पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५०१

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४६. एसिया साम्राज्य स्थापित हुपा था। उस समय पश्चिम । अलेक्सन्द्रिया नगरमें ना बसने लगे। उनसे एसिया भूमध्यसागर, पूर्व बेलुरताध पर्वत, उत्तर कास्त्रीय खण्डके प्रधान बंदरोंका संवाद सुन अनेक नोकवणिक सामर और दक्षिण सिन्धुनदके मध्यवर्ती समुदय जलपथसे गमनागमन किया करते थे। क्रमशः . स्थानको पारस्य साम्राज्य कहते थे। लिदीया राज्य इजिण्टके लोग भी जलपथसे मलवार, सिंहल प्रभृति पारस्यके प्रकोपसे ध्वस हुआ। निरुपाय एवं असहाय जनपदों में पहुँच बाणिज्य चलाने लगे। किन्तु वह ग्रीक यवनोंने पारस्वकी अधीनता स्वीकार की थी। सिंहल लांघ वङ्गोप सागरमें घुसनेको साहसी न थे। उस समयसे वह अधीन प्रजाकी भांति आ एसिया सिंहलवासियोंसे उन्हें कलिङ्ग प्रभृति भारतके पूर्व खण्डका अनुसन्धान लेने लगे। ग्रीक यवनोंने हौ उपकूलस्थ जनपदोंका सन्धान मिला था। उन्हीं बणि- अनेक स्थानों में जा उनका विषय समझा था। किसो कोंने इजिप्टके ग्रीक लोगोंको रत्नप्रसू भारतवर्ष और किसी स्थानका मानचित्र पर्यन्त अडित हुआ। ग्रीक सिंहल होपका परिचय दिया। ऐतिहासिक हिरोदोतास्का पुस्तक पाठ करनेसे सिकन्दरके पीछे सिरीय अधिपति सलूकस निके- पारस्य साम्राज्य-सम्बन्धीय भूवृत्तान्त समझ पड़ता है। . तर गङ्गा नदोके तोरस्थ सकल जनपद अधिकार करने- हिरोदोतास्ने साम्राज्यके वहिर्भूत सकल देशोंका को प्रयासो हुये। उन्होंने मैगेस्थिनिस नामक एक विषय बहुत नहीं लिखा; फिर भी जो कुछ लिखा, व्यक्तिको मगधराज चन्द्रगुप्तको सभामें इतकी भांति वह भ्रमपूर्ण है। भेजा था। उस समय भारतवर्षके अधिकांश स्थान समसामयिक जेनीफनने सम्राट काइरसके साथ चन्द्रगुप्तके अधिकार में रहे। मेगस्थिनिसने बहुत दिन रह पारस्य साम्राज्यका अनेक विवरण संग्रह किया मगधको राजसभामें रह भारतवर्षकै जनपदादिका था। उनके बनाये अन्यमें उसका विलक्षण परिचय विवरण संग्रह कर एक भूवृत्तान्त बनाया। ग्रीक मिलता है। महावीर सिकन्दरने एसिया खण्डके | लोग वही पुस्तक पढ़ भारतवर्ष का विवरण कुछ-कुछ अनेक देश जीते थे। उन्होंने जिस विस्तीर्ण भूभागके | समझ सके। मध्यसे युषयात्रा को, डिशियाकैस नामक उन्हींके | ग्रीकोंने एसियामें आ अनेक नगर और जनपदा.. सर-सहचरने एक मानचित्र खींच उसके देश, प्रदेश, दिका नाम अपनी भाषामें रखा था। फिर रोमक नगर, ग्राम, नद प्रभृतिको वर्णना दी है। उसी प्रबल हो ग्रोकोंका प्रतिष्ठित सकल राज्य ध्वंस करने समय सिकन्दरने अपने नौ-सेनापति नियार्कासको सिन्ध लगे। उस समय इउफ्रे तिस और ताइग्रोस नदौके नदके मोहनेसे उफ्रेतिस नदीको भेज दिया। उन्हीं उपकूल-प्रदेशसे अरमेनियाको पर्वतमाला तक रोमक नौ-सेनापतिको जलयात्रामें ग्रीक लोग अनेक स्थानका साम्राज्यमुक्त हुआ था। मिथिदतेशसे लड़ते समय भूवृत्तान्त जान सके। रोमक सैन्यदल काकेसस पर्वतपर आ पहुंचा। पहले फिनिसीय अतिपूर्वकालसे ही एसिया-खण्डके इस अञ्चलका विषय कोई समझता न था। उन्होंने समदतौरस्थ अनेक स्थानोंको बाणिज्यके उद्देश्यपर क्रमागत कास्पीय सागरके तौर पा कर सुना-यहां यातायात करते थे। युरोपको प्राचीन जातियों में एक विस्तृत पथ पड़ता, जिस पथसे भारतवर्षके साथ फिनिसीयोंको अधिक परिमाणसे एसियाखण्डके नाना बाणिज्यादि चलता है। वहीं दूसरे पथका भी पनु- देशोंका विषय अवगत था। उसी पूर्वकालको वह सन्धान लगा था। उसी पथसे समस्त मध्य एसियाका जिस जिस देश जाते पाते, उसका विवरण माव गतिविधि रहा। वह पथ खशघरके निकट अद्यापि भाषा, लिपिबद्ध कर बना लाते। उसी समय टायर विद्यमान है। इसी प्रकार रोमक एसियाखण्डके नगरमें फिनिसोय बणिकोंका बाणिज्य-भारहार था। अनेक स्थान पवगत हुये। पोछ ग्रोक और रोमकने मकदूनिया वीरके टायर लगर ध्वस करनेपर वणिक, । भौगोलिकोंने पूर्व एवं नव-संसहीत एसियाका विवरण