमें पहले पांच ज्ञानेन्द्रिय और पोछे कमेन्द्रिय हैं। पौषको कृष्णा ३ सफला, शुक्ला ४ पुत्रदा; माघको एकादशोत्तम (सं० पु.) शिव। मारह रुद्रमें क्वष्णा ५षतिला, शुक्ला ६ जया; फालगुनको कृष्णा प्रधान रहनेसे शिवको एकादशोत्तम कहते हैं। ७ विजया, शक्ला ८ आमदको ; चैत्रको कृष्णा ८ पाप- एकादि (सं० त्रि०) एक आदिर्यस्य, बहुव्री। मोचनी, शुक्ला १० कामदा; वैशाखको कृष्णा ११ वरू- एकसे पराध पर्यन्त संख्या-विशिष्ट । थिनी, शुक्ला १२ मोहिनी ; ज्येष्ठको कृष्णा १३ अपरा, कविकल्पलतामें एकादि संख्यावाचक कितने ही शुक्ला १४ निजला; आषाढ़ को कृष्णा १५ योगिनी, शब्द संग्रहीत हैं। यथा-१ एक, ब्रह्म, इन्द्रहस्तो, शुक्ला १६ पद्मा ; श्रावणको कृष्णा १७ कामिका, शुक्ला इन्द्राव, गणेशदत्त, शक्र चक्षु। २ इय, पक्ष, नदो- १८ पुत्रदा; भाद्रको कृष्णा १८ अजा, शुक्ला २०वामना; कूल, असिधारा, रामनन्दन। ३त्रय, काल, अग्नि, आश्विनको कृष्णा २१ इन्दिरा, शुक्ला २२ पापाङ्कशा, भुवन, गङ्गामाग, ईशट्टक, गुण। ४ चतुर, वेद, कार्तिकको कृष्णा २३ रमा, शुक्ला २४ प्रबोधिनी और ब्रह्मास्य, जाति, समुद्र, हरिबाहु, ऐरावतदन्त, सेनाङ्ग -मलमासको शुक्ला २५ सुभद्रा तथा कृष्णा एकादशी उपाय, याम, युग, त्राशम। ५ पञ्च, पाण्डव, रुद्रास्त्र, २६ कमला कहाती है। इन्द्रिय, स्वगतरु, एत, अग्नि। षष्ठ, वचकोण, स्मृतिशास्त्र में कृष्णा एकादशीको मातापिताके विशिरोनेत्र, तर्काङ्ग, दर्शन, चक्रवर्ती, कार्तिकेयास्य, श्राइको व्यवस्था है। किन्तु हरिभक्तिविलासके मतसे गुण, रस । ७ सप्त, पाताल, भुवन, मुनि, होप, सूख, वैष्णवको वह करना न चाहिये। उनको व्यवस्थामें ! वार, समुद्र, नृप, राजाङ्ग, बोहि, वहि, शिखाद्रि । एकादशी तिथिको थाहका दिन प्रानेसे उस दिन ८ अष्ट, योगाङ्ग, वसु, ईशमूर्ति, दिग्गज, सिदि। नहीं-हादशीको श्राद्ध किया जाता है। ब्रह्मवैवर्तके 2 नव, अङ्ग, हार, मूखण्ड, छिबरावण मस्तक, व्याघ्री- मतानुसार एकादशीको वाह करनेसे दाता, भोता। स्तन, सुराकुण्ड, सेवधि, अङ्क, रस, ग्रह। १० दश, और प्रेसलोक नरकस्थ होता है। हस्ताङ्गुलि, शम्भुबाहु, रावणमौलि, कृष्णावतार, दिक, एकादशीको जन्म लेनेसे मनुष्य अत्यन्त क्रोधी, | विश्वेदेवा, अवस्था, चन्द्राख। ११ एकादश, रुद्र, के शसह, सुभाषी, यन्त्रकारी, खजनप्रतिपालक, महा- | कुरुराजसेन। १२, हादश, सूर्य, राशि, संक्रान्ति,