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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१२

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ऐकतानवादन ४७१ पकबर बादशाहने ऐकतान-वादनको उन्नतिके, यन्त्र देख न पड़ता सही, किन्तु प्राचीनकाल वह लिये अपने जमाये स्वरमें दो सौसे अधिक गते तैयार ऐकतानिक यन्त्रोंमें उच्च श्रेणीका समझा जाता था। की थीं। उनके सामने अनेक सुविन्न सङ्गीतन्त्र व्यक्ति | सर रबर्ट कर-पोर्टर (Sir Robert Ker-Porter)को पराजय मान लेते थे। विशेषतः लोग कहते-अकबर कुरबानशाह नगरके निकटस्थ टटिवोस्तान् पर्वतपर नक्कारा बजाने में सातिशय विचक्षण प्रसिद्ध थे। ऐकतान-सम्बन्धीय कितनी ही प्राचीन खोदित मूर्तियां पासिरीय और बाबिलोनीय लोगोंके देवपूजन और मिली थीं। कहते-वह ई० ६ठ शताब्दके शेषको मङ्गलकायमें सङ्गीत विशेष रूपसे व्यवहृत होता था। पारस्य देशोय राजा खु.शरू परवीजको स्थापित हैं। उन देशोंको खोदित प्रतिमूर्ति और नेबुकाडनेजारको उनमें कई मूर्तियां दो अंची मेहराबों पर बनी हैं। प्रतिष्ठित सुवर्ण-निर्मित बल देवताके निकट ससङ्गीत आसिरीयोंको स्वोदित प्रतिमूतियोंकी भांति दूसरी 'उपासनादिका प्रचुर प्रमाण मिलता है। यथा कई स्त्रियां भी नावपर चढ़ हाप यन्त्र बजा रही हैं। "उस समय किसी राजदूतने उच्चैःस्वरसे कहा बण्टिङ्ग साहबने भी पारस्य देशीय वीशाके ऐकतान- हे मानव ! जब तुम वंशी प्रभृति शुषिर, वीणा प्रभृति वादन ( Harp concert ) पर बहुत कुछ लिखा है। तत, ढक्का प्रभृति पानह और घण्टा प्रभृति घन यन्त्रका (Bunting's Historical and Critical Disser. “वाद्य सुनोगे, तब महाराज नेबुकाडनेजारद्वारा प्रतिष्ठित tation on the Harps in this "General collec- स्वर्णमूर्ति बल देवताके निकट सकल प्रणत होगे।" । tion of the Ancient music of Ireland.") . (Daniel, III 4, 5) उपर हो कहा, कि ई० के ६४ शताष्ट् पारस्य देशमें उक्त दोनों देशों के राजा राजसभा में भी सीता ऐकतानबादन प्रचलित रहा। एतव्यतीत उन मूर्ति "चर्चा करते थे। कारण सुनने में आया है-जब मिद योंमें एक व्याग-पाइप बजाते देख पड़ती है। इस वंशीय राजा दरायुसने भविष्यदला दानियालको सिंह यन्त्रका नाम भारतवर्षीय प्राचीन सोतमें 'नागवई' गारमें डाल प्रासादको प्रत्यागमन किया,तब अनाहार लिखा है। आसिरीयों, वइदियों, रोमकों पौर रह और ऐकतानवादनादि न सुन रात्रिका समय यूनानियोंको भी उक्त यन्त्र अवगत था । बिता दिया था। (Dan VI. 18) इससे स्पष्ट ___ हिरोदोतस् (ई०से ४८४ वर्ष पूर्व) लिखते- प्रतीयमान होता, कि सन्ध्याको उनके सामने एक मिसरीयोंके देवोद्देशसे वातसरिक पर्वाह समडके मध्य तानिक सकल यन्त्र बजते थे। बवस्तिस नगरमें दायाना देवोको पजाके लिये मेला पासिरीयों और बाबिलोनीयों की भांति जेरूसलमको लगता था। मेलामें स्त्रीपुरुष नौकापर चढ़ जलपथ राजसभामें भी ऐकतानिक सङ्गीत होता था। दाऊद घूमते रहे। फिर उसी समय कुछ पुरुष वंधो और और सुलेमान दोनों राजावोंके समय यह सविशेष कुछ स्त्री क्षुद्र ढक्का बुगपत् बजाती थौं। प्रवशिष्ट 'प्रचलित रहा। उनमें दोनोंके मन्दिरस्थ धर्मसम्बन्धीय स्त्रीपुरुष करतालिसे आनन्दसूचक भावभनी प्रकाश बहुसंख्यक वादकों तथा गायकोंको छोड़ राजकीय करते रहे। . ऐकतान भी था। दाजदके पुत्र सुलेमान्ने पार्थिव ___प्राचीन मिसरमें वीणा ( Harp ), तंबूरे और वंशी भोगविलासको असारता और प्रस्थायितापर अपने प्रमृति यन्त्रक सहयोगसे ऐकतानवादन की प्रथा प्रच- ऐकतानका उल्लेख किया,-"हमने नाना प्रकारके लित थी। बरलिन और लिडन नगरको चित्रशालामें सङ्गीतयन्वोंकी भांति पु-गायकों, स्त्री-गायिकावों इसका एक खोदित दृश्य विद्यमान है। लेप्सियस एवं उत्कृष्ट यन्तव्यवसायियों द्वारा नानाप्रकार पानन्द बताते, कि प्राचीन मिसरीय केवल कुछ वंथियों के हारा उठा लिया है।" ( Eccles. II 8) ही ऐकतानवादन लगाते थे। (Lepsius's Egyptian माजकल पारस्य (ईरान) देश में हार्प ( Harp) | Antiquities ) वंशोके ऐकतानका एक खोदित दृश्य