8७४ ऐजन-ऐतावाड खुर्द एजन (अ. प्रव्य ) तथा, वैसा ही। गणना। इस शाखाके प्रवर्तक हैं। छान्दोग्योपनिषद में लिख आदिमें किसी विषयको बार-बार न लिख एकही बार दिया, कि महिदास ऐतरेयने पूर्णज्ञान लाभ किया था। लिखते और उसके नीचे ऐजन रखते हैं। इससे । भाष्यकार शङ्कराचार्य के मतसे 'इतराया अपत्यं उक्त विषय बार बार लिखा समझा जाता है। ऐतरेयः' अर्थात् इतराके अपत्यको ऐतरेय कहते हैं। ऐड़ (सं० पु० ) एड़ा अस्तात्र, एड़ा-अण । १ एड़ा सायणाचार्य ने ऐतरेय-ब्राह्मणके भाष्यको उपक्रम- शब्दयुक्त अध्याय वा अनुवाक। २ इड़ाके पुत्र पुरु- णिकामें महिदास ऐतरेयका परिचय इस प्रकार दिया है- रवा। (त्रि.) ३ बलकारक पदार्थयुक्त। ४ इड़ा ____ "किसी महर्षि के अनेक पत्नियां रहीं। उनमें शब्दयुक्त। एकका नाम इतरा था। उनके महिदास नामक एक ऐड़क (सं० पु.) एड़क स्वाधै अण। १ मेषाकार पुत्र हुआ। 'अरण्यकाण्डमें' उन्हीं को 'महिदास पशुविशेष, किसी कि.स्मका भेड़ा। (त्रि.) २ मेष- ऐतरेय' कहा है। महर्षि अपर पत्निवोंको बहुत चहते. सम्बन्धीय, एड़क पशुसे उत्पन्न। किन्तु महिदाससे दूर रहते थे। किसो यज्ञसभामें ऐडमिरल (अं. पु०= Admiral ) नौसेनाका अध्यक्ष, उन्होंने महिदासको उपेक्षा कर अपर पुत्र गोद पर जहाजी फौजका बड़ा अफसर । बैठा लिये। इतराने अपने पुत्रका म्लानमुख देख ऐडविड (स० पु.) १ कुवेर। २ दशरथ राजाके कुलदेवता भूमिसे प्रार्थना की थी। उसी समय भूमि- एक पुत्र। देवता दिव्यमूर्ति धारण कर यज्ञसभामें प्राविभूत ऐडवोकेट (० पु०% Advocate) न्यायालयमें परार्थ हुई। उन्होंने महिदासको दिव्य सिंहासनपर बैठा वक्ता, मुखतार, वकील। वर दिया था-तुम सकल पुत्रोंकी अपेक्षा अधिक ऐडवोकेट-जनरल (अं० पु० = Advocate-general) पण्डित होगे और ऐतरेय ब्राह्मण प्रतिभाषण कर हाइकोर्टका बड़ा सरकारी वकील। दोगे।" आजकल ऐतरेय-शाखाका ऐतरेय ब्राह्मण, ऐड़क (स. क्लो. ) एड़क एव, स्वार्थे अण्। अस्थि | ऐतरेय-भारण्यक और ऐतरेय उपनिषत् पुस्तक एवं तुच्छ द्रव्यको भित्ति, हड्डी और कूड़े की दीवार । मिलता है। .. ऐण (सं. वि.) एणस्य इदम्, एण-अण्। १ मृग | ऐतरेयक, ऐतरेयाश्रण देखो। सम्बन्धीय, काले हिरनसे पैदा। ऐतरेयब्राह्मण (सं० ली.) ऋग्वेदका एक ब्राह्मख । ऐणिक (सं० त्रि०) एणं मृगं हन्ति, एण-ठक् । इसमें होताका कार्य निर्दिष्ट है। ऐतरेय ब्राह्मणके मृगहन्ता, काले हिरनका शिकार करनेवाला। ४० अध्याय ८ पञ्चिकामें विभक्त हैं। वैद और ब्राप देखो। ऐणोपचन (सं.वि.) एणौपचनदेशभवः, एणीपचन- ऐतरेयो ( पु.) ऐतरेय-ब्राह्मण पढनेवाला । अण्। एणीपचन देशीय। एणीपचन देखो। ऐतरेयोपनिषद् (सं० स्त्री०) ऐतरेय आरण्यकको एक ऐणेय (सं० वि०) एण्या इदम्, एणी-ठञ् । १ कृष्णसार उपनिषत् । मृगीसे उत्पन, काली हिरनीसे पैदा। (पु.)२ कृष्ण | ऐतश. (सं० पु.) भृगुवंशीय एक मुनि। इन्होंने ही सारमृग, काला हिरन । (क्लो०) ३ रतिबन्धविशेष। “ऐतश प्रलाप' नामक वैदिक ग्रन्थ बनाया था। ऐणेयक (सं० लो०) एलबालुक। ऐतशायन (स.पु.) ऐतशके सन्तान। ऐण्डिनेय (सं० पु.) वेदको एक शाखा। ऐतावाड खुर्द-बम्बई प्रान्तके सतारा जिले का एक ऐतदात्म्य (सं० लो०) यह पदार्थ वा प्रधानता | ग्राम। यह वालवा तहसीलके प्रधान नगर पेठसे रखनेका भाव। दक्षिण ७ मील पड़ता है। मालखेड़के राष्ट्रकूट ऐतरेय (वै० पु.) ऋग्वेदको एक शाखा। भाष्य- नृपतिने ब्राह्मणोंको ६७५ शकको रथाष्टमीपर जो कारोंके मतसे महिदास ऐतरेय नामक एक ऋषि भूमिदान किया, उसमें इसका नाम भी दिया है।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१५
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