पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५१६

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एतिकायन-ऐनक ४०५ इस विषयका शिलालेख कोल्हापुर राज्यके सामानगढ़में २दिल्लीवाले बादशाह सुलतान् मुहम्मद शाह मिला है। उसमें ऐतावाड़-खुर्द उत्सर्ग को हुई तुग़लक और सुलतान फोरोज शाहके एक दरबारी। भूमि की उत्तर सीमा बताया गया है। इनका उपाधि ख्वाजा रहा। इनके बनाये 'तरसौल ऐतिकायन (सं.पु.) इतिकस्य ऋषेरपत्यम, इतिक- ऐन-उल-मुल्को' और 'फतेहनामा' नाम फक। इतिक ऋषिके सन्तान । विद्यमान हैं। फतेहनाममें इन्होंने सुलतान अला-उद- ऐतिशायन (सं० पु०) इतिशस्य ऋषेरपत्यम्, इतिश- दीनके विजयका वर्णन किया है। फक्। इतिश ऋषिके सन्तान। यह एक संस्कृतके ३ वीजापुर-नवाब आदिल शाहके भाई इस्माइलके प्राचीन विहान् थे। मौमांसासूत्र में इनका नाम पाया है। एक रिसालदार। १५८२ ई०को बुरहान निजाम ऐतिहासिक (स० त्रि.) इतिहासादागतः, इतिहास शाहको हरा आदिलशाइने दक्षिणको भोर कर्णाटक ठक । १ इतिहास ग्रन्यसे समझ पड़नेवाला, जो और मलबार पर आक्रमण मारा था। किन्तु अपने तारीखसे मालम हो। २ इतिहासवेत्ता, तारीख को भाई इस्माइलके बलवा करने पर उन्हें पोछ लौटना जाननेवाला। ३ इतिहासपाठक, तारीख पढ़नेवाला। पड़ा। युद्ध होनेपर मीराजको फौज इस्माइलसे ऐतिह्य (सं.ली.) इतिह स्वार्थे बा । पनन्तावसथोतिह- मिल गई। बेलगांव को भेजी फोज विना प्रान्नाके मेषजा अः। पा ५।४।२३। पारम्पर्य उपदेश, पुरानी वीजापुर लौट आयी थी। ऐन्-उल-मुल्क भी अपनी . नसीहत। जो बात बहुत दिनसे सुनने में पाती, वह ३० हजार फौजके साथ उसमें मिले और राजधानो ऐति कहाती है। पर आक्रमण मारने को प्राग बढ़े। किन्तु यह "ऐतिह्य' नाम आप्तोपदेशे वेदादिः।" (चरक ) युद्दमें मारे गये। १५४२ ई०का भी इन्होंने वोजापुर पौराणिकोंके मतमें ऐतिय एक प्रमाण है। वटके घेर लिया था,किन्तु विजयनगर-नरेशके भाई वेङ्कटाट्रिने वृचमें यक्षिणी रहनेका परम्परागत उक्त वाक्य हो इन् युद्दमें परास्त किया। यह रातको रण छोड़ ऐतिद्य प्रमाण है। अहमदनगर भाग पाये थे। वीजापुर में पूर्व पादया- ऐदंयुगीन (सं० वि०) अस्मिन् युगे साधुः, इदंयुग पुर-फाटकसे १५०० गज दूर ऐन-उल-मुल्कको कब ख। इस युगके उपयोगी। बनी है। ऐध (सं० स्त्री.) अग्निशिखा, लपट । ४ गुजरातके एक सूबेदार। इनका उपाधि ऐध (सं० पु०) ऐध देखो। मूलतानी रहा। उलध खान्के जानेसे गुजरातमें ऐन (अ० वि०) १ उपयुक्त, दुरुस्त, ठोक। २ पूर्ण, | मुसलमानी हुकूमत हिल गई थी। बलवा दबानेको पूरा। (हिं.) भवन पौर एण देखो। कमाल-उद-दीनके भेजे मुबारक खिलजी लड़ाईमें ऐन-उद-दीन-बीजापुरके एक शेख। इन्होंने 'मुलहकात काम आये। किन्तु १३१८ ई०को ऐन-उल-मुल्क और 'किताब-उल-अनवार' नामक दो ग्रन्थ लिखे हैं।। मुलतानीने बड़ी फौजके साथ पहुच शान्ति स्थापित उक्त दोनों ग्रन्थों में भारतके समग्र मुसलमान-साधुवोंका की थी। १३०६ ई.के समय यह मालवेके शासक इतिहास है। सुलतान् अला-उद-दीन हसन बाह रहे। उसी समय बम्बई प्रान्तस्थ कनाड़ी जिलेवाले मनीके समय यह विद्यमान रहै। देवगिरिके रामचन्द्रने उपद्रव उठाया था। अला-उद्- ऐन-उल-मुल्क-१शोराजके एक अधिवासो। इनका दोन्ने ख्वाजा मलिक काफरको एक लाख फौजके उपाधि हकीम रहा। बादशाह अकबरके समय यह साथ दाक्षिणात्य दबाने भेजा। राहमें इन्होंने एक उच्च पदपर प्रतिष्ठित थे। इनको कविता बहुत | भी अपनी फौज उनको सहायताके लिये साथ रसौलो होतो थी। उपनाम 'वफा' रहा। १५८४ | कर दी। ई०को हकीम साहब इस दुनियासे चलते बने। । ऐनक (हिं• स्त्री०) उपनेत्र, चश्मा।