पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५११

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४७. ऐंठाग्वै ठा-ऐकतानवादन ऐंठाग्वै ठा, ऐडवे देखो। । समरमें विविध जातीय युद्धयन्त्रोंका एककाल वादित ऐंठाना, ऐठवाना देखी। होना वर्णित है। हम उसे भी एक प्रकारका एक- रेंठी (हि. स्त्री० ) घूमो या फिरौ हुई। तानवादन कह सकते हैं। किन्तु नौबत, रौशनचौकी ऐंठू (हिं• पु०) अभिमानी पुरुष, अकड़नेवाला शखूस। वगैरह अनेक प्रकारका जो बाजा चलता, उसे विभिन्न ऐंड़ (हिं. स्त्री०) १ अभिमान, तनाव, अकड़। ग्रामोंका युगपत् संयोग न रहनेसे कोई ऐकतानवादन २ जलका पावर्त, पानीका भंवर। (वि.) ३ आवर्त बता नहीं सकता। मान, घमा हुघा, जो खराब पड़ गया हो। ऐकतानवादन वहिारिक और आभ्यन्तरिक दो ऐंडदार (हिं० वि०) १अभिमानी, कुटिल, मग़रूर।। प्रकारका होता है। अनावृत स्थानमें बजानेको तह- २ बना हुआ, बांका, नोक-झोंकवाला। दावति यन्त्रोंसे नि:मृत उच्च स्वर आवश्यक है। ऐंडना (हिं. क्रि०) १ आवेष्टनको प्राप्त होना, | किन्तु ग्रहके अभ्यन्तरमें क्षुद्र क्षुद्र यन्त्र अर्थात् वंशी, घम जाना, बल खाना। २ देह टटना, अंगड़ाई वीणा, सारंगी, इसरार प्रभृति बजाना हौ समिष्ट पाना। ३ अभिमान करना, तिरछे पड़ना। ४ श्रा- वेष्ठन करना, घुमाना, ऐंठना। सङ्गीतशाला पाभ्यन्तरिक एकतानवादनका अन्यतर ऐंडबैंड (हिं.वि.) बांका-तिरछा, बल खाये हुआ। दृष्टान्तस्थल है। . ऐंडा (हिं० वि०). १ ऐंठा, घुमावदार। (पु.) ___ हिन्दू राजा अतिप्राचीन कालसे ही ऐकतान- २ परिमाण, मान, बांट। ३ सेंध, नकब । वादनका आदर करते आये हैं। प्राचीन संस्कृतशास्त्रके ऐंडाना (हिं० क्रि०) १ अङ्गमद करना, अंगड़ाई व्यतीत भारतवर्षीय नाना स्थानोंके मन्दिरों और गुहा- भरना। २ कुटिल पड़ना, बांका-तिरछापन देखाना, चैत्योंपर खुदी सकल मूर्तियां देखने से इसका भूरि नाक-भौं चढ़ाना। भूरि निदर्शन निकलता है। नाना प्रकारके सङ्गीतयन्त्र ऐंदा (हिं. पु.) किसी किस्म का गंडासा। उक्त मूर्तियों में अङ्कित हैं। यन्त्र, वादा, सङ्गीत प्रभृति शब्द देखो। ऐंहड़ा (हिं. पु.) सेध, नकब । मुसलमान बादशाहोंके समय अधिकांश हिन्दुवों ऐक (सं० त्रि०) एक स्वार्थे प्रण । १ एकार्थ और अल्पांश यन्त्र ईरानियों, अरबियों प्रभृतिसे ले बोधक, एकका मतलब रखनेवाला। २ एक सम्बन्धीय, नसनरूप ऐकतानवादनको सृष्टि हुयो। सम्राट प्रक- एकसे सरोकार रखनेवाला। बरके नक्कारखाने में एकतानवादनके लिये निम्नलिखित ऐकतान (सं० लो०) एकतान-अथ । वाद्यविशेष।। यन्त्र व्यवहृत होते थे- कितने ही भिन्न भिन्न जातीय वाद्ययन्त्रोंके एक स्वरसे (१) कमसे कम १८ जोड़े दमामे । वजाये जानेको ऐकतान कहते हैं। (२) चालीस नक्कार। ऐकतानवादन (सं० लो०) कुछ विभिन्न जातीय (३) चार ढोस। यन्त्रोंका विभिन्न ग्रामोंके संयोगसे एककाल वादित (४) कमसे कम चार करनाल। यह यन्त्र स्वर्ण, होना, मुख़्तलिफ किसके बाजोंका एक साथ अपने रौप्य, पित्तल वा अन्य किसी धातव पदाथैसे बनता है। अपने स्वरमें बजाया जाना। (५) भारतवर्षीय और पारस्यदेशीय सरनाई। - शास्त्रमें लेख पाते, कि महादेव चारो हाधसे रुद्र नौ सरनाई एक साथ बजायी जाती थीं। वीणा,डमरु प्रति कई यन्त्र युगपत् बजाते थे। सुतरां (६) भारतवर्षीय, पारस्वदेशीय एवं युरोपीय उसे एक प्रकारका ऐकतानवादन कहना सङ्गत है। | नफौरी। रामायणके राम-रावण युद्ध, महाभारतके कुरुपाण्डव | (७) गोशृङ्गाति पित्तलका शृङ्ग्यन्त्र । संग्राम और चपरापर पुराय तथा उपपुरावके देवासुर! (८) बड़ी करताल ।